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कपूर camphor के बेहतरीन उपयोग

इसका पेड़ 100 फिट उचा व 6 8 फिट चौड़ा होता है
इसकी बाहरी छाल खुरदरी व मटमैली होती है व अंदर से चिकनी होती है।
इसके पत्ते हल्के पीले एकान्तर सुगन्धित 2 4 इंच लंबे होते हैं

इसके फल काले रंग के बीज छोटे व सभी अंग से कपूर की गंध आती है इसके छाल को काटने से एक गोंद निकलता है जो सूखने के बाद कपूर कहलाता है

कपूर स्थान बनावट व रंग के अनुसार कईं प्रकार के होते हैं लेकिन ये भीमसेनी,चीनी,कच्चा व भारतीय कपूर के नाम से अधिक प्रचलित है

भीमसेनी कपूर औषधि रूप में उपयोग होता है यह चीनी कपूर से भारी होता है यह पानी मे डूब जाता है

चीनी कपूर को पिपरमेंट अजवायन रस में मिलाने से द्रव में बदल जाता है

भारतीय कपूर तुलसी के पौधे से प्राप्त होती है जो तुलसी कुल की एक प्रजाति है इसके पौधे के पत्तियों से तेज खुशबू आती है। इसकी पत्तियों से 80% कपूर निकलता है

कपूर मीठा तीखा कडुवा लघु व शीतल होता है
इसका रस कड़वा होने के कारण त्रिदोष (वात पित कफ ) नाशक है

कपूर प्यास को शांत,पाचनशक्ति बढ़ाने,ज्वर नाशक,रुचि वर्धक,हृदय उत्तेजक, पसीना लाने, कफ नाशक, दर्द निवारक, वीर्य वर्धक,उदर रोग हरण व सूजन नाशक है। कामोत्तजना व गर्भाशय उत्तेजना को शांत करता है , पेट के कीड़े व कमर दर्द नष्ट करता है। फोड़े फुंसी,नकसीर,कीड़े होना,क्षय रोग,पुराना बुखार,दस्त रोग,हैजा, दमा,गठिया,जोड़ो के दर्द,टेटनस, कुकर खाँसी,फेफड़ो के रोग,चर्म रोग व सभी प्रकार के वायरस को नष्ट करने हेतु उपयोग होता है

दिल की धड़कन बढ़ जाने पर इसके प्रयोग से धडकन सामान्य हो जाती है।

शरीर ठंडा होने पर इसके उपयोग से शरीर का तापमान सामान्य हो जाता है

होमेओपेथी में इसकी दवा बनती है camphor के नाम से

इसका सेवन लगभग 1 ग्राम के चौथाई भाग ही करना लाभकारी होता है।

गठिया :- 500ml तिल या सरसो या तारपीन या अरण्ड के तेल में काँच की बोतल में 10 ग्राम कपूर पाउडर डालकर 5 6 दिन धूप में रखकर मालिश करें यह तेल गठिया के साथ साथ सभी जोड़ो के दर्द हेतु

खाज खुजली :- चमेली या नारियल तेल या एलोवेरा रस में मिलाकर लगाने से सभी प्रकार के चर्म रोग हेतु

मांसपेशियों व हाथ पैर की ऐंठन :- 4 गुने सरसो तेल में मिलाकर मालिश करने व चौथाई ग्राम कपूर के सेवन से रोग नष्ट होता है

प्रसव दर्द :- प्रसव के समय दर्द असहनीय हो तो एक ग्राम का आठवां हिस्सा कपूर केले में मिलाकर खाने से प्रसव दर्दरहित होता है

योनि में खुजली व जलन:- एक चौथाई ग्राम कपूर के सेवन से व खुजली वाली जगह पर तेल में घोलकर लगाने से

वमन :- कपूर का रस 3 4 बुंन्द पानी मे मिलाकर पीने या गुड़ में थोड़ी कपूर मिलाकर खाने से उल्टी बन्द हो जाती है

खून की उल्टी :- 2 ग्राम कपूर एक ग्राम भांग पानी मे पीसकर मूंग के दाल के बराबर गोलियां बनाकर छाह में सुखाकर 1 1 गोली 3 3 घण्टे पर पानी के साथ सेवन करने से खून की उल्टी बन्द होती है

