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माइग्रेन,अर्धावभेदक या आधासीसी


🍃🌹आधुनिकता की अंधाधुंध दौड ने मनुष्य को जहां एक तरफ भौतिक सुख सुविधाओं का पुरस्कार दिया हैं; वहीँ इसी दौड ने मनुष्य को अनेक रोगों रुपी अभिशाप भी दियें है;

🍃जिसमें माइग्रेन दुनिया भर में 10% से अधिक लोगों को प्रभावितकरता है.प्रभावित आयु वर्ग –15 से 24 वर्ष की आयु में आरंभ होता हैं, 35 से 45 वर्ष में बहुधा पूरी तरह से दिखाई देता हैं।यौवन से पूर्व लड़कों में यह अधिक होता है। किशोरावस्था में महिलाओं में माइग्रेन अधिक आम हो जाता हैं. पुरूषों की अपेक्षा बुजुर्ग महिलाओं यह दो गुना अधिक पाया जाता है।

माइग्रेन के सामान्य लक्षण –

  1. इसमें सिर के आधे भाग में भीषण दर्द होता है।
  2. कई बार यह शुरू में हल्का होता है, लेकिन धीरे-धीरे बहुत तेज दर्द में बदल जाता है।
  3. अधिकतर यह सिरदर्द के साथ शुरू होता है और ऐसा लगता है कि कोई कनपटी पर प्रहार कर रहा है।
  4. किसी-किसी मरीज को अजीब-अजीब सी छायाएं नजरआती हैं। किसी को चेहरे और हाथों में सुइयां चुभने का एहसास होता है।
  5. माइग्रेन का दर्द ४ से ४८ घंटे तक रह सकता है। कभी यह रह-रहकर कई हफ्तों या महीनों तक, या फिर सालों तक खास अंतराल में उठता है।
  6. अक्सर जी मिचलाता है, और उल्टी भी हो जाती है। इसका अटैक होने पर मरीज को रोशनी, आवाज या किसी तरह की गंध नहीं सुहाती। इसका हमला अचानक होता है।
  7. कभी कभी सिर के एक हिस्से में मुक्कों का एहसास होता है, लगता है कि सिर अभी फट जाएगा। उस समय अत्यंत साधारण काम करना भी मुश्किल होजाता है। यह एहसास होता है कि किसी अंधेरी कोठरी में पड़े हैं।
  8. इसकी अनुभूति कई बार वास्तविक दर्द से दस मिनट से लेकर आधे घंटे पहले ही शुरू हो जाती है। इस दौरान सिर में बिजली फट पड़ने, आंखों के आगे अंधेरा छा जाने, बदबू आने, सुन्न पड़ जाने या दिमाग में झन्नाहट का एहसास होता है।
  9. प्रायः यह दर्द आधे सिर में होता है, लेकिन एक तिहाई मामलों में दर्द सिर के दोनों ओर भी होता पाया गया है।एक तरफ होने वाला दर्द अपनीजगह बदलता है और यह ४ से ७२ घंटों तक रह सकता है। इस समय फोनोफोबिया हो सकता है।

🍃कारण-

  1. माइग्रेन के ज्यादातर रोगी वे होते हैं, जिनके परिवार में ऐसा इतिहास रहा है। इसके कुल रोगियों में ७५ प्रतिशत महिलाएं होती हैं।
  2. पनीर, चाकलेट, चीज, नूडल्स, पके केले और कुछ प्रकार के नट्स में ऐसे रासायनिक तत्व पाए जाते हैं जो माइग्रेन को बढ़ा सकते हैं।
  3. माइग्रेन / आधे सिर का दर्द के अंतर्निहित कारण अज्ञात है ;लेकिन उनको वातावरण और आनुवांशिक कारकों के मिश्रण से संबंधित मानाजाता हैl
  4. २० से ५५ वर्ष की आयु के ऐसे लोग जिनकी कमर के क्षेत्र में अत्यधिक चर्बी है उन्हें माइग्रेन होने का खतरा औरों की तुलना में अधिक होता है।
  5. कई मामलों में ऋतु परिवर्तन, कॉफी का अत्यधिक सेवन(चार कप से अधिक), किसी प्रकार कीगंध और सिगरेट का धुआं आदि का कारण देखे गये हैं।
  6. आजकल जंक फूड का काफी चलन है। इनमें मैदे काबड़ी मात्रा में प्रयोग होता है, यदि आपको माइग्रेन की शिकायत है तो आप इन पदार्थों का सेवन कतई न करें।
  7. माइग्रेन के प्रमुख कारणों में तनाव होना, लगातार कई दिनों तक नींद पूरी न होना, हार्मोनल परिवर्तन, शारीरिक थकान, चमचमाती रोशनियां, कब्ज़,नशीली दवाओं व शराब का सेवन आते हैं।

