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🌷वास्तुअनुसार प्लाट का आकार🌷

💐वास्तुशास्त्र में प्लाट या घर की दिशा की तरह ही उसके आकार का भी बेहद महत्व बताया गया है. इसलिए वास्तु अनुसार जीवन में सुख समृद्धि और शांति केलिए जाने प्लाट के आकार से सम्बंधित जरूरी वास्तु टिप्स|

💐भवन बनवाने के लिए तीन तरह के भूखंड सबसे उत्तम माने गए हैं। उनमें शामिल हैं वर्गाकार समकोण भूखंड, आयताकार समकोण भूखंड और वृत्ताकार भूखंड।

💐वर्गाकार समकोण चतुर्भुज भूखंड को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस तरह के भूखंड पर बने मकान में रहने वालों को मानसिक शांति एवं आर्थिक सम्पन्नता प्राप्त होती है।

💐मकान बनवाने के लिए आयताकार समकोण भूखंड श्रेष्ठ माना जाता है। इसकी लंबाई-चौड़ाई अधिक नहीं होना चाहिए। इस प्रकार के भूखंड पर मकान बनवाकर उसमें रहने वाले सुखी-संपन्न बने रहते हैं।

💐वृत्ताकार भूखंड 360 अंश का होता है। ऐसा भूखंड दुर्लभ माना गया है और बहुत कम देखने में आता है। इस प्रकार के भूखंड पर मकान बनाकर उसमें रहने वाले का संपूर्ण परिवार सुखी रहता है।

💐त्रिभुजाकार प्लॉट निवास की दृष्टि से उत्तम नहीं माने जाते।

💐वो भूखंड जो अपने सामने के भाग की तुलना में पीछे से अधिक चौडे होते हैं, उन्हें गोमुखी भूखंड कहा जाता है। ऐसे भूखंड पर निर्मित भवन उत्तम होते हैं। ऐसे भवन गृहस्वामी को संपन्नता दिलाते हैं। किंतु यह आवश्‍यक है कि ऐसे भूखंड के पूर्व या उत्तर दिशा में सडक न हो। हां, सड क दक्षिण या पश्चिम दिशा में हो सकती है।

💐जिनका सामने का भाग पीछे के भाग की तुलना में अधिक चौडा हो, उन्हें सिंहमखी शेरमुखी भूखंड कहा जाता है। ऐसे भूखंड निवास की दृष्टि से अच्छे नहीं माने जाते, लेकिन ऐसे भूखंड व्यवसायिक उपयोग के लिए उत्तम होते हैं।

💐ऐसा भूखंड जिसका किनारा कटा हुआ हो उसे नहीं खरीदना चाहिए।

💐आयताकार भुखन्ड भि (आवास)मकान बनाकर रहने के लिए उत्तम माना जाता है।यैसे माकान मे माँ लक्ष्मी हमेशा वाश करती हैं। 🙏🌷🙏🌷🙏🌷🙏
[🌷वास्तुअनुसार घर में स्टडी रूम🌷

🌷वास्तुशास्त्र अनुसार यदि स्टडी रूम सही दिशा में न हो, तो बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो सकती है. वास्तु दोष के कारण सफलता नहीं मिल पाती है आइये जानते है वास्तु नियमों के अनुसार बच्चों के पढ़ने के कमरे से जुड़े कुछ वास्तु टिप्स.

🌷भारतीय वास्तुशास्त्र के अनुसार अध्ययन कक्ष हमेशा ईशान कोण में ही पूजागृह के साथ पूर्व दिशा में होना चाहिए।

🌷प्रकाश की ऊर्जा ही घर में सकारात्मकता लाती है, लिहाजा पूरब दिशा में स्टडी रूम काफी प्रभावी माना जाता है।

🌷भारतीय वास्तुशास्त्र के अनुसार बुध, गुरू, शुक्र एवं चंद्र चार ग्रहों के प्रभाव वाली पश्चिम-मध्य दिशा में अध्ययन कक्ष का निर्माण करने से अति लाभदायक सिद्ध होती है।

🌷अध्ययन कक्ष में टेबिल पूर्व-उत्तर ईशान या पष्चिम में रहना चाहिए।

🌷अध्ययन कक्ष दक्षिण आग्नेय व नैऋत्य या उत्तर-वायव्य में नहीं होना चाहिए।

🌷खिड़की या रोषनदान पूर्व-उत्तर या पश्चिम में होना अति उत्तम माना गया है। दक्षिण में यथा संभव न ही रखें।

🌷अध्ययन कक्ष में रंग संयोजन सफेद, बादामी, पिंक, आसमानी या हल्का फिरोजी रंग दीवारों पर या टेबल-फर्नीचर पर अच्छा है। काला, गहरा नीला रंग कक्ष में नहीं करना चाहिए।

🌷अध्ययन कक्ष का प्रवेश द्वार पूर्व-उत्तर, मध्य या पष्चिम में रहना चाहिए। दक्षिण आग्नेय व नैऋत्य या उत्तर-वायव्य में नहीं होना चाहिए।

🌷अध्ययन कक्ष में पुस्तके रखने की अलमारी या रैक उत्तर दिशा की दीवार से लगी होना चाहिए।

🌷स्टडी रूम में पानी रखने की जगह, मंदिर, एवं घड़ी उत्तर या पूर्व दिशा में उपयुक्त होती है।

🌷अध्ययन कक्ष की ढाल पूर्व या उत्तर दिशा में रखें तथा अनुपयोगी चीजों को कक्ष में न रखें।

🌷स्टडी टेबिल गोलाकार या अंडाकार की जगह आयताकार हो।टेबिल के टाप का रंग सफेद दूधिया हो।  कम्प्यूटर टेबिल पूर्व मध्य या उत्तर मध्य मे रखें ।🙏🌷🙏🌷🙏🌷🙏

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