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💥गुरुवार को करेंगे ये 5 उपाय तो दूर हो सकते हैं गुरु के दोष💥
यदि कुंडली में गुरु ग्रह (बृहस्पति) से संबंधित कोई दोष हो तो उसकी शांति के लिए गुरुवार को विशेष पूजन किया जाता है। बृहस्पति देवताओं के गुरु भी हैं। गुरु वैवाहिक जीवन व भाग्य का कारक ग्रह है। यहां जानिए बृहस्पति ग्रह की पूजा के 5 उपाय, जिनसे इस ग्रह के दोषों को दूर किया जा सकता है…

*1. गुरुवार को गुरु ग्रह के निमित्त व्रत रखें। जिसमें पीले वस्त्र पहनें व बिना नमक का भोजन करें। भोजन में पीले रंग की खाद्य पदार्थ जैसे बेसन के लड्डू, आम, केले आदि शामिल करें।

  1. गुरु बृहस्पति की प्रतिमा या फोटो को पीले वस्त्र पर विराजित करें। इसके बाद पंचोपचार से पूजा करें। पूजन में केसरिया चंदन, पीले चावल, पीले फूल व भोग में पीले पकवान या फल अर्पित करें। आरती करें।
  2. गुरु मंत्र का जप करें- मंत्र- ॐ बृं बृहस्पते नम:। मंत्र जप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए।
  3. गुरु से जुड़ी पीली वस्तुओं का दान करें। पीली वस्तु जैसे सोना, हल्दी, चने की दाल, आम (फल) आदि।
  4. शिवजी को बेसन के लड्डू का भोग लगाएं।

इन उपायों से धन, संपत्ति, विवाह और भाग्य संबंधी बाधाएं दूर हो सकती हैं।
[केतु सातवे भाव में शुभ स्थिति में हो तो

  1. 24 वर्ष की आयु में ही 40 वर्ष की धन सम्पत्ति कमा ले।
    जैसे- जैसे संतान बढ़े वैसे- वैसे धन बढ़े। बहादुर व बच्चो का मित्र हो।
    शत्रु भयभीत रहें। पत्नी के जितने भाई बहन हो जातक के भी उतनी ही संतान होगी।
    जातक का बड़ा लड़का काफी सख़्त दिलोदिमाग वाला, वफादार , आज्ञाकारी व सुख देने वाला होता है
    शुक्र तथा शनि मंदे नहीं होते , इसलिए रोज़ी रोजगार के द्वार हमेशा खुले रहते हैं
    लेकिन यदि साथ में कोई शत्रु ग्रह या मंगल बद कायम हो तो जातक बरबाद हो जाता है मंगल नेक होने पर जातक वायदा पूरा करने वाला होता है
    मंदे हालत इसके विपरित होते हैं। अपने पास सब कुछ होते हुए भी रोते रहना , इस भाव की निशानी होती है
    यदि आपका केतु अशुभ है तो हो सकता है आप के घर के सामने वाले या पड़ोस वाले घर में नि संतान दम्पत्ति रहते हो।
    ऐसा जातक अपनी ही खामियों से अपना नुकसान करता है, अन्यथा कोई हानि नहीं होती।
    केतु अशुभ के समय जातक झूठे वायदे करता है , अनेक प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त रहता है तथा पत्नी द्वारा आर्थिक हानि उठाथा है मंदे केतु के समय 34 वर्ष की आयु तक शत्रु जातक पर हावी रहते हैं
    केतु सातवें हो और लगन में एक से अधिक ग्रह हो तो संतान नष्ट हो जाए।
    केतु के साथ बुध हो तो 34 वें वर्ष के बाद शत्रु को नष्ट कर दे। लेकिन पत्नी और बेटी की तरह से मन अशांत रहे।

उपाय-

झूटा वायदा न करें, घमंड न करें और अपशब्द न कहें।
केसर का तिलक लगाएं
गुरु का उपाय करें
: लग्न को अगर लग्नेश देखे तो लग्न बली होता है इसी तरह से सूर्य लग्न या चन्द्र लग्न को भी उनके स्वामी देखे तो लग्न को बल मिलने जितना ही यहां भी विशेष फल मिलेगा क्योंकि सूर्य चन्द्र भी लग्न के बराबर महत्व रखते है लेकिन यदि लग्न की अन्य राशि को या सूर्य लग्न या चन्द्र लगन की अन्य राशि को भी उसके स्वामी देखे तो भी लग्न सूर्य या चन्द्र बली हो कर बहुत अच्छा फल देते है जैसे मान लो वृश्चिक लग्न है मंगल 11 हॉउस में है अब मंगल लग्न को तो नही देख रहा पर अपनी अन्य राशि मेष को देख रहा है 8 वी दृष्टि से 6 हाउस में इससे भी लग्न की अन्य राशि अपने स्वामी की दृष्टि पाने से बली हो गयी इससे लग्न भी बली हो गया कहने का मतलब लग्न की अन्य राशि पर भी अपने स्वामी की दृष्टि लग्न को बराबर बल देगी ऐसे ही सूर्य लग्न और चन्द्र लग्न के बल को भी देखे उनकी अन्य राशियों को भी देखे जैसे इंदिरा गांधी की कुंडली को ही ले इसमें चन्द्रमा लग्नेश हो कर लग्न को सूर्य वृश्चिक में हो कर सूर्य लग्नेश मंगल 4 दृष्टि से सूर्य को देख रहा है यानी अगर एक भी लग्न अगर अपने स्वामी की दृष्टि पाए तो बली हो जाता है लेकिन अगर तीनो ही या दो ही लग्न अपने स्वामियों की दृष्टि पाए तो इसे बहुत शुभ योग माना जायेगा इसमें एक बहुत बड़ा उदारहण है इंदिरा गांधी की कुंडली का उसमे इस प्रकार से तीनो ही लग्न अपने स्वामियों द्वारा दृष्ट होने से इंदिरा गांधी की कुंडली बहुत बली हो गयी औऱ वो प्रधानमंत्री पद पर 17 साल रही

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