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हरे प्याज़ के घरेलू उपचार :-

आंखों की रोशनी
हरे प्याज का लगातार सेवन करते रहने से आंखों की रोशनी लगातार बनी रहती है। आंख से धुंधलापन दूर करने में भी सहायक होता है। क्योंकि हरे प्याज में कई प्रकार के विटामिन्स होते है।

ब्लड प्रेशर से मिलता है आराम
हरा प्याज के सेवन से ब्लड प्रेशर नार्मल रहता है, क्योंकि इसमें सल्फर की मात्रा काफी पाई जाती है। जोकि ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में काफी मदद करता है
🌹पिसाब में रुकावट आयुर्वेदिक उपाय

🌹400 ग्राम जल को उबालकर उसमें 25 ग्राम धनिया डालकर रख दें। चार-पांच घंटे के बाद उस जल को छानकर मूत्रकुच्छ के रोगी को पिलाने से मूत्र तेजी से निष्कासित होता है।

🌻छोटी इलायची का बारीक चूर्ण 2 ग्राम मात्रा में दूध के साथ सेवन करने से मूत्र के अवरोध की विकृति और जलन नष्ट होती है।

🌻 50 ग्राम जीरा और 50 ग्राम मिसरी दोनों को कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर कपड़े से छानकर रखें। इस चूर्ण को 5 ग्राम मात्रा में जल के साथ सेवन करने से मूत्रकुच्छ की विकृति नष्ट होती है।
आधासीसी

 🔆पहला प्रयोगः सूर्योदय से पूर्व नारियल एवं गुड़ के साथ छोटे चने बराबर मात्रा में कपूर मिलाकर तीन दिन खाने से आधासीसी का दर्द मिटता है।

🔆दूसरा प्रयोगः पीपर (पाखर) एवं वच का आधा-आधा ग्राम चूर्ण मिलाकर शहद के साथ चाटने से आधासीसी (आधे सिर का दर्द) में लाभ होता है।

🔆तीसरा प्रयोगः  गाय का शुद्ध ताजा घी सुबह-शाम 2-2 बूँद नाक में डालने से दर्द में लाभ होता है।

🔆चौथा प्रयोगः दही, चावल व मिश्री मिलाकर सूर्योदय से पहले खाने से सूर्योदय के साथ बढ़ने-घटने वाला सिरदर्द ठीक हो जाता है। यह प्रयोग कम-से-कम छः दिन करें।
🌹आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए

🌹अश्वगंधा का चूर्ण 2 ग्राम, धात्री फल चूर्ण 2 ग्राम तथा 1 ग्राम मुलेठी का चूर्ण मिला कर 1 चम्मच सुबह और शाम पानी के साथ सेवन करने से ,प्रतिदिन सुबह हरी घास पर नंगे पैर 1-2 किलोमीटर चलने से तथा रात्रि में तांबें के बर्तन में रखा हुआ 2 ग्लास पानी सुबह खाली पेट पीने से आंखों की रोशनी खूब बढ़ती है |
🌹मुख की दुर्गंध एवं छाले

🌻इलायची के कुछ दाने मुँह में रखकर चबाने या चूसने से के जीवाणु खत्म हो जाते हैं और मुख एवं साँस की दुर्गंध दूर हो कर सुवासित हो जाता है | मुंह के छाले , मसूड़ों में दर्द या सूजन को दूर करने में भी मदद मिलती है |
एडी से चोटी तक शरीर की ब्लाक नसों को खोले –

ज़रूरी सामान

1gm दाल चीनी( તજ)

10 gm काली मिर्च साबुत( આખા કાળા મરી)

10gm तेज पत्ता ( તમાલપત્ર)

10gm मगज ( મગજતરી)

10 gm मिश्री डला( ખડી સાકર)

10 gm अखरोट गिरी ( અખરોટનો ગર)

10gm अलसी ( અળસી- Flex seed)

