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सम्मोहन की क्षमता का विकास

यौगिक क्रियाओं का उद्देश्य मन को पूर्ण रूप से एकाग्र करके समाधि में लीन कर देना है और इस लीन करने की शक्ति का जो अंश प्राप्त होता है, उसी को सम्मोहन कहते हैं। सम्मोहन की शक्ति प्राप्त करने के लिए अनेक तरीके इस्तेमाल किए जाते हैं।
सम्मोहन करने से पूर्व सम्मोहन सीखना होगा। सम्मोहन सीखने के लिए आत्म सम्मोहन को करना होगा। आत्म सम्मोहन को करने के लिए अवचेतन मन को समझना होगा और इसे शक्तिशाली बनाना होगा। चेतन मन से अवचेतन मन में जाकर उस मन में चेतना को जाग्रत रखना ही आत्म सम्मोहन है। जैसे कभी-कभी सपनों में आपको इस बात का भान हो जाता है कि सपने चल रहे हैं। इसका मतलब यह है कि आप चेतन और अवचेतन मन के बीच अचेतन मन में हैं। इसे अर्धचेतन मन भी कह सकते हैं।
वैसे इस मन को साधने के बहुत से तरीके या विधियां हैं, लेकिन सीधा रास्ता है कि प्राणायाम से सीधे प्रत्याहार और प्रत्याहार से धारणा को साधें। जब आपका मन स्थिर चित्त हो, एक ही दिशा में गमन करे और इसका अभ्यास गहराने लगे तब आप अपनी इंद्रियों में ऐसी शक्ति का अनुभव करने लगेंगे जिसको आम इंसान अनुभव नहीं कर सकता। इसको साधने के लिए त्राटक भी कर सकते हैं। त्राटक भी कई प्रकार से किया जाता है। ध्यान, प्राणायाम और नेत्र त्राटक द्वारा आत्म सम्मोहन की शक्ति को जगाया जा सकता है।
दूसरा तरीका है कि शवासन में लेट जाएं और आंखें बंद कर ध्यान करें। लगातार इसका अभ्यास करें और योग निद्रा में जाने का प्रयास करें। योग निद्रा अर्थात शरीर और चेतन मन इस अवस्था में सो जाता है लेकिन अवचेतन मन जाग्रत रहता है। समझाने के लिए कहना होगा कि शरीर और मन सो जाता है लेकिन आप जागे रहते हैं। यह जाग्रत अवस्था जब गहराने लगती है तो आप ईथर माध्यम से जुड़ जाते हैं और फिर खुद को निर्देश देकर कुछ भी करने की क्षमता रखते हैं।
कुछ लोग अंगूठे को आंखों की सीध में रखकर, तो कुछ लोग स्पाइरल (सम्मोहन चक्र), कुछ लोग घड़ी के पेंडुलम को हिलाते हुए, कुछ लोग लाल बल्ब को एकटक देखते हुए और कुछ लोग मोमबत्ती को एकटक देखते हुए भी उक्त साधना को करते हैं |
योग पैकेज : नियमित सूर्य नमस्कार, प्राणायाम और योगनिंद्रा करते हुए ध्यान करें। ध्यान में विपश्यना और नादब्रह्म का उपयोग करें। प्रत्याहार का पालन करते हुए धारणा को साधने का प्रयास करें। संकल्प के प्रबल होने से धारणा को साधने में आसानी होगी है। संकल्प सधता है अभ्यास के महत्व को समझने से। इसके संबंध में ज्यादा जानकारी के लिए मिलें किसी योग्य योग शिक्षक या सम्मोहनविद से।

     

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