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: आयुँवेद ऊपचार

व्यस्त जीवनशैली और आगे बढ़ने की होड़ के कारण लोगों में घबराहट और बेचैनी की समस्या तेजी से बढ़ रही है. सही समय पर इसका इलाज न होने पर यह धीरे-धीरे फोबिया में बदल जाता है, इसलिए इससे बचने के लिए आपको कुछ सुरक्षित और प्राकृतिक विकल्पों की जानकारी होनी चाहिए।

कुछ उपयोगी नुश्खे:

  1. ग्रीन टी पियें – ग्रीन टी एंटीऑक्सीिडेंट गुणों और स्वlस्थ्य वर्धक गुणों के कारण जानी जाती है. इसके गुण शरीर की घबराहट को कम करने में मदद करते है.
  2. ओमेगा-3 फैटी एसिड वाले फ़ूड खाएं जैसे की फिश, अखरोट और अलसी के बीज.
  3. नीबू की चाय पियें – नीबू से बनी चाय घबराहट के रोगियों के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है. नीबू से बनी चाय तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करती है.
  4. तनाव को कम करे – घबराहट से बचने के लिए तनाव को कम करे क्योकि आप टेंशन में होंगे तो आपको निश्चित ही घबराहट होगी.
  5. गहरी साँसे ले – जब कभी भी आपको घबराहट होने लगे तो आप लम्बी और गहरी साँसे ले ये आपकी घबराहट को कम करने में आपकी मदद करेगी.
  6. ठंडा पानी पीये – घबराहट को कम करने के लिए ठंडा पानी पीना बहुत ही अच्छा उपाय है ठंडा पानी आपके नर्वस सिस्टम को मैनेज करता है.
  7. योगा व व्यायाम करें – सुबह की ताजी हवा में घूमने और योगा करने से तनाव भी कम होगा और स्फूर्ति. भी बढ़ेगी और इससे आपकी घबराहट भी कम होगी.
    : हेल्दी रहना है तो इन टिप्स को फौलो करें, कभी नहीं होंगी बीमार

रहें जंक फूड से दूर :- आधुनिक जीवन में जमक फूड का सेवन अधिक होने लगा है. आज के युवा की सबसे बड़ी चुनौती है जंक फूड से दूरी बनाने की. ये आदत बहुत से लोगों का काफी नुकसान कर रही है. ऐसे में जरूरी है कि आप जंक फूड से दूरी बनाएं और अपनी डाइट में हरे साग सब्जियों को शामिल करें.

रोजाना करें फलों और सब्जियों का सेवन :- अपनी डाइट में फलों और सब्जियों को जरूर ऐड करें. ये ना सिर्फ आपके शरीर को हेल्दी रखती हैं बल्कि आपका दिमाग भी अधिक सक्रिय और तेज रहेगा. हरी साग सब्जियों से आपकी सेहत के लिए खासकर के जरूरी होती हैं. 

एक्सरसाइज को अपनाएं :- सेहतमंद रहने के लिए जरूरी है कि हेल्दी डाइट के साथ साथ आप एक्सरसाइज करें. इससे सेहत का काफी लाभ होता है. एक्सरसाइज को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं. खाने के बाद कम से कम वौक जरूर करें.

एक रूटीन बनाएं :- स्वस्थ रहने की चाबी है खुद को एक रूटीन में रखना. खाने का, सोने का, जगने का, खलने कूदने, एक्सरसाइज सारी चीजों को एक तय समय में करें. इससे आपकी सेहत का काफी फायदा होगा.

