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: मांसपेशियों की ऐंठन (Muscle Cramps)

परिचय:-

मांसपेशियों की ऐंठन से पीड़ित रोगी की मांसपेशियों में ऐंठन होने लगती है और यह रोग शरीर के किसी भी भाग में हो सकता है लेकिन फिर भी यह रोग अधिकतर पैरों में होता है।
मांसपेशियों में ऐंठन होने का कारण-

मांसपेशियों में ऐंठन होने का सबसे प्रमुख कारण शरीर में विटामिन बी, डी कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम तथा प्राकृतिक लवणों की कमी होना है।
शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी होने के कारण भी मांसपेशियों में ऐंठन हो सकती है।
मानसिक तनाव, चिड़चिड़ापन तथा अन्य मनोंवैज्ञानिक कारण से भी यह यह रोग हो सकता है।
शरीर में सही तरीके से हारमोन्स का स्राव न होने के कारण भी मांसपेशियों में ऐंठन हो सकती है।
शरीर में अधिक कमजोरी होने के कारण भी मांसपेशियों में ऐंठन हो सकती है।
मांसपेशियों में ऐंठन का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-

मांसपेशियों में ऐंठन से पीड़ित रोगी को अपना उपचार करने के लिए संतुलित भोजन करना चाहिए। जिसमें फल, सलाद तथा अंकुरित अन्न की भरपूर मात्रा हो उसका सेवन करना चाहिए।
मांसपेशियों में ऐंठन से पीड़ित रोगी को वह भोजन अधिक सेवन करना चाहिए जिसमें मैगनीशियम तथा कैल्शियम की मात्रा अधिक हो।
हरी पत्तेदार सब्जियां, दूध, मट्ठा, खुमानी तथा तिल का भोजन में अधिक सेवन करना चाहिए। इसके फलस्वरूप रोगी की मांसपेशियों में ऐंठन रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
मांसपेशियों में ऐंठन से पीड़ित रोगी को खट्टे फलों का सेवन नहीं करना चाहिए।
प्रतिदिन आंवले का रस पीने से रोगी को बहुत अधिक लाभ होता है।
दूध में तिल को मिलाकर पीने से मांसपेशियों में ऐंठन का रोग कुछ ही दिनों में ही ठीक हो जाता है।
मांसपेशियों में ऐंठन से पीड़ित रोगी को सुबह के समय में प्रतिदिन व्यायाम करना चाहिए जिसके फलस्वरूप यह रोग ठीक हो जाता है।
मांसपेशियों में ऐंठन से पीड़ित रोगी को सुबह तथा शाम को अपने शरीर पर तेल से मालिश करनी चाहिए तथा ऐंठन वाली जगह पर गर्म या ठंडी पट्टी करनी चाहिए। इस प्रकार से प्रतिदिन प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने से रोगी का यह रोग कुछ ही दिनों में पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
