[प्रोटीन्स का चयापचय (Metabolism of proteins)
भोजन करने के दौरान ली गए प्रोटीन में लगभग 20 प्रकार के अमीनो एसिड्स होते हैं। इनमें से लगभग 9 प्रकार के जरूरी अमीनो एसिड्स (essential amino acids) होते हैं, क्योंकि शरीर में इनका संश्लेषण नहीं होता है और इनकी आपूर्ति भोजन से ही होती है। बाकी 11 अमीनो एसिड्स अनावश्यक अमीनो एसिड्स (non-essential amino acids) कहलाते हैं क्योंकि इनका संश्लेषण शरीर की कोशिकाओं द्वारा होता है।
पाचक नली में भोजन की प्रोटीन्स (dietary proteins) जठर रस, अग्न्याशय रस तथा आंत्रिक रस के एन्जाइम्स द्वारा अमीनो एसिड्स में बदल जाती है। अमीनो एसिड्स छोटी आंत के अंकुरों (villi) द्वारा अवशोषित होकर उनके भीतर मौजूद रक्त कोशिकाओं के रक्त में मिल जाते हैं और फिर पोर्टल शिरा द्वारा जिगर में पहुंच जाते हैं और जिगर से सामान्य रक्त परिसंचरण में पहुंच जाते हैं, जिससे ये शरीर की सारी कोशिकाओं और ऊतकों के उपयोग के लिए उपलब्ध हो जाते हैं। इन उपलब्ध अमीनो एसिड्स में से शरीर की विभिन्न प्रकार की कोशिकाएं अपने विशिष्ट प्रकार के ऊतक की वृद्धि और उसकी मरम्मत के लिए तथा न्यूक्लियक एसिड्स के न्यूक्लियोटाइड्स (Nucleotides), एंटीबॉडीज, हॉर्मोंस अथवा अन्य नाइट्रोजन युक्त यौगिकों के संश्लेषण के लिए विशेष अमीनो एसिड्स का चयन कर लेती है। इनका उपयोग अंगों द्वारा ऊतक प्रोटीन्स तथा जिगर द्वारा प्लाज्मा प्रोटीन्स के संश्लेषण में भी होता है। इसी समय शरीर के ऊतकों में होने वाली टूट-फूट के कारण उनकी प्रोटीन भी अमीनो एसिड्स में विघटित हो जाती है।
भोजन में अधिक मात्रा में प्रोटीन्स का या अनावश्यक अमीनो एसिड्स (जिनकी शरीर के निर्माण में कोई खास जरूरत नहीं होती) का जिगर में विअमीनीकरण या डीएमिनेशन (deamination) हो जाता है। इस डीएमिनेशन प्रक्रिया में अमीनोएसिड्स नाइट्रोजनी (nitrogenous) तथा अनाइट्रोजनी (non-nitrogenons) पदार्थों में विघटित हो जाते हैं।
नाइट्रोजनी पदार्थों (यूरिया, अमोनिया, यूरिक, एसिड एवं क्रिएटिनीन) में मुख्य रूप से अमोनिया (NH3) होती है, जो यूरिया में बदल जाती है। यह यूरिया मूत्र के साथ शरीर से बाहर निकल जाती है। अनाइट्रोजनी भाग में ग्लूकोज के रूप में कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन रहते हैं, जो शरीर के लिए ऊर्जा (energy) और ऊष्मा (heat) के उत्पादन में प्रयोग कर लिए जाते हैं।
प्रोटीन संश्लेषण का नियमन निम्न हॉर्मोंस द्वारा होता है-
ग्रोथ हार्मोंन (GH) प्रोटीन संश्लेषण की दर को बढ़ाता है। इन्सुलिन (Insulin) तेजी से अमीनो एसिड्स को कोशिकाओं में पहुंचाता है तथा उपलब्ध ग्लूकोज की मात्रा को भी बढ़ाता है। ग्लूकोकॉर्टिकॉयड्स (Glucocorticoids) प्रोटीन के अपचय को बढ़ाते हैं जिसके फलस्वरूप शरीर के द्रव्यों में अमीनो एसिड्स की मात्रा बढ़ जाती है। थायरॉक्सीन (Thyroxine) पर्याप्त मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स और वसा (lipids) की उपलब्धता होने पर प्रोटीन संश्लेषण की दर को बढ़ाता है तथा दूसरे पोषक तत्वों की अपर्याप्त मात्रा होने पर प्रोटीन्स को ऊर्जा के लिए उपयोग करने के लिए विखण्डित करता है।
रसोईघर- से स्वास्थ्य सुझाव
1 .खराश या सूखी खाँसी के लिये अदरक और गुड़
गले में खराश या सूखी खाँसी होने पर पिसी हुई अदरक में गुड़ और घी मिलाकर खाएँ . गुड़ और घी के स्थान पर शहद का प्रयोग भी किया जा सकता है . आराम मिलेगा .