खूब पिएं पानी :- पानी पीने के लिए प्यास लगने का इंतजार ना करें. दिन भर में कम से कम 8 गिलास पानी जरूर पिएं. इसके अलावा कभी कभी पानी में नींबू का रस मिला कर पिएं. इससे आप हमेशा हाइड्रेटेट रहेंगे और वजन भी कंट्रोल में रहेगा.
: फायदे टमाटर खाने के

हार्ट अटैक के खतरे को कम करता है टमाटर का जूस, शरीर को मिलते हैं कई फायदे
हाल में हुई रिसर्च बताती है कि रोजाना 1 कप टमाटर का जूस पीने से आप हार्ट अटैक के खतरे को दूर कर सकते हैं। इसके अलावा टोमैटो जूस के सेवन से हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की समस्या भी दूर हो जाती है।

*टमाटर भारत ही नहीं, दुनिया के बहुत सारे देशों में खाया जाने वाला फल है। भारत में आमतौर पर सब्जियों की ग्रेवी बनाने और डिशेज में खट्टापन लाने के लिए टमाटर का प्रयोग किया जाता है। टोमैटो सॉस और केचअप तो आपने भी खूब खाया होगा, मगर क्या आपने टमाटर का जूस पिया है। रसीले टमाटरों का जूस शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। हाल में हुई एक रिसर्च बताती है कि टमाटर का जूस पीने से हार्ट अटैक का खतरा कम होता है। ये रिसर्च ‘जर्नल ऑफ फूड साइंस एंड न्यूट्रीशन’ में छापी गई है।

बिना नमक के पिएं टमाटर जूस रिसर्च में बताया गया है कि अगर आप रोजाना 1 कप बिना नमक का टमाटर का जूस पीते हैं, तो आपको हार्ट अटैक आने के खतरे कम हो जाते हैं। दरअसल टमाटर का जूस हाई ब्लड प्रेशर और बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल की समस्या को कंट्रोल करने में मदद करता है। ये दोनों ही समस्याएं व्यक्ति के हार्ट (हृदय या दिल) को प्रभावित करती हैं और हार्ट अटैक का कारण बनती हैं।

कैसे हुई रिसर्च जापान स्थिति टोक्यो मेडिकल एंड डेंटल यूनिवर्सिटी में हुई इस रिसर्च में लगभग 500 लोगों को शामिल किया गया, जिनमें 184 पुरुष और 297 महिलाएं थीं। शोधकर्ताओं ने पाया कि रोजाना टमाटर का जूस पीने से हाई ब्लड प्रेशर के शिकार 94 लोगों का ब्लड प्रेशर कम हो गया। इनका सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 141.2 से 137mmHg और डाईस्टोलिक ब्लड प्रेशर 83.3 से 80.9 mmHg हो गया था। इसके अलावा 125 लोगों में बढ़े हुए बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL) का स्तर भी घटकर 155 से 149.9 mg/dL हो गया।

महिलाओं-पुरुषों दोनों के लिए फायदेमंद रिसर्च में पाया गया कि टमाटर का जूस महिलाओं और पुरुषों, दोनों में फायदेमंद होता है। इसलिए कोई भी इसका सेवन कर सकता है। अगर आप जूस नहीं भी पीते हैं, तो अपने रोजाना के खान-पान में टमाटर को जरूर शामिल करें। सलाद में कच्चे टमाटर खाएं। इसके अलावा सब्जी, ग्रेवी आदि में इसका इस्तेमाल करें। ध्यान दें कि टोमैटो केचअप और सॉस में बहुत ज्यादा मात्रा में चीनी और प्रिजर्वेटिव्स मिलाए जाते हैं, इसलिए इसका सेवन आपके लिए फायदेमंद नहीं होगा।

कई अन्य बीमारियों में भी फायदेमंद है टमाटर का जूस टमाटर का जूस कई अन्य बीमारियों में भी फायदेमंद पाया गया है। टमाटर में फाइबर भरपूर होता है। इसके अलावा इसमें एक खास तत्व होता है, जिसे नियासिन कहते हैं। नियासिन वाले आहारों का सेवन हृदय के लिए बहुत अच्छा होता है क्योंकि ये कोलेस्ट्रॉल को घटाता है। इसके अलावा टमाटर में कई एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जिनमें बीटा-कैरोटीन, लाइकोपीन और साइटोन्यूट्रिएंट मुख्य हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट्स कैंसर और हार्ट अटैक से बचाने में मदद करते हैं।