: पुराना जख्म घाव फोड़ा जिद्दी घाव,मवाद पड़ गया हो कीड़े पड़ गए हो नासूर, सभी मे यह मलहम अक्सीर रीजल्ट देगा,—- लौंग 20 ग्राम को पत्थर के सिलबट्टे पर महीन पाउडर करले और 20 ग्राम खाने वाली हल्दी का पॉवडर मिलाकर एकजान करके इसमे 20 ग्राम देशी गाय का घी मिलाकर खूब घुटाई करे सिलबट्टे पर पेस्ट की तरह मलहम तैयार करके कांच की शीशी में भरकर रख लेवे पहले घाव को देशी ताजा गौमुत्र से साफ करके इस मलहम की पट्टी करके 24 घण्टे के लिये छोड़ देवे यह मलहम घाव की मवाद कीड़े विषैला पदार्थ सभी को बाहर निकाल देगा 15 दिनों में घाव ठीक हो जायेगा घाव ठीक होने पर देशी गाय का घी लगाते रहे इससे घाव का निशान भी खत्म हो जायेगा बनाये ओर रोग से मुक्ति पाये वन्देमातरम जय हिंद
: योनी भ्रंश यानी बच्चादानी बाहर निकलना इसके लिये योग —– माजूफल 100ग्राम,अश्वगंधा50ग्राम, आंवला 50 ग्राम फुली फिटकरी 50ग्राम, बबूल का गोंद 25 ग्राम सभी को पाउडर करके मिलाकर घुटाई करके एकजान करके कपडे से छान लेवे कांच की शीशी में भरकर रख लेवे 5ग्राम पाउडर भोजन के बाद सुबह शाम सेवन करे और पट्रांगासव अशोकारिष्ट, अश्वगंधरिष्ठ तीनो को एक बर्तन में मिलाकर मिक्स करके बोतल में भरकर रख लेवे इसकी दिन में तीन बार तीन तीन चमच की मात्रा आधे कप पानी मे मिलाकर सेवन करे भोजन के बाद योनि निकलने पर गाय का देशी घी चुपड़ कर आराम से हथेली के सहारे से अंदर कर देना चाहिये—– योनी भ्रंश पोटली — माजूफल अनार के छिलके का पाउडर 50 ग्राम, माजूफल का पाउडर 50 ग्राम, फुली फिटकरी का पाउडर 25 ग्राम तीनो को पाउडर करके मिक्स करके घुटाई करके कपड़े से छान लेवे एक कपड़े की पोटली बनाकर इसमें 2 ग्राम दवा दवा भरकर एक फिट लम्बा धागा बांध कर पोटली में गांठ लगाकर रात को सोते समय यह पोटली योनि में रखकर सो जाएं सुबह धागे को बाहर खिंच लेवे यह प्रकिया 7 दिन करे फिर 7 दिन का गेप कर देवे इस तरह तीन बार यानी 21 दिन करनी है और इस पाउडर का काढ़ा बनाकर योनि को धोएं रोजना ओर मेथी के लड्डू बनाकर खाये सुबह भूखे पेट 21 दिनों तक गर्भशय अपने आप अपनी जगह फिट हो जायेगा
: धात रोग नाइटफेल, स्वप्पनदोष इसके लिये जबरदस्त योग सस्ता सुलभ ओर बनाने में आसान,—- 100 बड़ी हरड़ का पाउडर लेकर इसमे 10 ग्राम भीमसेनी कपूर थोड़ा थोड़ा डालकर घुटाई करके एक जान करके कपड़े से छान लेवे आधा चमच सुबह भूखे पेट कच्ची लस्सी से ओर शाम को5 बजे सेवन करे 25 दिनों तक इस रोग से मुक्ति मिल जायेगी साथ मे गोंद कतीरा ओर इसबगोल समान मात्रा में पाउडर करके एक चम्मच रात को एक गिलास गाय के दूध में भिगो देवे सुबह मिश्री मिलाकर सेवन करे 25 दिनों तक शरीर की गर्मी शांत हो जायेगी रोगी उक्त रोग से निरोग हो जायेगा : मांस-पेशियों में खिंचाव (Strain in the muscles)

परिचय:-

कोई व्यक्ति कितना भी स्वस्थ क्यों न हो उसकी मांसपेशियों में कभी न कभी खिंचाव जरूर आ जाता है।
मांसपेशियों में खिंचाव आने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-