टोटल 61gm सभी सामान रसोई का ही है

बनाने की विधि

सभी को मिक्सी में पीस के बिलकुल पाउडर बना ले और 6gm की 10 पुड़िया बन जायेगी

एक पुड़िया हर रोज सुबह खाली पेट नवाये पानी से लेनी है और एक घंटे तक कुछ भी नही खाना है चाय पी सकते हो ऐड़ी से ले कर चोटी तक की कोई भी नस बन्द हो खुल जाएगी हार्ट पेसेंट भी ध्यान दे ये खुराक लेते रहो पूरी जिंदगी हार्टअटैक या लकवा से नही मरेगा गारंटीड।

(Must Read चाहे 90% हार्ट ब्लॉकेज (Heart Blockage) ही क्यों ना हो, ये अद्भुत उपाय पुरे शरीर के सभी ब्लॉकेज को बाहर निकाल फेकेगा )

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👨🏻‍🦱👉🏿कपूर के तेल के 5 फायदे और बनाने की विधि👈🏿👩🏻

👨🏻‍🦱👉🏿कपूर अपने एंटीबायोटिक और एंटीफंगल गुणों के चलते सेहत और ब्यूटी के लिए भी बेहद फायदेमंद है। जितना लाभकारी है कपूर, उतना ही बेशकीमती है कपूर का तेल जानिए कपूर का तेल बनाने की विधि और इसके 5 जादुई फायदे

👩🏻👉🏿कपूर का तेल यूं तो बाजार में भी उपलब्ध होता है, लेकिन इसे घर पर ही तैयार करना ज्यादा शुद्ध और फायदेमंद होता है। इसे घर पर बनाने के लिए नारियल के तेल में कपूर के कुछ टुकड़े डालकर इसे किसी एयरटाइट डिब्बे में भरकर रख दें। कुछ समय में नारियल का यह तेल कपूर के सत्वों को ग्रहण कर लेगा। अब जानिए इसके 5 जादुई फायदे ➖👇🏾👇🏾👇🏾

🌹1⃣👉🏿 फोड़े, फुंसी और मुहांसों के लिए कपूर का तेल बेहद असरकारी है। इससे न केवल मुंहासों में कमी आती है, बल्कि यह त्वचा पर मुहांसों के पुराने दाग धब्बों को भी जड़ से समाप्त कर सकता है। है ना जादुई फायदा।

🌹2⃣👉🏿 त्वचा की किसी भी प्रकार की समस्या हो, कपूर का तेल उसे समाप्त कर आपको साफ, स्वस्थ, चिकनी और बेदाग त्वचा प्रदान करता है। त्वचा की एलर्जी होने या जलने कटने पर भी यह एक कारगर उपाय है।

🌹3⃣👉🏿 अंदरूनी दर्द में भी कपूर का यह तेल बेहद असरदार औषधी है। शरीर के किसी भी भाग में दर्द होने पर कपूर का यह तेल हल्का गुनगुना कर, उस स्थान पर मसाज करने पर दर्द से राहत मिलती है।

🌹4⃣👉🏿 तनाव कम करने के लिए कपूर का तेल प्रयोग करना फायदेमंद होता है। इसे माथे पर लगाना या फिर बालों में इसकी मसाज करना तनाव को कम करने में मददगार साबित होता है।  

🌹5⃣👉🏿 बालों का झड़ना हो या फिर डैंड्रफ की समस्या, कपूर के तेल से मसाज करना इन दोनों समस्याओं को हल करने में बेहद मददगार और फायदेमंद है। वहीं बालों के दोबारा उगने में भी यह मददगार है।

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: दस्त

कई वर्षों बाद लगभग 25- 30 वर्ष बाद इसका शिकार बना मैं

यह क्यों कैसे हुया मुझे इसकी सोचने समझने की भी शक्ति क्षीण हो गयी थी जब इसका शिकार हुया