🌹चिकित्सा सिद्धांत -दवायें, पोषक तत्वों की खुराक, जीवन शैली परिवर्तन और सर्जरी खानपान और परहेज़🌹

▶1. चुकन्दर, ककड़ी, पत्तागोभी, गाजर का रस तथा नारियल पानी आदि का सेवन करना चाहिए और इसके साथ-साथ उपवास रखना चाहिए।
▶2. रोगी व्यक्ति को अपने भोजन में मेथी, बथुआ, अंजीर, आंवला, नींबू, अनार, अमरूद, सेब, संतरा तथा धनिया अधिक लेना चाहिए।
▶3. माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) से पीड़ित रोगी को अधिक मात्रा में फल, सलाद तथा अंकुरित भोजन करना चाहिए और इसके बाद सामान्य भोजन का सेवन करना चाहिए।
▶4. माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) से पीड़ित रोगी को भोजन संबन्धित गलत आदतों जैसे- रात के समय में देर से भोजन करना तथा समय पर भोजन नकरना आदि को छोड़ देना चाहिए।
▶5. रोगी व्यक्ति को मसालेदार भोजन का उपयोग नहीं करना चाहिए तथा इसके अलावा बासी, डिब्बाबंद तथा मिठाइयों आदि का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
▶6.मैगनीशियम अक्सर माइग्रेन के मरीजों के लिए रामबाण माना जाता है। मैग्नीशियम प्रभावी ढंग से विभिन्न माइग्रेन सक्रियताओं का मुकाबला कर सकता है क्योंकि यह रक्त शर्करा और रक्तचाप के स्तर को नियंत्रित करता है। अपने आहार में 500 मिलीग्राम मैग्नीशियम की खुराक आपको माइग्रेन के दौरों का प्रभावी ढंग से इलाज करने में मदद कर सकती है।
▶7. आप जो भी खाते हैं उसको एक डायरी पर जरुर नोट करें। ऐसे कई प्रकार के आहार होते हैं जो माइग्रेन को और भी बढावा देते हैं। ऐसे भोजन का प्रभाव 30 मिनट से 12 घंटे के भीतर हो जाता है, तो अगर आपको खाना खाने के बाद तकलीफ महसूस हो तो तुरंत ही समझ जाएं कि आपने क्या खाया था। इस तरह से आप दुबारा वह आहार लेने से बच सकते है।

▶आयुर्वेदिक सामान्य चिकित्सा-

🍃 ऐसे अनेक रोगी हैं जिन्हें वर्षों से ऎसी बीमारी है ; और इलाज में बहुत पैसा लग चुका है. माइग्रेन / तीव्र सिरदर्द केगरीब मरीजों को और जनसामान्य के हित के लिए इसकी प्रारंभिक चिकित्सा बतायी जा रही है. आपको सलाह दी जाती है कि यदि आप पैसा खर्च करने में समर्थ नहीं हैं तो यह उपचार करें. परन्तु इनसे भी आराम न मिले तो योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श द्वारा इसकी पूर्ण चिकित्सा करें.

