किस माला का पूजा में क्या है
महत्व? –
रुद्राक्ष माला-
- भगवान शिव के मंत्र के साथ-साथ किसी भी देवी देवता के मंत्र का जाप किया जा सकता है.
- हमेशा महामृत्युंजय मन्त्र का जाप रुद्राक्ष की माला से ही करना चाहिए.
हल्दी माला-
- मन की इच्छा को पूरा करने के लिए हल्दी माला का प्रयोग किया जाता है.
- गुरुदेव बृहस्पति और मां बगलामुखी के मंत्र का जाप इसी माला से होता है.
- हल्दी माला से विद्या प्राप्ति, संतान प्राप्ति और ज्ञान प्राप्ति के लिए मंत्र जाप किया जाता है.
स्फटिक माला-
- स्फटिक माला का प्रयोग धन प्राप्ति और मन की एकाग्रता के लिए किया जाता है.
- मां लक्ष्मी के मंत्र जाप इसी माला के द्वारा करें.
- उच्च रक्तचाप में इस माला को पहन सकते हैं.
चंदन की माला-
- चंदन की माला दो प्रकार की होती है, एक सफेद चंदन और दूसरा लाल चंदन.
- मां दुर्गा के मंत्र का जाप लाल चंदन की माला के द्वारा होता है.
- सफेद चंदन की माला से भगवान कृष्ण के मंत्र का जाप किया जाता है.
- राहु की महादशा में सफेद चंदन की माला को पहना जाता है.
तुलसी की माला-
- तुलसी की माला से देवी और भगवान शिव के मंत्र का जाप नहीं किया जाता.
- तुलसी की माला धारण करने पर हमेशा वैष्णव रहना चाहिए.
- तुलसी की माला द्वारा भगवान विष्णु के मंत्र का जाप किया जाता है. इसलिए यह माला बहुत महत्वपूर्ण है.
कमलगट्टे की माला-
- कमलगट्टे की माला का प्रयोग धन वैभव प्राप्ति के लिए किया जाता है.
- शत्रुओं के नाश के लिए भी कमलगट्टे का प्रयोग किया जाता है.
- मंत्र जाप के बाद इस माला को पूजा स्थान में रखना चाहिए.
किसी भी माला के प्रयोग में बरतें ये सावधानियां-
-माला हमेशा 108 या 27 दाने की होनी चाहिए.
- हर दाने के बाद एक गांठ जरूर लगी हो.
- मंत्र जाप के समय माला ढ़की होनी चाहिए.
- मंत्र जाप करते समय तर्जनी उंगली का स्पर्श नहीं होना चाहिए.
- सुमेरु को भी नहीं लांघना चाहिए.
- माला हमेशा अपनी रखनी चाहिए किसी और को इसका प्रयोग ना करने दें.
- मंत्र जाप के बाद माला को मंदिर में रखना चाहिए उसे धारण नहीं करना चाहिए.
- और खास बात* हमेशा एक ही माला या अभिमंत्रित हुई माला का प्रयोग करना चाहिए।
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