: आंबा हल्दी


  1. सूजन

एलोवेरा के गूदे में आंबा हल्दी डालकर थोड़ा गर्म करके बांध देने पर सूजन चली जाती है। इससे घाव भी भरता है।

  1. चेचक के दाग़

चेचक का दाग़ मिटाने के लिए सरकंडे की जड़, जलाई हुई कौड़ी व आंबा हल्दी को कूटकर छान लें। इसे भैंस के दूध में मिलाकर रात को सोते समय लगा लें। उसी समय रात को पानी में भूसी भिगो दें। सुबह उठकर उस भूसी वाले पानी से मुंह से धो लें, शाम को भी भूसी वाले पानी से मुंह धुलें तो अधिक लाभकारी होगा। कुछ दिन के नियमित प्रयोग से चेचक के दाग़ चले जाएंगे।

  1. चोट

– 10-10 ग्राम आंबा हल्दी व चोट सज्जी लेकर पानी में पीस लें। इसे कपड़े पर लगाकर चोट या मोच पर बांध देने से लाभ होता है। केवल आंबा हल्दी को भी पीसकर गर्म करके बांध देने से चोट व सूजन दूर हो जाती है।

– 20-20 ग्राम पपड़िया कत्था व आंबा हल्दी तथा तीन-तीन ग्राम कूपर व लौंग लेकर पानी के साथ पीस लें और उसे चोट या मोच पर बांध दें। आराम मिलेगा।

– 10-10 ग्राम मुरमक्‍की, आंबा हल्दी व मेदा लकड़ी लेकर पानी के साथ पीस लें और थोड़ा गर्म करके चोट या मोच पर बांध देने से आराम मिलता है।

– 3 ग्राम आंबा हल्दी सुबह शाम पानी से लें। दस-दस ग्राम मेदा लकड़ी, कुरंड, चोट सज्‍जी, कच्‍ची फिटकरी व आंबा हल्दी पीसकर कपड़े पर लगाकर चोट पर बांधने से आराम मिलता है।

  1. घाव

10-10 ग्राम चोट सज्‍जी व आम्बा हल्दी लेकर पानी के साथ पीस लें और 50 मिली गर्म तेल में उसे मिला दें। ठंडा होने पर रूई में भिगोकर घावों पर लगाने से लाभ होता है।

  1. हड्डी

10-10 ग्राम आंबा हल्दी व चौधारा लेकर घी में भून लें। उसमें पांच-पांच ग्राम सज्‍जी व सेंधानमक मिलाकर टूटी हड्डी व अंदर की चोट में लाभ होता है।

  1. गिल्टी (ट्यूमर)

– अलसी, घीग्‍वार, आंबा हल्दी व ईसबगोल को एक में मिलाकर आग पर थोड़ा गर्म कर लें और उसे गिल्‍टी पर बांधें। कुछ दिन के नियमित प्रयोग से लाभ होगा। सूजन चली जाएगी।

– 10-10 ग्राम आम्बा हल्दी, राल व गुड़ तथा 6-6 ग्राम नीलाथोथा व गुग्‍गुल लेकर पीस लें और उसमें थोड़ा सा गुड़ मिलाकर गिल्‍टी पर बांध दें, जल्‍दी फूट जाएगी और आराम मिलेगा।

– समान मात्रा में चूना, आंबा हल्दी व गुड़ मिलाकर एक में पीस लें और गिल्‍टी पर बांध लें। इससे भी गिल्‍टी जल्‍दी फूटती है।

  1. पेट दर्द

काला नमक व आंबा हल्दी मिलाकर पानी के साथ पीने से पेट दर्द में राहत मिलती है।

  1. उपदंश (फिरंग)

10-10 ग्राम राल, गुड़ व आम्बा हल्दी तथा 6-6 ग्राम नीला थोथा व गुग्‍गुल मिलाकर पीसकर बांध दें, जल्‍दी आराम मिलता है।

