यदि कोई यह कहता है कि उसने अपने जीवन में कभी कोई गलती नहीं की, तो इसका मतलब हुआ कि उसने अपने जीवन में कुछ हटके नहीं किया, नया नहीं किया। गलती करना कोई बुरी बात नहीं, एक गलती को बार-बार करना बुरी बात है। कोई भी गलती आप दो बार नहीं कर सकते, अगर आप गलती दोहराते हैं तो फिर ये गलती नहीं आपकी इच्छा है।
उपलब्धि और आलोचना दोनों बहिन हैं। उपलब्धियाँ बढेंगी तो निश्चित ही आपकी आलोचना भी बढ़ेगी। लोग निंदा करते हैं या प्रशंसा ये महत्वपूर्ण नहीं है, महत्वपूर्ण ये है कि जिम्मेदारियाँ ईमानदारी से पूरी की गई हैं या नहीं ?
और एक बात ! जिस काम को करने में डर लगे, उसी को करने का नाम साहस है। मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है, जैसा वह विश्वास करता है, वैसा बन जाता है। खुद पर भरोसा रखो। छोड़ो ये बात कि लोग क्या कहेंगे ? लोगों की परवाह किये बिना अपने विचारों को सृजन का रूप दे दो ताकि हर कोई कह सके “” मान गए आपको “
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सूर्य उगता है, डूबता भी है। तारे घूमते हैं, मौसम परिवर्तित होते हैं। प्रकृति का विराट कर्म चलता है।। परंतु बिलकुल शान्त, अकर्म जैसा।। वहां कोई कर्ता नहीं है। न सूरज उगने के लिए कोई प्रयत्न करता है।। न चांदतारे चलने के लिए कोई आयोजन न फूल खिलने के लिए कोई व्यवस्था जुटाते हैं। न नदियां सागर की तरफ बहने के लिए किसी कर्ता के भाव से भरती हैं।। मनुष्य को छोड़ कर कर्म कहीं भी नहीं है। गति तो बहुत है, क्रिया बहुत है।। लेकिन कर्ता का बोध कहीं भी नहीं है। इस कर्तापन ने ही आपकी सहजता और सरलता छीन ली है।।