मुँह के छाले :- कपूर का पाउडर छालों पर लगाने से मुंह के छाले 1 दाने खत्म होते हैं

कपूर और मिश्री बराबर मात्रा में मिलाकर चुटकी भर की मात्रा में इसे दिन में तीन से चार बार चूसने से मुंह के छाले नष्ट होते हैं इसका प्रयोग बच्चों के लिये भी कर सकते हैं

पान में चने के बराबर कपूर का टुकड़ा डालकर चबाने एवं सुख को सुख से रहने से मुंह के जख्म ठीक होते हैं

देसी घी में कपूर मिलाकर रोजाना चार बार जखम या छालों पर लगाने एवं लाभ को गिराते रहने से मुंह के जख्म एवं छाले नष्ट होते हैं

हिचकी :- कपूर और कचरी का घोल बनाकर रोजाना दो से तीन बार सेवन करने से हिचकी में लाभ होता है

गर्भपात में रक्षा :-भीमसेनी कपूर को गुलाब के रस में पीसकर योनि पर मलने से गर्भपात नहीं होता है

गर्भाशय के रोग :-मासिक धर्म के समय यदि यदि गर्भाशय में किसी प्रकार की पीड़ा हो तो कपूर 120 मिलीग्राम से 240 मिलीग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से रोग में लाभ मिलता है गर्भाशय की पीड़ा अन्य कारणों से होने पर भी इसका प्रयोग लाभकारी होता है गर्भवती स्त्री को इसका सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे दूध कम हो जाता है

कमर दर्द:- कमर दर्द में कपूर को 4 गुने किसी के तेल में मिलाकर कमर पर मालिश करें इससे कमर दर्द में लाभ होता है

बवासीर :- कपूर को 8 गुना अरंडी के गर्म तेल में मिलाकर मलहम बना लें और सुबह शौच से आने के बाद मस्सों पर मस्सों को धोकर पूछकर साफ करके इस मलहम को उस पर लगाएं इसको लगाने से बवासीर का दर्द जलन एवं चुभन दूर होता है तथा मस्से सूखकर गिर जाते हैं

कपूर रसोद चाकू और नीम का फूल 10:00 10 ग्राम की मात्रा में लेकर कूट पीसकर चूर्ण बना लें इसके बाद एक मूली कि को लंबाई में बीच से काटकर उसमें चूर्ण को भर दें और मूली को कपड़े से लपेट कर उसके ऊपर मिट्टी लगा कर आग में उन्हें भूल जाने के बाद मूली के ऊपर की मिट्टी कपड़े उतारकर मुरली को सिलबट्टे पर पीस लें और मटर के बराबर गोलियां बना ले एक गोली प्रतिदिन सुबह खाली पेट पानी के साथ लेने से 1 सप्ताह में ही बवासीर ठीक हो जाता है

चोट लगना :- चोट लगने पर घी और कपूर बराबर मात्रा में मिलाकर चोट वाले स्थान पर बांध दें इससे चोट लगने से होने वाले दर्द में आराम मिलता है और खून बहना भी ठीक होता है
कपूर को उसके 4 गुने तेल में मिलाकर चोट मोच स्थान आदि में मालिश करने से दर्द दूर होता है

मासिकधर्म :- आधा ग्राम मैदा एवं कपूर चुरा को मिलाकर 4 गोलियां बना लें इन गोलियों में से एक की गोली प्रतिदिन सुबह खाली पेट सेवन करने से मासिक धर्म संबंधी अरुण बड़ी दूर होती है इसका सेवन मासिक स्राव में लगभग 4 दिन पहले करना चाहिए मासिक धर्म शुरू होने के बाद इसका सेवन करना हानिकारक होता है

घाव :- रसोत और कपूर को मक्खन में मिलाकर घाव पर लगाने से कटने से होने वाले गांव एवं पुराना घाव ठीक होता है

अग्निमंधता ( पाचनतंत्र की कमजोरी):- कपूर 10 ग्राम अजवाइन का रस 10 ग्राम पुदीने का रस 10 ml यूकेलिप्टस आयल 10 ग्राम को पीसकर 1 सीसी में रखकर 1 घंटे तक रखें इस में से दो बूंद सुबह शाम खाना खाने के बाद पानी के साथ सेवन करें