🍃🌹1. पीपल के कोमल पत्तों का रस रोगी व्यक्ति को सुबह तथा शाम सेवन करें.
🍃🌹2. कुछ दिनों तक तुलसी के पत्तों का रस शहद के साथ सुबह के समय में चाटना चाहिए तथा इसके अलावा दूब का रस भी सुबह के समय में चाट सकते हैं।
🍃🌹3. देशी गाय का ताजा घी सुबह-शाम दो बूंद नाक में रुई से टपकाने से इस रोग में आराम होता है।
🍃🌹4. आयुर्वेद के अनुसार अदरक सिर दर्द में राहत पहुंचाता है। अगर आपको अदरक खाने में परेशानी होती है, तो आप अदरक के कैप्सूल का भी सेवन कर सकते हैं।
🍃🌹5. पिसी हुई सफ़ेद मिर्च १ ग्राम, मिश्री २ ग्राम , देशी घी आधा चम्मच , इन तीनो को मिला करसुबह नाश्ते से पहले थोड़े दूध के साथ लें। लगभग 15-20 दिन तक इसे उपयोग करें।
🍃🌹6. एक कप पानी में एक चम्मच सेंधा नमक मिला कर घोल बना लें । सुबह उठकर नित्यकर्मों से निपटकर जिस ओर दर्द हो रहा है उस ओर के नथुने में इस घोल की दो बूंदे डाल लें ।
🍃🌹7. नाक से भाप देकर रोगी व्यक्ति के माइग्रेन रोग को आराम मिल जाता है। नाक से भाप लेने के लिए सबसे पहल एक छोटे से बर्तन में गर्म पानी लेना चाहिए। इसके बाद रोगी को उस बर्तन पर झुककर नाक से भाप लेना चाहिए।
🍃🌹8. पोस्त दाना (खसखस) ३ ग्राम, १० मुनक्का बीज निकाल कर , तरबूज के बीज ३ ग्राम। इन तीनो को रात में पानी में भिगो कर सुबह पीस ले। एक चम्मच देशी घी डाल कर , हल्का सा भून कर १०० ml.दूध के साथ सुबह नाश्ते से पहले लें।
🍃🌹9. माइग्रेन का सिरदर्द कम करने के लिए एक सबसे सरल उपचार है अपने सिर पर आइस पैक रखें। आइस पैक मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को नियंत्रित करने में मदद करता है और दर्द को कम कर देता है। प्रभावित क्षेत्र, कनपटी और गर्दन पर दर्द से आराम के लिए आइस पैक को धीरे-धीरे रगड़ें।

🍃▶योग चिकित्सा ▶🍃
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⚫🌹माइग्रेन का निवारण योगासन द्वारा भी होता है। इसके लिए रात में बिना तकिए के शवासन में सोएं। सुबह-शाम योगाभ्यास में ब्रह्म मुद्रा, कंध संचालन, मार्जरासन, शशकासन के पश्चात प्राणायाम करें। इसमें पीठ के बल लेटकर पैर मिलाकर रखें। श्वास धीरे-धीरे अंदर भरें, तब तक दोनों हाथ बिना मोड़े सिर की तरफ जमीन पर ले जाकर रखें और श्वास बाहर निकालते वक्त धीरे-धीरे दोनों हाथ बिना कोहनियों के मोड़ें व वापस यथास्थिति में रखें। ऐसा प्रतिदिन दस बार करें। अंत में कुछ देर शवासन करके नाड़ी शोधन प्राणायाम दस-दस बार एक-एक स्वर में करें|

⚫चेतावनी :
🍃कई बार सिरदर्द दूसरी खतरनाक और जानलेवा बीमारियों का भी संकेत होता है। इसलिए बार-बार होने वाले तेज सिरदर्द, गर्दन दर्द, अकड़न, जी मिचलाने या आंखों के आगे अंधेरा छा जाने को बिलकुल भी नजर अंदाज न करें और फौरन चिकित्सक को दिखाएं।

आयुर्वेद औषधियों द्वारा माइग्रेन (जिसे आयुर्वेद में अर्धावभेदक एवम् सामान्य बोलचाल की भाषा में आधासीसी कहते हैं।) का सम्पूर्ण इलाज सम्भव है।

किसी भी रोग के होने पर स्वयं डॉक्टर न बनें और क्वालिफाइड चिकित्सक से ही परामर्श लें।

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