2 .दमे के लिये तुलसी और वासा
दमे
के रोगियों को तुलसी की 10 पत्तियों के साथ वासा ( अडूसा या वासक ) का 250 मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर दें . लगभग 21 दिनों तक सुबह यह काढ़ा पीने से आराम आ जाता है .
3 .अरुचि के लिये मुनक्का हरड़ और चीनी
भूख न लगती हो तो बराबर मात्रा में मुनक्का ( बीज निकाल दें ) , हरड़ और चीनी को पीसकर चटनी बना लें . इसे पाँच छह ग्राम की मात्रा में ( एक छोटा चम्मच ) , थोड़ा शहद मिला कर खाने से पहले दिन में दो बार चाटें .
4 .मौसमी खाँसी के लिये सेंधा नमक
सेंधे नमक की लगभग एक सौ ग्राम डली को चिमटे से पकड़कर आग पर , गैस पर या तवे पर अच्छी तरह गर्म कर लें . जब लाल होने लगे तब गर्म डली को तुरंत आधा कप पानी में डुबोकर निकाल लें और नमकीन गर्म पानी को एक ही बार में पी जाएँ . ऐसा नमकीन पानी सोते समय लगातार दो – तीन दिन पीने से खाँसी , विशेषकर बलगमी खाँसी से आराम मिलता है . नमक की डली को सुखाकर रख लें एक ही डली का बार बार प्रयोग किया जा सकता है .
5 .बदन के दर्द में कपूर और सरसों का तेल
10 ग्राम कपूर , 200 ग्राम सरसों का तेल – दोनों को शीशी में भरकर मजबूत ठक्कन लगा दें तथा शीशी धूप में रख दें . जब दोनों वस्तुएँ मिलकर एक रस होकर घुल जाए तब इस तेल की मालिश से नसों का दर्द , पीठ और कमर का दर्द और , माँसपेशियों के दर्द शीघ्र ही ठीक हो जाते हैं .
6 .बैठे हुए गले के लिये मुलेठी का चूर्ण
मुलेठी के चूर्ण को पान के पत्ते में रखकर खाने से बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है . या सोते समय एक ग्राम मुलेठी के चूर्ण को मुख में रखकर कुछ देर चबाते रहे . फिर वैसे ही मुँह में रखकर जाएँ . प्रातः काल तक गला साफ हो जायेगा . गले के दर्द और सूजन में भी आराम आ जाता है .
7 .फटे हाथ पैरों के लिये सरसों या जैतून का तेल
नाभि में प्रतिदिन सरसों का तेल लगाने से होंठ नहीं फटते और फटे हुए होंठ मुलायम और सुन्दर हो जाते है . साथ ही नेत्रों की खुजली और खुश्की दूर हो जाती है .
8 .सर्दी बुखार और साँस के पुराने रोगों के लिये तुलसी –
तुलसी की 21 पत्तियाँ स्वच्छ खरल या सिलबट्टे ( जिस पर मसाला न पीसा गया हो ) पर चटनी की भाँति पीस लें और से 10 से 30 ग्राम मीठे दही में मिलाकर नित्य प्रातः खाली पेट तीन मास तक खाएँ . दही खट्टा न हो . यदि दही माफिक न आये तो एक – दो चम्मच शहद मिलाकर लें . छोटे बच्चों को आधा ग्राम तुलसी की चटनी शहद में मिलाकर दें . दूध के साथ भूलकर भी न दें . औषधि प्रातः खाली पेट लें . आधा एक घंटे पश्चात नाश्ता ले सकते हैं .