ब्लड प्रेशर :- 120 मिलीग्राम से 240 मिलीग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम लेने से रक्तचाप कम होता है
कपूर का रस 5 से 20 बूंद की मात्रा में बतासे पर डालकर प्रतिदिन दो से तीन बार लेने से रक्तचाप सामान्य होता है

छींक अधिक आना :- यदि अधिक ठंड लगने या पानी में भीग जाने के कारण छींक अधिक आती हो तो एक चावल के दाने के बराबर कपूर को बता से में डालकर या गुड़ के साथ मिलाकर खाएं और ऊपर से पानी पिएं इससे छींक का अधिक आना एवं जुकाम में लाभ मिलता है

लू लगना :- यदि किसी को लू लग गया हो तो कपूर का रस लगभग 10 बूंद की मात्रा में पानी के साथ थोड़ी थोड़ी देर पर रोगी को पिलाने से लू में आराम मिलता है

शीत पित :- शीतपित्त के रोग में पीड़ित रोगी की त्वचा पर कपूर को नारियल के तेल में मिलाकर लगाना चाहिए इससे शीतपित्त के रोग में लाभ मिलता है
कपूर को नीम के तेल में मिलाकर शीतपित्त के रोगी से ग्रस्त रोगी के जख्मों पर लगाना चाहिए इससे रोग में जल्दी लाभ मिलता है

पानी में डूबना 240 मिलीग्राम की मात्रा में कपूर या 520 मंथ कपूर का रस बतासे में डालकर रोगी को पिलाने से पूरे शरीर में शक्ति ऊर्जा बढ़ती है और रोगी को जीने की आशा बढ़ जाती है

पाला मारना यदि अधिक ठंड के कारण पाला मार गया हो तो शरीर का तापमान बढ़ाने के लिए कपूर को बता से या गुड़ में मिलाकर रोगी को सेवन कराएं इससे शारीरिक तापमान बढ़कर रोग दूर होता है पाला से ग्रस्त रोगी का शारीरिक तापमान बढ़ाने के लिए 5 से 10 बंदे कपूर का रस बता से या गुड़ के साथ सेवन करने से लाभ होता है

प्लेग रोग:- प्लेग में प्लेग से बचने के लिए और अपने आसपास के वातावरण को शुद्ध करने के लिए कपूर को जलाएं

दाँत के कीड़े:- कपूर का टुकड़ा गांव के आधार पर लगाने से दांत के कीड़े मर जाते हैं

लिंग की त्वचा का न खुलना :- तीसी के तेल में कपूर मिलाकर उस से लिंग पर मालिश करने से लिंग के अगले भाग की त्वचा खुल जाती है

स्तन में दूध का अधिक आना :-कपूर को पीसकर पेस्ट बनाकर स्तनों पर लगाने और 120 से 240 मिलीग्राम की मात्रा में सेवन करने से स्त्रियों के स्तनों में दूध की अधिक कम हो जाता है

धातु दोष वीर्य की कमजोरी :- 240 मिलीग्राम कपूर तथा 30 मिलीग्राम अफीम को मिलाकर गोली बनाकर रात को सोते समय खाने से वीर्य संबंधी रोग मिट जाते हैं

नाक के रोग :-
10 ग्राम कपूर को 10 मिलीलीटर तारपीन के तेल के साथ मिलाकर पीस लें और एक शीशी में भरकर रख दें जब कपूर अच्छी तरह से गल जाए तो इसे मिलाकर रोगी के नाक में पांच-पांच बंद करके डाल दें इससे नाक में डालने से पुराना जुकाम रोग ठीक होता है और नाक के कीड़े भी मर जाते हैं

जुकाम होने पर कपूर सूंघने से नष्ट होता है

लगभग 120 मिलीग्राम एक चम्मच बतासे या गुड़ में डालकर सेवन करने और ऊपर से पानी पीने से जुकाम में लाभ होता है शुरुआत में एक ही बार लेना काफी है अगर जरूरत पड़े तो दूसरी बार भी ले सकते हैं अगर जुकाम होने के कारण सीकर आ रही हो तो चावल के दाने के बराबर कपूर को एक चम्मच गुड़ के साथ मुंह में रख कर पानी पी लें इससे जुकाम भी ठीक हो जाता है और छीकें भी बंद हो जाती है अगर जुकाम पुराना हो जाए और नाक में कीड़े पड़ जाए तो नाक से बदबू आने लगे तो ऐसा होने पर 3 ग्राम कपूर 6 ग्राम सेलखड़ी को मिलाकर पीस लें इस रस को रोजाना तीन चार बार नाक में डालने से खत्म होता है