  1. पीलिया

5 ग्राम सफेद चंदन, 7 ग्राम आंबा हल्दी का चूर्ण मधु में मिलाकर एक सप्‍ताह तक सुबह-शाम खाने से पीलिया रोगविदा हो जाता है।

  1. खाज व काला दाग

त्‍वचा पर कहीं भी खुजली या काला दाग़ है तो आंबा हल्दी को पीसकर लगाने से दोनों में अराम मिलता है। खाज-खुजली व दाग़ मिट जाते हैं।
: जामुन

जामुन अग्निप्रदीपक, पाचक, स्तंभक (रोकनेवाला) तथा वर्षा ऋतु में अनेक रोगों में उपयोगी है। जामुन में लौह तत्त्व पर्याप्त मात्रा में होता है, अतः पीलिया के रोगियों के लिए जामुन का सेवन हितकारी है। जामुन यकृत, तिल्ली और रक्त की अशुद्धि को दूर करते हैं। जामुन खाने से रक्त शुद्ध तथा लालिमायुक्त बनता है। जामुन मधुमेह, पथरी, अतिसार, पेचिश, संग्रहणी, यकृत के रोगों और रक्तजन्य विकारों को दूर करता है। मधुमेह के रोगियों के लिए जामुन के बीज का चूर्ण सर्वोत्तम है।

🚫सावधानीः जामुन सदा भोजन के बाद ही खाना चाहिए। भूखे पेट जामुन बिल्कुल न खायें। जामुन खाने के तत्काल बाद दूध न पियें।
जामुन वातदोष नाश करने वाले हैं अतः वायुप्रकृतिवालों तथा वातरोग से पीड़ित व्यक्तियों को इनका सेवन नहीं करना चाहिए। शरीर पर सूजन व उलटी दीर्घकालीन उपवास करने वाले तथा नवप्रसूताओं को इनका सेवन नहीं करना चाहिए।

✅जामुन पर नमक लगाकर ही खायें। अधिक जामुन का सेवन करने पर छाछ में नमक डाल कर पियें।

*औषधि-प्रयोगः

मधुमेहः(डायबिटिस) मधुमेह के रोगी को नित्य जामुन खाने चाहिए। अच्छे पके जामुन सुखाकर, बारीक कूटकर बनाया गया चूर्ण प्रतिदिन 1-1 चम्मच सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।

प्रदररोगः कुछ दिनों तक जामुन के वृक्ष की छाल के काढ़े में शहद (मधु) मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करने से स्त्रियों का प्रदर रोग मिटता है।

मुँहासेः जामुन के बीज को पानी में घिसकर मुँह पर लगाने से मुँहासे मिटते हैं।

आवाज बैठनाः जामुन की गुठलियों को पीसकर शहद में मिलाकर गोलियाँ बना लें। 2-2 गोली नित्य 4 बार चूसें। इससे बैठा गला खुल जाता है। आवाज का भारीपन ठीक हो जाता है। अधिक बोलने वालों के लिए यह विशेष चमत्कारी योग है।

स्वप्नदोषः जामुन की गुठली का 4-5 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ लेने से स्वप्नदोष ठीक होता है।

दस्तः जामुन के पेड़ की पत्तियाँ (न ज्यादा पकी हुईं न ज्यादा मुलायम) लेकर पीस लें। उसमें जरा-सा सेंधा नमक मिलाकर उसकी गोलियाँ बना लें। 1-1 गोली सुबह-शाम पानी के साथ लेने से कैसे भी तेज दस्त हों, बंद हो जाते हैं।

: ईशान कोण ( उत्तर – पूर्व ) और वास्तु से शुभा शुभ विचार :
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जैसे कि नाम से ही पता लगता है ईशान यानी ईश्वर का स्थान । इसी लिए घर परिवार पर ईश्वर कृपा के लिए इस स्थान को स्वच्छ रखा जाता है, यहां वास्तु के अनुसार पूजा घर होना चाहिए । जबकि इस स्थान पर कचरा होना, टॉयलेट होना वास्तु दोष होता है और ईश्वर कृपा की कमी होती है । इस दिशा से संबंधित अन्य शुभा शुभ विचार :