मांसपेशियों में खिंचाव आने पर रोगी व्यक्ति को पूरी तरह से आराम करना चाहिए।
रोगी को अपनी मांसपेशियों पर हर 2 घण्टे के अन्तराल पर आधे घण्टे के लिए बर्फ से मालिश करनी चाहिए।
मांसपेशियों में खिंचाव से पीड़ित रोगी को गर्म तथा ठंडा स्नान करना चाहिए।
मांसपेशियों में खिंचाव से पीड़ित रोगी को विटामिन `सी´ की मात्रा वाली चीजों का भोजन में अधिक सेवन करना चाहिए।
मांसपेशियों में खिंचाव आने पर तेल से शरीर की मालिश करनी चाहिए जिसके फलस्वरूप दर्द जल्दी ही ठीक हो जाता है।
: बिजली का झटका
मतलब इलेक्ट्रिक शॉक कहीं भी लग सकता है।
●कई मामलों में इलेक्ट्रिक शॉक लगने पर करंट के शरीर के माध्यम से गुजरने पर कार्डीएक अरेस्ट (cardiac arrest) यानि हृदय गति रुकने का खतरा हो सकता है। कई बार करंट लगने से जलना और छाले हो सकते हैं।
●हालांकि तेज करंट लगने से दिल और दिमाग पर असर पड़ सकता है।
●दिल पर असर पड़ने से हार्ट बीट्स बिगड़ना (arrhythmia) और वेंट्रिकुलर फिब्रेलेशन (ventricular fibrillation) का जोखिम होता है, जिससे कार्डीएक अरेस्ट का खतरा हो सकता है। बिजली का करंट लगने से दिमाग में ऐंठन हो सकती है और अगर व्यक्ति बुजुर्ग है और दिमागी हालत से पीड़ित है, तो जटिलताएं अधिक गंभीर हो सकती हैं।

●बिजली का करंट लगने के बाद आपको तुरंत कौन से ऐसे काम करने चाहिए जिससे करंट लगने वाले व्यक्ति की जान बचाई जा सके।

●इससे पहले की आप मदद के लिए आगे जाएं, ये सुनिश्चित कर लें कि आसपास कुछ ऐसी चीजें तो नहीं है, जिसमें करंट हो।
●आपको बता दें कि पानी या लोहे की चीजों में करंट जल्दी से पास होता है।
●उसके बाद तुरंत एमरजेंसी हेल्पलाइन पर कॉल करें।
●व्यक्ति को करंट लगने वाली चीज से अलग करने की कोशिश करें।
●इसके लिए पावर ऑफ कर दें या डिवाइस अलग निकाल लें।
●अगर आप ऐसा नहीं कर सकते, तो एक सूखे लकड़ी के स्टूल पर खड़े होकर किसी लकड़ी की छड़ी से व्यक्ति को अलग करने की कोशिश करें।
●व्यक्ति को भूलकर भी ना छूएं, इससे आप भी करंट चपेट में आ सकते हैं।
●व्यक्ति को अलग करने के बाद उसे रिकवरी पोजीशन में लेटा दें।
●इस पोजीशन में व्यक्ति किसी एक करवट में होता है और उसका एक हाथ सिर के नीचे और दूसरा आगे की तरफ होता है और उसका एक पैर सीधा होता है और दूसरा मुड़ा हुआ होता है।
●इसके बाद उसकी ठोड़ी उठाकर जांच करें कि वो सांस ले रहा है या नहीं।अगर व्यक्ति सांस ले रहा है और थोड़ा जल गया है, तो उसे पानी से धो लें।
●व्यक्ति को कभी भी कंबल से ना लपेटें।
●अगर ब्लीडिंग हो रही है, तो ब्लड रोकने के लिए उस जगह को एक साफ और सूखे कपड़े से बांध दें।