नकसीर
कपूर और तिल के तेल को एक साथ मिलाकर नाक में डालने से नकसीर के रोग में आराम आता है
कपूर और सफेद चंदन को माथे पर लेप करने से नकसीर के रोग में आराम मिलता है
देसी घी के अंदर थोड़ा सा कपूर मिलाकर नाक में डालने से नकसीर ठीक हो जाता है
लगभग 120 ग्राम कपूर के चूर्ण को हरे धनिए के साथ पानी में मिलाकर नाक में डालने से नकसीर ठीक हो जाता है

3 ग्राम देशी कपूर और 6 ग्राम सेलखड़ी को एक साथ मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें इस चूर्ण को नाक से सूंघने से पुराना जुकाम दूर होता है

10 ग्राम कपूर और 10 ग्राम तारपीन के तेल को मिलाकर थोड़ी देर धूप में सुखाकर 1 सीसी में रखें इस में से पांच पांच बूंद तेल रोगी के नाक में डालने से पुराना जुकाम ठीक हो जाता है

मूर्छा बेहोशी लगभग 1 ग्राम कपूर और 6 ग्राम सफेद चंदन को गुलाब के रस में विश्कर्मा के छाती और पूरे शरीर पर लेप करने से बेहोशी दूर होती है कपूर और हींग को लगभग 3:00 3 ग्राम की मात्रा में महीन पीस कर लगभग 240 240 मिलीग्राम की मात्रा में सुबह शाम पानी के साथ देने से बेहोशी दूर हो जाती है

दिल की धड़कन का बढ़ना यदि दिल की धड़कन तेज हो गई हो तो रोगी को थोड़ा सा कपूर सेवन कराएं इससे दिल की धड़कन सामान्य हो जाती है

हैजा से पीड़ित रोगी को ठीक करने के लिए इसका उपयोग करें सूरज कपूर 20 ग्राम भुनी हुई है 12 ग्राम शुद्ध क्रीम 10 ग्राम और लाल मिर्च एवं इसबगोल पाठ 5 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी के साथ पीस लें इसके बाद इसके चने के बराबर गोलियां बना लें और एक एक एक गोली गुलाब जल अथवा ताजे पानी के साथ एक 1 घंटे के अंतर पर रोगी को देते रहने से दो-तीन मात्रा में ही स्वस्थ एवं उल्टी रुक जाती है यदि किसी में हैजा शुरुआती अवस्था में दिखाई दे तो कब पूरा सब को बताशे में डालकर बार-बार देने से हैजा रोग में लाभ होता है इसका प्रयोग सांस हृदय तथा रक्तचाप के लिए उत्तेजक है

कपूर रिमाइंडर सेट को बराबर मात्रा में मिला लें और इस से प्राप्त रस को एक-एक बूंद की मात्रा में रखकर रवि को दें इससे हैजा में बेहद लाभ होता है

कपूर को महीन कपड़े में बांधकर पानी में डुबाने से यह पानी कपुरासव कहलाता है बीच-बीच में सेवन करते रहने से स्थिति खराब नहीं हो पाती 30 मिलीग्राम से 50 ग्राम मात्रा काफी है

गुल्मवायू हिस्टीरिया :- 28 मिलीलीटर कपूर कचरी का रस सुबह शाम सेवन करने से हिस्ट्रीया रोग ठीक होता है

विकारी भाव :- 120 मिलीग्राम कपूर की मात्रा प्रतिदिन खिलाने से स्त्री की कामोत्तेजना कम होती है

स्नायु डेढ़ ग्राम कपूर को दही में घोलकर 3 दिन तक पीने से स्नायु रोग नष्ट होता है इसके प्रयोग से हड्डियों में घाव होने से रोकता है

नाखून के रोग एक-एक ग्राम कपूर और गंधक लेकर उसे मिट्टी के तेल में मिला लें या मलहम की तरह हो जाए तो उसे नाखून पर प्रतिदिन दो से तीन बार लेप करें इससे नाखून पर लेप करने से रोगों में जल्द लाभ होता है