  • नवग्रहों में बृहस्पति ग्रह का संबंध इस दिशा से है , और बृहस्पति ग्रह ही जीव कारक हैं, वृद्धि के कारक हैं , संतान प्राप्ति में सहायक हैं , जीवन को सही दिशा देते हुए घर परिवार की तरक्की में सहायक हैं । इसी लिए इस स्थान में इसी ग्रह से संबंधित क्रियाएं की जाती हैं , जिस में पूजा उपासना , अध्ययन शामिल हैं ।
  • इस स्थान का महत्व इसी से पता चलता है कि कुण्डली के दूसरे भाव का संबंध इस दिशा से होता है । और कुण्डली का दूसरा भाव धन का संग्रह स्थान है , परिवार का सुख है , समय के अनुसार खुद के रहन सहन और विचारों में बदलाव लाने का है । इसी लिए जिस घर परिवार में ईशान कोण पीड़ित होता है , उस घर के सदस्य रूढ़िवादी हो जाते हैं , पुराने ख्यालात से जुड़े रहते हैं , जिस के कारण समाज मे इन्हें उचित सम्मान नहीं मिल पाता ।
  • यदि किसी की कुण्डली के दूसरे भाव मे पाप ग्रह ( शनि, राहु, केतु ) हो , लेकिन उस घर मे ईशान कोण को वास्तु अनुसार व्यवस्थित रखा जाए, तो दूसरे भाव मे स्थित अशुभ ग्रहों का प्रभाव काफी हद तक कम किया जा सकता है । लेकिन क्योंकि ग्रह ही पापी होने से प्रभावी हो जाते हैं, इस लिए घर के सदस्य ही वास्तु अनुसार बदलाव करने में असमर्थता दिखाने लगते हैं , जिसकी वजह से ज्योतिष के बाकी उपाये करने पर भी उनको फल नहीं मिलते ।
  • घर से बाहर जाने वाला पानी इस दिशा से बाहर जाना शुभता देता है , ऐसे घर परिवार पर लक्ष्मी कृपा हमेशा बनी रहती है । इस के इलावा चाहे रसोई घर हो या वाशरूम हो वहाँ भी जल की व्यवस्था , या फर्श की ढलान ईशान की तरफ होनी चाहिए ।
  • घर की इस दिशा को हमेशा खुला और साफ रखना चाहिए , सुख समृद्धि के लिए ताँबे के बर्तन में साफ पानी लेकर इस दिशा में रख सकते हैं , इस से भी परिवार की तरक्की के रास्ते बनते हैं ।
  • जबकि इस दिशा में टॉयलेट होना, सीढ़ीयां होना , भारी सामान होना , स्टोर रूम होना , रसोई घर होना बहुत बुरे परिणाम देता है , ऐसे घर परिवार में बच्चों के भविष्य को लेकर हमेशा चिंता और तनाव की स्थिति बनी रहती है ।
  • जबकि bedroom में भी ईशान कोण में भी शयन नहीं करना चाहिए , बल्कि ईशान कोण में सुंदर जल वाले चित्र या फिर सुंदर पक्षी जोड़े के चित्र लगाए जा सकते हैं ।
  • इस दिशा में सुबह और शाम को मधुर संगीत भी लगाना चाहिए , इस दिशा की और मुख करके अपने इष्ट देवता की पूजा आराधना भी करना शुभकारी फल देता है । बच्चे अपनी किताबें इस दिशा में रख सकते हैं ।
  • ऐसे बच्चे जिनकी उम्र 16 वर्ष से कम हो उनको रूम में ईशान कोण में सुला सकते हैं , ऐसा करने से उन पर बुध और गुरु दोनो ग्रहो का संयुक्त सकारात्मक प्रभाव आता है, इस से उनका शारीरिक और मानसिक विकास अच्छा होता है ।
  • इस दिशा में सफेद, क्रीम और हल्का पीला रंग शुभता देता है, जबकि तुलसी, निम्बू , नीम , केले का पेड़, आँवले का पेड़ इस दिशा में वास्तु अनुकूल होता है । अगर इस दिशा में टॉयलेट बना हो तो बाहर की तरह शीश लगा देने से वास्तु दोष का प्रभाव काफी हद तक कम हो जाता है ।
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    : अग्नि कोण ( दक्षिण – पूर्व ) और वास्तु से शुभा शुभ विचार :
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    जैसे कि इस दिशा का नाम ही अग्नि कोण है , और अग्नि सत्य की प्रतीक है । जीवन और मृत्यु जीवन के परम सत्य हैं । मृत्यु कभी भी आ सकती है, इस लिए इस दिशा के शुभ प्रभाव से आलस्य को दूर रखते हुए कार्यो को करने की प्रेरणा और ऊर्जा हमे मिलती है । और दूसरा , वंश वृद्धि से परिवार को चलायमान रखना , यानी संतान प्राप्ति में यह दिशा सहायक है । इस दिशा से संबंधित अन्य शुभ विचार :