परसो देर रात घर पहुँचा व देरी हो जाने के कारण रात्रि का भोजन न के बराबर किया लेकिन उससे पहले तेज भूख के कारण 8 बजे भुने चने व गुड़ पट्टी खरीद कर खा लिया था व भोजन करने के बाद अजवायन गुड़ खाना भूल गया कल सुबह मेरा अवकाश था व्यक्तिगत सामाजिक पारिवारिक कार्यो को निपटाने हेतु तैयार होने की कोशिश में जब उठा तो दस्त के कारण बिस्तर व बाथरूम से ही नाता जुड़ा रहा

जीरा, गुड़ नमक के घोल पर सारा दिन रहा भोजन नहीं किया

परिवार व बच्चे 4 दिन पहले समाजिक गतिविधियों में समल्लित होने गाँव गए हुए हैं जिसके कारण मुझे इस दस्त की तकलीफ व अनुभव को समझने का पूरा मौका भी मिला क्योंकि परिवार व बच्चे होते तो सुबह ही मुझे जीरा, दूध में निम्बू,इसबगोल, nux vomica, पोडोफाइलम, एलोज, चाइना जैसी रामबाण दवाओं का सेवन करा कर स्वस्थ बना चुके होते व भोजन में दाल का पानी, गिला चावल,खिचड़ी जैसे इस रोग में अमृततुल्य भोजन मिल रहा होता

पूरे दिन के भोजन त्याग के बाद भूख व कमजोरी सताने लगी तो रात्रि 12 बजे टमाटर का सूप बनाकर पिया ऐसे बीच बीच मे नमक गुड़ का शर्बत जीरे का पानी पीता ही रहा

कल जब इस रोग के चपेट में आया तो सुबह ही फैसला कर लिया था उपवास व घरेलू औषधि को कम से कम 24 से 36 घण्टे का समय जरूर दूँगा जब इससे राहत नहीं मिल पाएगी तब होमेओपेथी का सहारा लूँगा

भगवान का लाख लाख शुक्र है कि मेरे आँतो की पूरी सफाई भी हो गयी

दस्त रोकने के घरेलु उपाय

दस्त होने के लक्षण :

इसमें पतले दस्त(अतिसार) आने से पहले पेट में हल्काहल्का और मीठा-मीठा दर्द मालूम हुआ करता है
पिचकारी की तरह तेजी के साथ काफी मात्रा में पतले दस्त आते हैं जिससे रोगी बहुत कमजोर हो जाता है।
जीभ सूखी रहती है। आँखें पीली पड़ कर अन्दर की ओर धंस जाती है। शरीर की चमड़ी रूखी-सूखी हो जाया करती है।
पेट को दबाने से दर्द होता है।
रोगी की चुस्ती-फुर्ती समाप्त हो जाती है। भार की कमी महसूस होती है।
उदर में, गड़गड़ाहट होना, कभी-कभी प्यास की अधिकता, अरुचि, ये इस रोग के मुख्य लक्षण हैं।
कभी-कभी वमन भी होती है जो उग्र रूप भी धारण कर लेती है।

दस्त होने के कारण :

अनुपयुक्त खाद्य वस्तुएँ खाना, अशुद्ध जल पीना, पाचनक्रिया की गड़बड़ी, पेट में कृमि विकार, यकृत की क्रिया ठीक न होना, ऋतु-परिर्वतन, जुलाब लेना, शोक, भय, दुःख आदि कारणों से अतिसार हो जाया करता है। यह रोग साध्य है। उचित चिकित्सा से प्रायः ठीक हो जाता है।

दस्त लगने पर क्या खाएं :

नये अतिसार में अरारोट, या पतली मुंग दाल दें।अनार का रस, सन्तरे तथा मौसम्मी का रस दिया जा सकता है। दूध कदापि न दें। पुराने अतिसार में पुराने चावलों का भात, मसूर की दाल का रस, चावल से दुगुनी मूंग की दाल की पतली खिचड़ी (भदड़ी) दें।गर्म जल में तौलिया भिगोकर शरीर को अच्छी तरह पौंछवा दें। पेट गर्म कपड़े से ढुकवा कर रखें सुबह शाम रोगी को टहलने का निर्देश दें।

