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🙏🏻🚩क्या ईश्वर दिखाई देता है? 🚩🙏🏻
🙏🏻🚩हाँ ईश्वर दिखाई देता है! 🚩🙏🏻
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आज भौतिकवाद की उच्च पराकाष्ठा पर पहुँचकर भी मानव अशांत है। वह शांति के लिए भिन्न- भिन्न यत्न तो कर रहा हैं। परन्तु शान्ति प्राप्त करने में अपने आप को असफल ही पाता है। आज संसार में कितने ही सम्प्रदाय, अगणित विचार धाराए़ं और अनेको मत है। परन्तु इसमें क्या अपनाया जाए और क्या छोडा जाए, समझ में नहीं आता। विविधताओं की भीड़ में हमारी सही मार्ग को चुनने की क्षमता ही समाप्त हो गयी है। चारो और इतना विभ्रम है कि हमें कोई राह दिखाई नहीं देती। ऐसे में क्या करें? आज सत्य और असत्य में भेद क्या है? आत्मा और परमात्मा का गहन एवं सूक्ष्मतम तथ्य क्या है? आज उसे उजागर करने की बड़ी आवश्यकता है। वर्तमान समय में एक जिज्ञासु के लिए पूर्ण महापुरुष सतगुरु को पहचानना अत्यन्त कठिन हो गया है क्योंकि आज ऐसे प्रवचनकर्ताओं, उपदेशको एवं धर्म गुरुओं का अभाव नहीं है, जो मात्र हरिकथाओं व तर्क सम्मत व्याख्यानों से श्रद्धालुओ का मन मोह लेते हैं। वे मणिका, माला, प्राणायाम, कर्मकाण्ड जैसे बाह्रा माध्यमो को ही परमात्मा की प्राप्ति का साधन बताते हैं। घट-घट का वासी एवं कण- कण में विराजमान ईश्वर हमे कैसे प्राप्त हो? उससे कैसे मिला जाए? उसका शाश्वत नियम आखिर क्या है? जिस ईश्वर को पाने की लालसा हमारे मन में वर्षो से दबी हुई हैं वह तृष्णा आखिर कैसे शांत हो? किस प्रकार हमारे भीतर ही वह शांति का स्रोत प्रकट हो? संसार के सबसे गूढतम भेद को भला कौन जनाए? मानव तन को प्राप्त कर लिया। अनमोल है यह भी जान लिया, दोबारा इसका मिलना भी कठिन है, यह क्षणभंगुर भी है। परन्तु आगे बढे कैसे? किसे गुरु बनाए और किसे न बनाएं। पूर्ण गुरु और तथाकथित गुरु को कैसे पहचाने?
इन सभी प्रश्नो का उतर है- ‘प्रत्यक्ष अनुभूति’ अर्थात् जब एक पूर्ण ब्रह्मनिष्ठ गुरु शिष्य के जीवन में आता है तो वह शिष्य को ब्रह्मज्ञान प्रदान करता है और उसी क्षण उसके घट में ईश्वर के दर्शन करवा देता है। शिष्य के घट में ही परमात्मा का साम्राज्य प्रकट कर देता है। वही से होता है शाश्वत एवं सनातन् भक्ति का शुभारम्भ।

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