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🌷🌷ॐ ह्लीं पीताम्बरायै नमः🌷🌷
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कलयुग में होने का केवल एक ही फायदा
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12 राशियों एवं नौ ग्रहों के विचरने से 108 प्रकार की शुभ अशुभ स्थितियों का निर्माण होता है जो हर मानव को प्रभावित करती हैं। हर व्यक्ति चाहता है कि उसके साथ सिर्फ अच्छी परिस्थितियां हो पर बुरी परिस्थितियां भी आ जाती हैं और हर कोई मन मसोसकर कहता है कि होनी को कौन टाल सकता है। पर बुरी परिस्थितियों को टाला जा सकता है या उसका प्रभाव इतना कम किया जा सकता है कि यह नाम मात्र का नुकसान कर चली जाए
कलयुग में होने का एक ही फायदा है कि हम मंत्र जप कर बड़े-बड़े तप अनुष्ठान का लाभ पा सकते हैं। मंत्र अगर गुरु ने दीक्षा देकर दिया हो तो वह प्रभावी होता है। जिन्होंने मंत्र सिद्ध किया हुआ हो, ऐसे महापुरुषों द्वारा मिला हुआ मंत्र साधक को भी सिद्धा अवस्था में पहुंचाने में सक्षम होता है।
सदगुरु से मिला हुआ मंत्र सबीज मंत्र कहलाता है क्योंकि उसमें परमेश्वर का अनुभव करानी वाली शक्ति निहित होती है। मंत्र जप सेएक तरंग का का निर्माण होता है जो मन को उर्ध्वगामी बनाते हैं। जिस तरह पानी हमेशा नीचे की ओर बहता है उसी तरह मन हमेशा पतन की ओर बढ़ता है, अगर उसे मंत्र जप की तरंग का बल मिले।कई लोग टीका टिप्पणी करते हैं कि क्या हमें किसी से कुछ चाहिए तो क्या उसका नाम बार-बार लेते हैं? पर वह नासमझ हैं और मंत्र की तरंग विज्ञान से अनजान है। मंत्र जाप का प्रभाव सुक्ष्म किन्तु गहरा होता है।
जब लक्ष्मण जी ने मंत्र जप कर सीता जी की कुटी के चारों तरफ भूमि पर एक रेखा खींची तो उसे लंकाधिपति रावण भी नहीं लांघ सका।हालांकि रावण मायावी विद्याओं का जानकार था। किंतु ज्यों ही वह रेखा को लगने की इच्छा करता त्यों ही उसके सारे शरीर में जलन होने लगती थी। मंत्र जप से पुराने संस्कार हटते जाते हैं, जापक में सौम्यता आती जाती है और उसका आत्मिक बल बढ़ता जाता है। मंत्र जप से चित्त पावन होने लगता है। रक्त के कण पवित्र होने लगते हैं। दुख, चिंता, शोक, भय, रोग आदि निवृत्त होने लगते हैं। सुख समृद्धि और सफलता की प्राप्त में मदद होने लगती है।
जैसे ध्वनि तरंग दूर दूर तक जाती हैं ऐसे ही नाद जप की तरंगें हमारे अंतर्मन में गहरे उतर जाती है। तथा पिछले कई जन्मों के पाप मिटा देते हैं। इसमें हमारे अंदर शक्ति सामर्थ्य प्रकट होने लगता है, और बुध्दि का विकास होने लगता है। अधिक मंत्र जाप से दूरदर्शन, दूरश्रवण आदि सिद्धयां आने लगती हैं।साधक को चाहिए कि वह इन सिद्धियों के चक्कर में ना पड़े वरन् अंतिम लक्ष्य परमात्मा प्राप्त में ही निरंतर संलग्न रहे। मंत्र जाप को व्यक्तिगत जीवन में सफलता तथा सामाजिक जीवन में सम्मान मिलता है। मंत्र जप मानव के भीतर की सोई हुई चेतना जगाकर उसकी महानता को प्रकट कर देता है। यहां तक कि जप से जीवात्मा परमात्मा पद में सोचने की क्षमता विकसित कर लेता है।
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🌷🌷जय मां पीताम्बरा🌷🌷

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