दस्त लगने पर क्या नहीं खाना चाहिए :

किसी भी प्रकार के अतिसार में मिथ्या आहारविहार तथा अधिक मात्रा में खट्टी चीजें खाना अपथ्य है।

दस्त रोकने के घरेलु उपाय :

💐💐💐 एक से दो चम्मच जीरा एक गिलास पानी मे उबाले पानी आधा रहने पर पिये व जीरे को चबाकर खा लें💐💐💐

पिन्ड खजूर 5-7 खाकर 1 घन्टे बाद थोड़ा-थोड़ा पानी कई बार पियें। अतिसार में लाभ होता है।

कबावचीनी के चूर्ण के साथ थोड़ी सी अफीम घोटकर 1-1 रत्ती की गोलियाँ बनाकर सेवन कराने से आमातिसार में विशेष रूप से लाभ होता है।

यदि अतीसार पक्व हो तो नीम के कोमल पत्र और बबूल के पत्र 6-6 ग्राम एकत्र पीसकर दिन में 2 बार शहद के साथ देने से तत्काल लाभ होता है। इसे आमातिसार में कदापि प्रयोग न करायें।

नवजात शिशु तथा छोटे बच्चों को अतिसार होने की अवस्था में जायफल को पत्थर पर घिस कर थोड़ा सा बार-बार चटाने से लाभ होता है।

जामुन की गुठली का चूर्ण, आम की गुठली की गिरी का चूर्ण तथा भुनी हुई हरड़, समान मात्रा में लेकर खरल करें तत्पश्चात् जल से सेवन करायें ।यह नुस्खा जीर्णातिसार में लाभप्रद है

रोगी की नाभि में बड़ का दूध भरने से दस्त बन्द हो जाते हैं।

सफेद राल 4 ग्राम, मिश्री 8 ग्राम दोनों को बारीक करके पीसें। तदुपरान्त प्रात:काल 6 ग्राम दही के साथ मिलाकर खिलायें। लाभ होगा।

यदि बहुत छोटे बच्चे को अधिक दस्त हो तो असली केसर 1-2 चावल-(भर) घी में मिलाकर चटायें। विशेष रूप से लाभप्रद है।

अतीस 4-4 रत्ती माँ के दूध में घिस कर छोटे बच्चों को देने से अतिसार रुक जाता है।

बढ़े हुए अतिसार में जब किसी तरह से दस्त न रुकते हों तो हल्दी बारीक पीसकर कपड़छन करके अग्नि पर भून लेवे और हल्दी के बराबर काला नमक मिलायें। इसे 3-3 ग्राम की मात्रा में ठन्डे जल से 4-4 घन्टे पर दें। अवश्य लाभ होगा।

जामुन और आम की गुठली का चूर्ण बनाकर भुनी हुई हरड़ के साथ सेवन करने से जीर्णातिसार शीघ्र नष्ट होता है।

पका हुआ बेल का गूदा दही के साथ खाने से दस्तों में लाभ होता है। बकरी का दूध भी दस्त बन्द कर देता

💐 जीरा और मिश्री का चूर्ण बनाकर छाछ के साथ पीने से दस्त बन्द होते हैं। या जीरा उबालकर पिने व चबाने से 💐

💐 (दुध में निम्बू निचोड़कर तुरन्त पियें अगर इस उपाय से नहीं रुके तो चिकित्सक से जरूर व जल्द सम्पर्क करें)💐

कुटज और अनार के वृक्ष की छाल-इन दोनों का काढ़ा बनाकर शहद के साथ देने से दुर्दमनीय अतिसार तथा रक्तातिसार में तुरन्त लाभ पहुँचता है।

