मन्दिर जाने से कृष्ण नहीं मिलते, मन में मंदिर बनाने से कृष्ण मिलते हैं, सिर्फ शरीर को साफ करने से कृष्ण नहीं मिलते, मन साफ करने से कृष्ण मिलते हैं।
भजन सुनने गाने से कृष्ण नहीं मिलते, भजन में रम जाने से कृष्ण मिलते हैं,शरीर के नाचने से कृष्ण नहीं मिलते, आत्मा जब नाचती है तब कृष्ण मिलते हैं।
दूसरों को आंसू और पीड़ा देने से कृष्ण नहीं मिलते
दूसरों के आंसू पोंछने और पीड़ा समझने से कृष्ण मिलते हैं !
जो दूसरों को क्षमा नहीं करता उसे कृष्ण कभी नहीं मिलते
जिसमे क्षमाभाव हो उसे कृष्ण मिलते हैं
यदि आप श्रीकृष्ण को पाना चाहते हैं तो अपने दोषों को दूर करना होगा श्रीकृष्ण आपको अवश्य मिलेंगे
हवा तो पहले भी थी पर पत्तों के हिलने से हवा का अनुभव होता है वैसे ही श्रीकृष्ण तो पहले से ही है पर भक्ति से ही श्रीकृष्ण अनुभव होते हैं !
🙏🙏श्री राधे