🌲हर हर हर महादेव !!
जय श्री गौरीशंकर जी !!
जय अम्बे गौरी मैया !!
अहंकारी किसी की शरण में रहकर साधना नहीं कर सकता है :- एक बार मेरे एक परिचित ने जो मुझसे आयु में दस वर्ष बड़े थे, अकस्मात मुझसे मिले और मिलते ही मुझे झुककर चरण स्पर्श किया, मैं इसके लिए तैयार नहीं था और इसकी कल्पना भी नहीं कर सकता था और उनके उस वर्तनसे मुझे बहुत आश्चर्य हुआ, मैंने उनसे कहा, “आप मुझसे आयु में बडे हैं, आपको इस प्रकार मुझे प्रणाम नहीं करना चाहिए, यह अनुचित कृत्य है !” उन्होंने कहा, “मैं आपके समान किसी सन्त के शरण में साधना नहीं कर सकता हूं; क्योंकि मुझे ज्ञात है कि सन्त हमारे अहंपर वार करते हैं और मुझमें अहं अधिक है; इसलिए उनके शरण में रहकर साधना करना मेरे लिए कठिन है, किन्तु आप इतने वर्षों से ऐसा कर रहे हैं, मैंने आपको इसलिए प्रणाम किया ! मैंने उनसे कहा, “आपको यह ज्ञात होना कि आप में अहं बहुत है, यह ध्यान में आना ही अंतर्मुखता का एक महत्त्वपूर्ण चरण है। अपनी भक्ति बढायें ईश्वर आपकी निश्चित ही सहायता करेंगे।” वैसे उन्होंने बात बिलकुल ही सही कहा था, अहंकारी व्यक्ति किसी सन्त के शरण में कभी भी साधना नहीं कर सकते हैं; क्योंकि ईश्वर समान संतों का भी मुख्य आहार अपने शिष्यों का अहंकार ही होता है। ये वचन स्वामी विवेकानंद जी के थे। भगवान श्री भोलेनाथ जी आप सहपरिवार पे कृपा बनाये रखें।
‘शुभ-सोमवार-वन्दनम’
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!! जय शिवशक्तिजी !!