9 .मुँह और गले के कष्टों के लिये सौंफ और मिश्री
भोजन के बाद दोनों समय आधा चम्मच सौंफ चबाने से मुख की अनेक बीमारियाँ और सूखी खाँसी दूर होती है , बैठी हुई आवाज़ खुल जाती है , गले की खुश्की ठीक होती है और आवाज मधुर हो जाती है .
10 .जोड़ों के दर्द के लिये बथुए का रस
बथुआ के ताजा पत्तों का रस पन्द्रह ग्राम प्रतिदिन पीने से गठिया दूर होता है . इस रस में नमक – चीनी आदि कुछ न मिलाएँ . नित्य प्रातः खाली पेट लें या फिर शाम चार बजे . इसके लेने के आगे पीछे दो – दो घंटे कुछ न लें . दो तीन माह तक लें .
मांड (चावल का पानी) के लाभ ::
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इसे पढ़ने के बाद आप कभी नहीं फेंकेगे चावल का पानी लगभग हर कोई भोजन में चावल खाना पसंद करता हैं, लेकिन क्या कभी आपने चावल के गर्मागर्म पानी का सेवन किया हैं जिसे लोग मांड के नाम से भी जानते हैं। क्या आप जानते हैं कि उबले चावलों का पानी हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है।
फायदेमंद चावल का पानी
अधिकांश महिलाये खाने को स्वादिष्ट बनाने के चक्कर में खाद्य पदार्थों के लाभकारी स्वास्थ्यवर्धक बहुमूल्य तत्वों को फेंक देती हैं जैसे चावल का मांड। चावल के मांड यानी पकाते वक्त बचा हुआ सफेद गाढा पानी बहुत काम का होता है। उसमें प्रोटीन, विटामिन व मिनरल होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने के साथ-साथ आपकी त्वचा और बालों के लिए भी फायदेमंद होते हैं। आपको विश्वास नहीं हो रहा न लेकिन यहां दिये उपायों को जानकर अगली बार आप चावल पकाते समय उसके पानी को फेंकने से पहले दो बार सोचेगें।
पेट के लिए फायदेमंद
जिन लोगों को अक्सर पेट की समस्या रहती है, ऐसे कमजोर पेट वाले लोगों के लिए चावल का मांड बहुत फायदेमंद होता है। चावल का मांड खाने से खाना पचाने में आसानी होती है। चावल में दूध मिलाकर 20 मिनट तक ढककर रख दीजिए, फिर उसके खाइए ज्यादा फायदा होगा। इसके अलावा चावल का पानी डायरिया और कब्ज से तुरंत राहत देता है।
तुरंत एनर्जी दें
चावल का पानी तुरंत एनर्जी देने में भी मदद करता है। चावलों का पानी पीने से शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है और एनर्जी मिलती है। इसमें मौजूद कार्बोहाइड्रेट की उच्च मात्रा के कारण यह शरीर को तुरंत एनर्जी देता है। इसलिए जब भी आपको एनर्जी का स्तर कम हो रहा है तो चावल का पानी लें।
त्वचा को चमकदार बनाये
त्वचा की चमक बढ़ने के लिए चावल के पानी का उपयोग किया जा सकता है। आपको नुकसान पहुंचाने वाले कॉस्मेटिक्स का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं है, केवल चावल के पानी के द्वारा आप उजली और चमकीली त्वचा पा सकते हैं। इसके लिए आप कॉटन को चावल के पानी में डुबाकर इसे चेहरे पर लगाकर चमकीली त्वचा प्राप्त कर सकते हैं।
मस्तिष्क के लिए फायदेमंद