बहुत पतले दस्त हो रहे हों तो आँवला मोटा पीसकर नाभि के चारों ओर लगा दें, इस घेरे के बीच में अदरक के रस में भिगोया कपड़ा रखें और उस पर थोड़ा-थोड़ा अदरक का रस डालती रहें। साथ ही अदरक का रस पिलायें भी। इससे दस्त काबू में आ जाता है।

अतिसार दस्त होने पर डेढ़ आम की गुठली की गिरी के पाउडर को शहद के साथ चाटने पर बहुत लाभ होता है।

आम की गुठली का चूर्ण 10 ग्राम ताजा दही मिलाकर खाने से अतिसार के दस्त बन्द होते हैं।

अतिसार विसूचिका होने पर अर्क विसूचिकान्तक रस में 5 बूंदें मिलाकर देने से तथा लवण भास्कर चूर्ण 3 ग्राम में 5 बूंदें अमृतधारा मिलाकर देने से लाभ होता है।

बड़ी आयु के स्त्री पुरुषों को अतिसार होने पर जायफल का चूर्ण 1 ग्राम (1 माशा) आधा कप पानी के साथ सुबह-शाम फाँकने से बार-बार पतले दस्त होना तथा पेट फूलना और पेट दर्द में आराम होता है।

कच्ची बेल को आग पर भूनकर उसका गूदा खा लें। भुना हुआ गूदा दस्त रोकने में बड़ा कारगर है।

अतिसार होने पर केले को दही में मथकर लेने से लाभ करता ह

कैसे भी तेज दस्त हों, जामुन के पेड़ की ढाई पत्तियाँ, जो न ज्यादा मोटी हों न ज्यादा मुलायम हों, उन्हें पीस लें। फिर उनमें जरा-सा सेंधा नमक मिलाकर उनकी गोली बना लें। एक-एक गोली सुबह-शाम लेने से अतिसार तुरन्त बन्द हो जाता है।

एक अनार पर चारों तरफ मिटटी लगाकर भून लें। जब भुन जाये तो दोनों का रस निकाल लें। इस रस में शहद मिलाकर पियें। हर प्रकार के दस्त ठीक हो जायेंगे।

दस्तों में अनार का रस पीना लाभदायक है

कच्चा पपीता उबालकर खाने से पुराने दस्त ठीक हो जाते हैं। गाजर का रस या गाजर खाने से पुराने दस्त, अपच के दस्त, संग्रहणी ठीक हो जाती है।

मोगरे के दो-चार कोमल एवं ताजा पत्तों को भाँग की तरह, एक कप ठण्डे पानी में घोंटकर कपड़छन कर लें। इस घोल में थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर दिन में तीन बार देने से खूनी दस्तों में तुरन्त लाभ होता है।

2.50 ग्राम मेथी की पत्ती को 10 ग्राम घी में तलकर सुबह-शाम खाने से पतले दस्त (अतिसार) में लाभ होता है।

बथुए के पत्तों को पानी में उबालकर तथा उस पानी में शक्कर मिलाकर पीने से दस्त साफ होते हैं।

दस्त में आँव या खून आता हो तो आँवला चूर्ण को शहद के साथ लेकर ऊपर बकरी का दूध लेना चाहिए। यह प्रयोग लम्बा रखना चाहिए, अन्यथा लाभ नहीं होता तथा बाद में जो लाभ होगा, वह स्थाई होगा।

आम के फूल उपयोगी होते हैं। 1-2 चम्मच ताजे फूल के रस को दही के साथ लेने से दस्त रुक जाते हैं।

दस्त मरोड़ में दही में केला एवं थोड़ी-सी केसर मिलाकर सेवन करें आशातीत लाभ होगा।

भोजन के ठीक से नहीं पचने तथा मल पतला व आँव होने पर काली मिर्च, सेंधा नमक, अजवायन, सूखा पुदीना और बड़ी इलायची- ये सब समान मात्रा में लेकर पीस लें और भोजन के पश्चात् एक चम्मच पानी के साथ लें। कुछ दिनों में ही बहुत लाभ होगा।