  • नवग्रहों में शुक्र ग्रह इस दिशा पर प्रभाव रखता है । शुक्र रिश्तो को संजोने का ग्रह है , key word : give love and recieve love, इस लिए जिनकी नई शादी हुई हो लेकिन आपस मे झगड़ा रहता हो , इनको आपसी सुख के लिए इस दिशा में रहना चाहिए । लेकिन अगर झगड़े का कारण क्रोध हो, तो ऐसे पति पत्नी को इस दिशा में नहीं रहना चाहिए , क्योंकि अग्नि तत्व के प्रभाव से क्रोध में वृद्धि होगी, जिस से झगड़े बढेंगे ।
  • शुक्र ग्रह संतान प्राप्ति में सहायक है , इस लिए ऐसे पति पत्नी जिनको संतान प्राप्ति में देरी हो रही हो , ऐसे पति पत्नी को अग्नि कोण में रहना चाहिए । लेकिन गर्भवती स्त्री को अग्नि कोण में नहीं रहना चाहिए ।
  • यह दिशा आकर्षण देती है, साथ ही आलस्य दूर करती है । इस लिए जो विद्यार्थी पढ़ाई के प्रति आलस्य करते हैं, उन्हें चाहिए कि वो अपने पूरे दिन के time table को पेपर पर लिख कर अपने रूम में अग्नि कोण में चिपका दें । इस से वो अच्छे से पढ़ाई कर पाएंगे । साथ ही अपने ideal की तस्वीर भी यहाँ लगा सकते हैं, इस से उन्हें अपने target achieve करने में मदद मिलेगी , बेहतर रुचि से exam की तैयारी कर पायेंगे ।
  • बिजली का मीटर , बिजली के स्विच बोर्ड , इनवर्टर आदि भी इस दिशा में होने चाहिए । लेकिन टीवी , कम्प्यूटर , लैपटॉप को अग्नि कोण की बजाय इस से कुछ दूरी पर पूर्व दिशा में रखना चाहिए , जिस से बच्चे इनका इस्तेमाल ज़रूरत के अनुसार करें और इन चीज़ों का सही तरह से इस्तेमाल करें ।
  • वास्तु अनुसार इस दिशा में रसोई घर होना चाहिए । इस के इलावा इस दिशा में बने कमरे में उन बच्चों को रहने दे सकते हैं जो आलसी और सुस्त हो , इस दिशा के प्रभाव से वो बेहतर कार्य करेंगे । लेकिन उन सदस्यो को इस दिशा में नही रहना चाहिए जिन्हें क्रोध जल्दी आता है , इस से उनके क्रोध में वृद्धि होगी ।
  • जबकि इस दिशा में पानी के स्त्रोत होना, या फिर टॉयलेट / बाथरूम होना इस दिशा को पीड़ित करता है । ऐसी स्थिति में घर की स्त्रियों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत रहने लगती है , और बाकी सदस्य भी आलसी होने लगते हैं ।
  • कुण्डली का 12वा भाव इस दिशा से संबंधित होता है, जो कि शयन का है , इस लिए बैडरूम में bed इस दिशा में रखना चाहिए , और इस तरह रखे कि सोते समय सर दक्षिण दिशा की तरफ रहे । किसी विशेष मन्त्र सिद्धि या कार्य सिद्धि के लिए अगर पूजा उपासना करनी हो तो इस दिशा में बैठ कर करने से मनोकामना जल्दी पूरी होती है । जो सदस्य ग्रहस्थ को भोग चुके हैं यानी कि घर के बुजुर्ग जिनको मोक्ष प्राप्ति के लिए पूजा पाठ करना होता है उनको भी इस दिशा में रह कर दैनिक पूजा पाठ करना चाहिए । लेकिन ग्रहस्थ कार्यो में लगे हुए को इस दिशा में पूजा पाठ नहीं करनी चाहिए ।
  • इस दिशा में रखी गई दवाइयां जल्दी रोग दूर नहीं करती , ऐसे में दवाइयों पर काफी खर्च होने लगते हैं , इस लिए इस दिशा में ना तो बीमार सदस्य को रहना चाहिए और ना ही दवाइयां इस दिशा में रखनी चाहिए ।
  • वास्तु के अनुसार इस दिशा में अग्नि तत्व होने से, कोई भी पौदा इस दिशा में नहीं लगाना चाहिए , जबकि घर के सदस्यों में क्रोध को कम करने के लिए इस दिशा में सफेद रंग का इस्तेमाल करना चाहिए , और यदि घर के सदस्यों में आलस्य रहता हो , इसे दूर करने के लिए लाल या संतरी रंग , रोशनी / बल्ब का इस्तेमाल किया जा सकता है ।
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    : पाँच वस्तु ऐसी हे ,जो अपवित्र होते हुए भी पवित्र है…. उच्छिष्टं शिवनिर्माल्यं
    वमनं शवकर्पटम् ।
    काकविष्टा ते पञ्चैते
    पवित्राति मनोहरा॥