चावल के पानी से दिमागी विकास और शरीर शक्तिशाली होता है। साथ यह अल्जामइर रोग को रोकने में मदद करता है। इसलिए अगर आप दिमाग तेज करना चाहते हैं तो चावल के पानी को बेकार समझकर फेंके नहीं।
हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करें
चावल का पानी हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है। चावल सोडियम में कम होने के कारण हाई ब्लड प्रेशर और हाईपरटेंशन से पीड़ित लोगों के लिए सबसे अच्छे आहार में से एक माना जाता है।
बालों के लिए फायदेमंद
बालों के लिए चावल का पानी बहुत फायदेमंद होता है। अगर आप पतले और बेजान बालों की समस्या से परेशान है तो चावलों के पानी से बालों को धोये। चावल के पानी से बालों को धोने से बाल घने होने के साथ-साथ बालों में चमक भी बनी रहती है। चावल के पानी को अपने बालों में लगाकर 20 मिनट के लिए छोड़ दें। फिर शैम्पू और कंडीशनर से धो लें। आप महंगे ट्रीटमेंट के बिना पा सकते हैं, सुंदर और चमकीले बाल।
कैंसर से बचाव
चावल का पानी पीने से कैंसर जैसी भंयकर बीमारी से भी राहत पाई जा सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि चावल में ट्यूमर को दबाने वाले तत्व देखे गए हैं और शायद यही आंतों के कैंसर से बचाव का एक कारण है।
[: गैंग्रीन और अन्य किसी भी प्रकार की चोटों का आयुर्वेदिक उपचार –
किसी अंग के सड़ जाना जख्म का न भरने का इलाज !
मित्रो कई बार चोट लग जाती है और कुछ छोटे बहुत ही गंभीर हो जाती है। और अगर किसी डाईबेटिक पेशेंट( शुगर का मरीज ) है और चोट लग गयी तो उसका सारा दुनिया जहां एक ही जगह है, क्योंकि जल्दी ठीक ही नही होता है। और उसके लिए कितनी भी कोशिश करे डॉक्टर को हर बार सफलता नहीं मिलती और अंत में वो चोट धीरे धीरे गैंग्रीन (अंग का सड़ जाना) में कन्वर्ट हो जाती है। और फिर वो अंग काटना पड़ता है, उतने हिस्से को शरीर से निकालना पड़ता है।
ऐसी परिस्तिथि में एक औषधि है जो गैंग्रीन को भी ठीक करती है और Osteomyelitis (अस्थिमज्जा का प्रदाह) को भी ठीक करती है। गैंग्रीन माने अंग का सड़ जाना, जहाँ पर नई कोशिकाएं विकसित नही होती । न तो मांस में और न ही हड्डी में !और सब पुरानी कोशिकाएं भी मरती जाती है । इसी का एक छोटा भाई है Osteomyelitis इसमें भी कोशिका कभी पुनर्जीवित नही होती
जिस हिस्से में ये होता है वहाँ बहुत बड़ा घाव हो जाता है और वो ऐसा सड़ता है के डॉक्टर कहता है की इसको काट के ही निकलना है और कोई दूसरा उपाय नही है।। ऐसे परिस्थिति में जहां शरीर का कोई अंग काटना पड़ जाता हो या पड़ने की संभावना हो, घाव बहुत हो गया हो उसके लिए आप एक औषधि अपने घर में तैयार कर सकते है।
औषधि है देशी गाय का मूत्र लीजिये (सूती के आठ परत कपड़ो में छान लीजिये ) ,
हल्दी लीजिये और गेंदे के फूल लीजिये । गेंदे के फुल की पीला या नारंगी पंखरियाँ निकलना है, फिर उसमे हल्दी डालकर गाय मूत्र डालकर उसकी चटनी बनानी है।