अतिसार में भुनी व कच्ची सौंफ का समभाग चूर्ण दो-दो चम्मच मट्ठे से चार बार लेना लाभप्रद है।

दस्त लगने का आयुर्वेदिक इलाज :

1)   रामवाण रस, पीयूष वल्ली रस, भुवनेश्वर रस, नृपति बल्लभ रस, आनन्द भैरव रस, कनक सुन्दर रस, सूत राज रस, शंखोदय रस, कर्पूर रस, महा गन्धक रस, सर्वातीसारान्तक रस, सूतशेखर रस, लक्ष्मी नारायण रस, मृत संजीवन रस, अतिसारवारण रस-वयस्कों को 125 से 250 मि.ग्रा. मधु, अथवा जल या तक्र या निम्बू नीर के अनुपानों के साथ।

2)  शंख भस्म, वराटिका भस्म, लौह भस्म, प्रवाल भस्म, अभ्रक भस्म 120 से 500 मि.ग्रा. तक रोग की अवस्थानुसार मधु के साथ अथवा निम्बू स्वरस के साथ।

3)  रस पर्पटी, पंचामृत पर्पटी, बोल पर्पटी 60 मि.ग्रा. मधु या चित्रकादि वटी, लशुनादि वटी 2-2 गोली भोजनोपरान्त जल से।

4)  गंगाधर चूर्ण, लवण भास्कर चूर्ण, कुटजाष्टक चूर्ण, लवंग चतुस्सम चूर्ण, दाडिमाष्टक चूर्ण, कपित्थाष्टक चूर्ण, शतपुष्यादि चूर्ण, जातीफलादि चूर्ण 1 से 3 ग्राम (पत्रक के निर्देशानुसार) मधु, जल, तक्र या पानी निकाले दधि के साथ।

5)  धान्य पंचक क्वाथ, देव दादि क्वाथ, कुटजाष्टक क्वाथ, वत्स आदि क्वाथ, उशीरादि क्वाथ, हरी बेरादि क्वाथ, पथ्यादि क्वाथ 10 से 20 मि.ली. दिन में 2 बार।

6)  कुटजारिष्ट, उशीरासव, अहिफेनासव (जीरकांद्यारिष्टा प्रसूता के अतिसार में) 15 से 20 मि.ली. समान जल के साथ भोजनोत्तर दें।

नोट–अहिफेनासव 10 बूंद को 2-3 बार पर्याप्त जल के साथ प्रयोग करायें।

नोट :- किसी भी औषधि या जानकारी को व्यावहारिक रूप में आजमाने से पहले अपने चिकित्सक या सम्बंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ से राय अवश्य ले यह नितांत जरूरी है ।

1)   बेल चूर्ण(Bael churna)
2)   तुलसी अर्क ( Tulsi Ark)

होमेओपेथी द्वारा

बार – बार बहुत ज्यादा या कम मात्रा में पतला पाखाना आने को दस्त कहते हैं कारण – ज्यादा मात्रा में खराब भोजन खाने से , बहुत गर्मी से , सर्दी लगने से , पसीना रुकने से , पाचन क्रिया में गड़बड़ी होने से दस्त होने लगते ह लक्षण – कभी बिना दर्द के या कभी पेट दर्द के साथ बार – बार आना , कभी बिल्कुल पतला , कभी बिल्कुल पानी के तरह , कभी आंव के साथ |

गरिस्ठ , मसालेदार या ज्यादा भोजन खा लेने के बाद बार बार पाखाना जाने की इच्छा हो , दूध सहन न होता हो – (नक्स वोमिका 30, दिन में 3 बार)