1. उच्छिष्ट — गाय का दूध ।
गाय का दूध पहले उसका बछड़ा पीकर उच्छिष्ट करता है।फिर भी वह पवित्र ओर शिव पर चढ़ता हे ।

2. शिव निर्माल्यं –
गंगा का जल
गंगा जी का अवतरण स्वर्ग से सीधा शिव जी के मस्तक पर हुआ । नियमानुसार शिव जी पर चढ़ायी हुई हर चीज़ निर्माल्य है पर गंगाजल पवित्र है।

3. वमनम्—
उल्टी — शहद..
मधुमख्खी जब फूलों का रस लेकर अपने छत्ते पर आती है , तब वो अपने मुख से उस रस की शहद के रूप में उल्टी करती है ,जो पवित्र कार्यों मे उपयोग किया जाता है।

4. शव कर्पटम्— रेशमी वस्त्र
धार्मिक कार्यों को सम्पादित करने के लिये पवित्रता की आवश्यकता रहती है , रेशमी वस्त्र को पवित्र माना गया है , पर रेशम को बनाने के लिये रेशमी कीडे़ को उबलते पानी में डाला जाता है ओर उसकी मौत हो जाती है उसके बाद रेशम मिलता है तो हुआ शव कर्पट फिर भी पवित्र है ।

5. काक विष्टा— कौए का मल
कौवा पीपल पेड़ों के फल खाता है ओर उन पेड़ों के बीज अपनी विष्टा में इधर उधर छोड़ देता है जिसमें से पेड़ों की उत्पत्ति होती है ,आपने देखा होगा की कही भी पीपल के पेड़ उगते नही हे बल्कि पीपल काक विष्टा से उगता है ,फिर भी पवित्र है।
: 🌸प्रार्थना -🙏

💢यह भक्ति का पूरा शास्त्र है कि आप मांगो भी और जल्दी भी न करो। प्रार्थना भी हो, और होंठो पर मांग भी न आये !