चेचक लगभग 120 मिलीग्राम से 240 मिलीग्राम कपूर या 5 से 20 बूंद कपुरासव या 28 मिलीलीटर से 56 मिलीलीटर कपुरामबु का सेवन करना चाहिए इससे अधिक पसीना आकर बुखार निकल जाता है कपूर को पतले कपड़े में बांधकर पानी में डुबाने से कपुरामबु बनता है

पसलियों में दर्द हो रहा हो तो कपूर का रस छाती एवं पसलियों पर मालिश करें इससे पसलियों का दर्द ठीक होता है

गंधक कपूर और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ पीसकर दाद पर लगाने से दाद मिटता है

20 ग्राम कपूर 20 ग्राम दाल 10 ग्राम नीला थोथा 20 ग्राम मूंग और 20 ग्राम सिंदूर को पीसकर घी में मिलाकर लेप बना लें इस तैयार लेख को प्रतिदिन फोड़े फुंसियों पर लगाने से आराम मिलता है

तिल के तेल में साफ मॉम और थोड़ा सा कपूर डालकर गर्म कर लें अब इस मिश्रण को एक शीशी में भरकर रख लें रोज रात को हाथों पर तेल को लगाने से हाथों का खुरदुरापन दूर होता है

गाय के घी को सौ बार ताजे पानी में धोकर साफ कर लें और फिर उस जी में कपूर मिलाकर होठों पर लगाएं इससे होठों के कटने फटने एवं अन्य रोग ठीक होते हैं

यदि शरीर के किसी अंग से खून निकल रहा हो तो खून को रोकने के लिए लाल चंदन और कपूर को मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से लाभ होता है

120 से 240 मिलीग्राम कपूर को प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से लिंग की उत्तेजना कम होती है

गुलाब जल के साथ चंदन को घिसकर और इसमें कपूर मिलाकर त्वचा की सूजन पर लगाएं इससे त्वचा की सूजन मिटती और त्वचा मुलायम होती है

120 मिलीग्राम कपूर या 5 से 20 बूंद कपूर का रस सेवन करने से बच्चों को खसरा रोग में आराम मिलता है हंसने के दाने जब अपने आप सूख जाए तो उस पर कपूर को नारियल के तेल में मिलाकर लगाना चाहिए

120 मिलीग्राम से 240 मिलीग्राम कपूर या 5 से 20 बूंद कपूर का रस का प्रयोग करने से हृदय एवं खून की क्रिया तेज होती है एक कपूर को 8 गुने दूध में घोलकर एक चौथाई चम्मच की मात्रा में चार चार घंटों के अंतर पर लेते रहें इससे नाड़ी की गति सामान्य होती है कपूर को 4 गुने सरसों के तेल में मिलाकर शरीर पर मालिश करने से नाड़ी की गति सामान्य होती है

3 ग्राम कपूर और 1 ग्राम पठानी लोध को पीसकर एक पोटली में बांध लें इसके बाद इस पोटली को 1 घंटे तक पानी में भिगोकर रखें फिर इस पोटली को पानी से निकालकर आंखों पर लगाने से आंखों के दर्द सूजन एवं जलन आदि दूर होते हैं

शरीर में सूजन होने पर कपूर को गाय के घी के साथ मिलाकर लेप बना लें और इस लेप से शरीर पर मालिश करने से सूजन सूजन खत्म होती है

कपूर का तेल बनाने की विधि और उपयोग विधि घर पर बनाने के लिए नारियल के तेल या सुशील के तेल में कपूर के कुछ टुकड़े डालकर इसे किसी एयरटाइट डिब्बे में भरकर रख दें कुछ समय में नारियल का तेल कपूर के शत्रु को ग्रहण कर लेगा इस तेल का प्रयोग संधिवात जोड़ों की सूजन शरीर की गांठ जखम एवं दर्द आदि को दूर करने के लिए किया जाता है

कपूर के नुकसान कपूर का सेवन अधिक मात्रा में करने से शरीर पर विषैला प्रभाव पड़ता है जिसके कारण पेट दर्द उल्टी प्रलाप ग्राम लकवा पेशाब में रूकावट अंगों का सुन होना पागलपन बेहोशी आंखों से कम दिखाई देना शरीर का नीला होना चेहरे का सूज जाना दस्त रोग नपुंसकता चंदा दुर्बलता खून की कमी आदि लक्षण उत्पन्न होता है

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