अब चोट का आकार कितना बढ़ा है उसकी साइज़ के हिसाब से गेंदे के फुल की संख्या तय होगी, माने चोट छोटे एरिया में है तो एक फुल, काफी है चोट बड़ी है तो दो, तीन,चार अंदाज़े से लेना है। इसकी चटनी बना के इस चटनी को लगाना है जहाँ पर भी बाहर से खुली हुई चोट है जिससे खून निकल जुका है और ठीक नही हो रहा। कितनी भी दवा खा रहे है पर ठीक नही हो रहा, ठीक न होने का एक कारण तो है डाईबटिस दूसरा कोई जैनेटिक कारण भी हो सकते है।
इसको दिन में कम से कम दो बार लगाना है जैसे सुबह लगाके उसके ऊपर रुई पट्टी बांध दीजिये ताकि उसका असर बॉडी पे रहे; और शाम को जब दुबारा लगायेंगे तो पहले वाला धोना पड़ेगा ! इसको गोमूत्र से ही धोना है डेटाल जैसो का प्रयोग मत करिए, गाय के मूत्र को डेटाल की तरह प्रयोग करे। धोने के बाद फिर से चटनी लगा दे। फिर अगले दिन सुबह कर दीजिये।
यह इतना प्रभावशाली है इतना प्रभावशाली है के आप सोच नही सकते देखेंगे तो चमत्कार जैसा लगेगा। यहाँ आप मात्र post पढ़ रहे लेकिन अगर आपने सच मे किया तब आपको इसका चमत्कार पता चलेगा !इस औषधि को हमेशा ताजा बनाके लगाना है। किसी का भी जखम किसी भी औषधि से ठीक नही हो रहा है तो ये लगाइए। जो सोराइसिस गिला है जिसमे खून भी निकलता है, पस भी निकलता है उसके लीजिये भी यह औषधि पूर्णरूप से ठीक कर देती है।
अकसर यह एक्सीडेंट के केस में खूब प्रयोग होता है क्योंकि ये लगाते ही खून बंद हो जाता है। ऑपरेशन का कोई भी घाव के लिए भी यह सबसे अच्छा औषधि है। गिला एक्जीमा में यह औषधि बहुत काम करता है, जले हुए जखम में भी काम करता है।
[ दिमाग के बारे में रोचक तथ्य
जब आप जाग रहे होते है तब आपका दिमाग 10 से 23 वाट तक की बिजली उर्जा छोड़ता है जो कि एक बिजली के बल्ब को भी चला सकती है.
मनुष्य के दिमाग में दर्द की कोई भी नस नही होती इसलिए वह कोई दर्द नही महसूस नही करता.
हमारा दिमाग 75% से ज्यादा पानी से बना होता है.
आपका दिमाग 5 साल की उम्र तक 95% बढ़ता है और 18 तक पहुँचते-पहुँचते 100% विकसित हो जाता है ओर उसके बाद बढ़ना रूक जाता है.
एक गर्भवती महिला के दिमाग के न्युरॉनज़ की गिणती 2,50,000 न्युरॅान प्रति मिनट के हिसाब से बढ़ती है.
आप अपने दिमाग में न्युरॉनज़ की गिणती दिमागी क्रियाएँ करके बढ़ा सकते हैं क्योंकि शरीर के जिस भी भाग की हम ज्यादा उपयोग करते है वह और विकसित होता जाता है.
पढ़ने और बोलने से एक बच्चो का दिमागी विकास ज्यादा होता है.
जब आप एक आदमी का चेहरा गौर से देखते है तो आप अपने दिमाग का दायां भाग उपयोग करते है.
हमारे शरीर के भिन्न हिस्सों से सुचना भिन्न रफतार से और भिन्न न्युरॉन के द्वारा हमारे दिमाग तक पहुँचती है. सारे न्युरॅान एक जैसे नही होते कई ऐसे न्युरॅान भी होते है जो सुचना को0.5 मीटर प्रति सैकेंड की रफतार से दिमाग तक पहुँचाते है और कई ऐसे भी होते है जो सुचना को 120 मीटर प्रति सैकेंड की रफतार से दिमाग तक पहुँचाते है.
आपके दिमाग की Right side आपकी body के left side को जबकि दिमाग की left side आपकी body के Right side को कंट्रोल करती है.