अधिक चिकनाई युक्त भोजन , केक-पेस्ट्री आदि के बाद, प्यास कम , दस्तों का रंग बदलता रहे , रात में ज्यादा हो – (पल्साटिला 30, दिन में 3 बार)

दस्त के साथ बहुत अधिक कमजोरी , बिना दर्द के पानी जैसा पतला दस्त , बहुत प्यास , सारे शरीर में पसीना – (चाइना 30, दिन में 3 बार)

गन्दा पानी पीने के कारण दस्त , हल्के पीले रंग का, बहुत अधिक परिमाण में , बदबूदार , बड़े वेग के साथ आये – (पोडोफाईलम 30, दिन में 3 बार )

वायु निकलते समय अनजाने में दस्त हो जाना , पाखाना जाने की इच्छा होने पर वेग सम्भाला नहीं जाता – (एलो सोक 30, दिन में 3 बार )

पेट दर्द के साथ गहरे पीले रंग का दस्त , कभी कभी पतला हल्के रंग का दस्त , परिमाण में थोडा , खाने पीने के बाद दस्तों का बढ़ जाना – (कोलोसिंथ 30, दिन में 3 बार )

खराब या रखा हुआ , बासी खाना खाने के कारण , खराब फल या पानी पीने की वजह से दस्त , थोडा – थोडा पानी पीने की इच्छा – (आर्सेनिक 30, दिन में 3 बार )

गोल मटोल (मोटे, थुलथुले) बच्चों में खट्टी बदबू वाले दस्त , सर पर पसीना – (कल्केरिया कार्ब 30, दिन में 3 बार)

अत्यधिक खट्टी बदबू वाले दस्त , बच्चे के शरीर से भी खट्टी गंध आये – (रियुम 30, दिन में 3 बार )

बच्चों को दूध पीने के बाद दस्त – (मैग्नेशिया कार्ब 30, दिन में 3 बार )

जब दस्त काफी वेग से निकले और जरा सा भी खाने पीने से बढे, पीले पतले दस्त , गर्म पानी से आराम लगे – (क्रोटन टिग 30, दिन में 3 बार )

पुराने दस्त , सुबह के समय ज्यादा , रोगी को बिस्तर से उठते ही शौच के लिए भागना पड़े – (सल्फर 30, दिन में 3 बार)

चिडचिडे स्वभाव वाले बच्चों में दांत निकलने समय दस्त होना , शौच से पहले शरीर में ऐंठन – (कैमोमिला 30, दिन में 3 बार )

1. खाना खाने के 90 मिनट बाद पानी पिये व जरूर पियें
2. फ्रीज या बर्फ (ठंडा) का पानी न पिये
3. पानी को हमेशा घुट घुट कर पिये ( गर्म दूध की तरह)
4. सुबह उठते ही बिना कुल्ला किये गुनगुना पानी पिये
5.खाना खाने से 48 मिनट पहले पानी पिये
6. सुबह में खाना खाने के तुरंत बाद पीना हो तो जूस पिये
7. दोपहर में खाना खाने के तुरंत बाद पीना हो तो मठ्ठा पिये
8. रात्रि में खाना खाने के तुरंत बाद पीना हो तो दूध पिये
9. उरद की दाल के साथ दही न खाए (उरद की दाल का दही बडा )
10.हमेशा दक्षिण या पूर्व में सर करके सोये
11. खाना हमेशा जमीन पर सुखासन में बैठ कर खाये
12. अलमुनियम के बर्तन का बना खाना न खाए(प्रेशर कुकर का )
13.कभी भी मूत्र मल जम्हाई प्यास छिक नींद इस तरह के 13 वेग को न रोकें
14. दूध को खड़े हो कर पानी व अन्य तरल पेय को बैठ कर पिये
15. मैदा चीनी रिफाइंड तेल और सफेद नमक का प्रयोग न करे ( इसकी जगह पर गुड , काला या सेंधा नमक का प्रयोग करे)

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