●अगर आपको व्यक्ति के सांस लेने, खांसने या किसी भी तरह की गतिविधि का कोई संकेत नहीं मिल रहा है, तो आप सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन) शुरू करें।
●इस प्राथमिक चिकित्सा से किसी बेहोश या मूर्छित व्यक्ति के दिल और फेफड़ो को पुन: होश में लाया जाता है।
◆अगर व्यक्ति सांस ले रहा है, तो कभी भी सीपीआर ना करें।
●ध्यान रहे कि करंट लगने वाले व्यक्ति को तुरंत मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत होती है, भले ही व्यक्ति घटना के बाद पूरी तरह से ठीक लग रहा हो।
●डॉक्टर जांच के बाद ही ई.सी.जी., ब्लड टेस्ट, सीटी स्कैन या एम.आर.आई. जैसे टेस्ट के लिए कह सकते हैं।
: नशा छोड़ने के लिए अचूक उपाय चाहे वह कोई भी नशा हो शराब, गुटखा, तम्बाकू या कोई भी।
अदरक के छोटे छोटे टुकड़े काटकर इन पर सेंधा नमक बुरक लेना चाहिए, अब इन टुकड़ो पर निम्बू निचोड़कर धूप में सूखने के लिए रख देना चाहिए। सूखने पर एक डिब्बे में बंद करके रख देना चाहिए।
अब जिसे भी नशा छोड़ना है, वह लत के अनुसार नशीले पदार्थ लेने के बजाय यह टुकड़ा चूसना चाहिए। यह अदरक मुंह में घुलती नहीं है, इसको सुबह से शाम तक मुंह में रखा जा सकता है।
जब किसी आदमी को नशे की लत लगती है तो उसका शरीर सल्फर की मांग करता है और अगर हम सल्फर की कमी शरीर में पूरी कर दें तो फिर शरीर को नशे की उठने वाली तलब नहीं लगेगी। इस अदरक के टुकड़े को चूसने से सल्फर की पूर्ति होती है।
यह प्रयोग हम यदि ३ से ४ दिन करेंगे तो नशा से मुक्त हो सकते हैं। अगर कोई कई वर्षों से नशे की लत का शिकार है तो उन्हें यह प्रयोग लगातार कई दिनों तक करना चाहिए।
नशा को हम नहीं खाते,
नशा हमें खा जाता है।
: — 20 वर्षों से डायबिटीज झेल रहीं 65 वर्षीय महिला जो दिन में दो बार इन्सुलिन लेने को विवश थीं, आज इस रोग से पूर्णतः मुक्त होकर सामान्य सम्पूर्ण आहार ले रही हैं | जी हाँ मिठाई भी ।।

–डाक्टरों ने उस महिला को इन्सुलिन और अन्य ब्लड शुगर कंट्रोल करने वाली दवाइयां भी बंद करने की सलाह दी है ।
और एक ख़ास बात । चूंकि केवल दो सप्ताह चलने वाला यह उपचार पूर्णतः प्राकृतिक तत्वों से घर में ही निर्मित होगा, अतः इसके कोई दुष्प्रभाव होने की रत्ती भर भी संभावना नहीं है ।

–मुम्बई के किडनी विशेषज्ञ डा. टोनी अलमैदा ने दृढ़ता और धैर्य के साथ इस औषधि के व्यापक प्रयोग किये हैं तथा इसे आश्चर्यजनक माना है ।

अतः आग्रह है कि इस उपयोगी उपचार को अधिक से अधिक प्रचारित करें, जिससे अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हो सकें |
देखिये कितना आसान है इस औषधि को घर में ही निर्मित करना |
आवश्यक वस्तुएं–

1 – गेंहू 100 gm.
2 – वृक्ष से निकली गोंद 100 gm.
3 – जौ 100 gm.
4 – कलुन्जी 100 gm.

–( निर्माण विधि )

उपरोक्त सभी सामग्री को ५ कप पानी में रखें । आग पर इन्हें १० मिनट उबालें । इसे स्वयं ठंडा होने दें । ठंडा होने पर इसे छानकर पानी को किसी बोतल या जग में सुरक्षित रख दें ।

–( उपयोग विधि )

सात दिन तक एक छोटा कप पानी प्रतिदिन सुबह खाली पेट लेना ।
अगले सप्ताह एक दिन छोड़कर इसी प्रकार सुबह खाली पेट पानी लेना । मात्र दो सप्ताह के इस प्रयोग के बाद आश्चर्यजनक रूप से आप पायेंगे कि आप सामान्य हो चुके हैं …और बिना किसी समस्या के अपना नियमित सामान्य भोजन ले सकते हैं ।
जिस किसी के पेरेंट्स को प्रॉब्लम हो उपयोग करे और आगे फॉरवर्ड करे साभार –

–यह अच्छा Msg है सब ग्रुप में Frwd कर दिया जाये,
तो काफी लोग फायदा उठा सकते है…. 🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃 इस को मैने आप तक पहुंचाने मे र्सिफ उंगली का उपयोग किया है,
रचियता को सादर नमन 🙏🙏🙏

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