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कई रोगों को दूर करता है उत्तराखंड का कोदा या मडुआ

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उत्तराखंड के गाँवों में कोदा की रोटी लगभग हर घर में बनती है। इसे मड़ुवा या रागी के नाम से भी जाना जाता है। अध‍िकतर पहाड़ी लोग इसे पसंद करते हैं। गाँव के बड़े बुजुर्ग आज भी कोदे की रोटी को बड़े ही चाव से खाते है और उसे ही अच्छा भी मानते हैं। पौष्टिक गुणों से भरपूर कोदा पहाड़ के लोगों की शान है। हमारे उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में मोटे अनाज के रूप में जाने जाने वाले कोदे ने सदियों पूर्व से ग्रामीण परिवारों का भरण-पोषण आसानी से किया है।
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इसका इस्तेमाल होता रहा तो लोगों को कई बीमारी से मुक्ति मिल जाएगी। जापान में तो इससे शिशुओं के लिये खास तौर पर पौष्टिक आहार तैयार किया जाता है। उत्तराखंड सरकार ने भी सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मडुआ के बने व्यंजन देने की व्यवस्था की थी। कहने का मतलब यह है कि मडुआ को छह माह के बच्चे से लेकर गर्भवती महिलाओं, बीमार व्यक्तियों और वृद्धजनों तक सभी को दिया जा सकता है। कोदा खाने में स्वादिष्ट पोष्टिकता से भरपूर निरोग अनाज है। कोदे का इस्तेमाल रोटी, सूप, जूस, उपमा, डोसा, केक, चॉकलेट, बिस्किट्स, चिप्स, और आर्युवेदिक दवा के रूप में होता है। भारत विश्व के टॉप 10 देशों में से नम्बर 1 पर हैं, जो सबसे ज्यादा मंडुआ पैदावार करने वाला देश है। कोदे की रोटी खाने से शरीर में आसानी से कैल्शियम, प्रोटीन, ट्रिपटोफैन, आयरन, मिथियोनिन, रेशे, लेशिथिन इत्यादि महत्वपूर्ण स्वास्थ्यवर्धक तत्वों की पूर्ति हो जाती है।
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कोदा या मडुआ के फायदे

मोटापा घटाने के लिए डाईटिंग के दौरान कोदे की रोटी फायदेमंद है। कोदा में फैट की मात्रा कम होती है। साथ में एमिनो अम्ल और रेशे बुहु मात्रा में होते हैं।
कोदा में 80 प्रतिशत कैल्श्यिम की मात्रा पाई जाती है। कोदा हड्डियों में ऑस्टियोपोरोसिस होने से बचाने में सहायक है!
कोदा डायबिटीज पीड़िता के लिए उत्तम अनाज माना गया है। मंडुआ में रिच फाईबर युक्त और शुगर फ्री अनाज है।
कोदा में आयरन रिच मात्रा में मौजूद हैं। कोदे की आटे की रोटी और पत्तेदार हरी सब्जी लगातार 15-20 दिन मात्र खाने से रक्त की कमी तुरन्त दूर हो जाती है।
रक्तचाप बढ़ने पर नियंत्रण का काम करता हैं। रक्त चाप नियत्रंण करने के लिए रोज मंडुआ की रोटी खायें। फिर 1 गिलास नींबू रस पानी पीयें। मंडुआ और नींबू रक्तचाव समस्या को ठीक करने सहायक है।
माताओं में दूध की कमी होने पर रोज मंडुआ रोटी साग खाने से समस्या दूर हो जाती है। मंडुआ रोटी, हरी साग, अंगूर, दूध, फल खूब खायें। इससे माताओं में फोलिक एसिड, आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन, फाइबर, विटामिनस मिनरलस की पूर्ति आसानी हो जाती है। मंडुवा एक तरह से नेचुरल टॉनिक का काम करता है।
कोदा खाने से पेट की गैस कब्ज की समस्या कम करने में सहायक और पाचन शक्ति सुचारू करने में सहायक है। कोदा जल्दी पाचने वाला निरोग अनाज है।
मंडुआ जुकाम, सर्दी से होने वाले गले दर्द, गले में खरास को जल्दी ठीक करने में सहायक है। 1 चम्मच अदरक रस, 5-6 लौंग पीसकर आधा लीटर पानी में उबाले। फिर उबले पानी में आधा कटोरी मंडआं रागी आटा अच्छे से मिलाकर पकायें। गर्म-गर्म सूजी सेवन करने से गला दर्द, खरास जल्दी करने में सहायक है।
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