परम सिध्द सन्त रामदास जी जब प्रार्थना करते थे तो कभी उनके होंठ नही हिलते थे !

शिष्यों ने पूछा – हम प्रार्थना करते हैं, तो होंठ हिलते हैं।
आपके होंठ नहीं हिलते ? आप पत्थर की मूर्ति की तरह खडे़ हो जाते हैं। आप कहते क्या है अन्दर से ?

क्योंकि अगर आप अन्दर से भी कुछ कहेंगे, तो होंठो पर थोड़ा कंपन आ ही जाता है। चहेरे पर बोलने का भाव आ जाता है,
लेकिन वह भाव भी नहीं आता !

सन्त रामदास जी ने कहा – मैं एक बार राजधानी से गुजरा और राजमहल के सामने द्वार पर मैंने सम्राट को खडे़ देखा, और एक भिखारी को भी खडे़ देखा !

वह भिखारी बस खड़ा था। फटे–चीथडे़ थे शरीर पर। जीर्ण – जर्जर देह थी, जैसे बहुत दिनो से भोजन न मिला हो !

शरीर सूख कर कांटा हो गया। बस आंखें ही दीयों की तरह जगमगा रही थी। बाकी जीवन जैसे सब तरफ से विलीन हो गया हो !

वह कैसे खड़ा था यह भी आश्चर्य था। लगता था अब गिरा -तब गिरा !

सम्राट उससे बोला – बोलो क्या चाहते हो ?

उस भिखारी ने कहा – अगर मेरे आपके द्वार पर खडे़ होने से, मेरी मांग का पता नहीं चलता, तो कहने की कोई जरूरत नहीं !

क्या कहना है और ? मै द्वार पर खड़ा हूं, मुझे देख लो। मेरा होना ही मेरी प्रार्थना है। “

सन्त रामदास जी ने कहा -उसी दिन से मैंने प्रार्थना बंद कर दी। मैं परमात्मा के द्वार पर खड़ा हूं। वह देख लेगें । मैं क्या कहूं ?

अगर मेरी स्थिति कुछ नहीं कह सकती, तो मेरे शब्द क्या कह सकेंगे ?

अगर वह मेरी स्थिति नहीं समझ सकते, तो मेरे शब्दों को क्या समझेंगे ?

अतः भाव व दृढ विश्वास ही सच्ची भक्ति के लक्षण है यहाँ कुछ मांगना शेष नही रहता ! आपका प्रार्थना में होना ही पर्याप्त है !!💢

          🙏🏻🙏🏻

: 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹मांगलिक भंग योग

कुछ कारणवश मांगलिक योग भंग भी हो जाता है । परन्तु अल्प-ज्ञानी ज्योतिष एवं पंडित मांगलिक योग का
परिहार कैसे होता है जानते ही नहीं और लोगों को गुमराह करते है । शास्त्रों में बताये गए मंगली-भंग योग की जानकारी लेकर आप पाएंगे की कोई -कोई व्यक्ति (जातक-जातिका) ही मांगलिक होता है तकरीबन मांगलिक भंग ही होता है । शास्त्रों में लिखे गए श्लोकों का प्रमाण देते हुए मंगली-भंग योग का विवरण दे रहा हूँ ।

१.जामित्रे च यदा शोरी लग्ने बा हिबुके जथा ।
अष्टमे द्वादशे चैव भौम दोषो न विधते ॥ (ज्योतिष सर्वस्या)

अर्थात :अगर जन्म कुंडली में लग्न में,चौथे भाव,सप्तम भाव,अष्टम भाव,और बाहरवें भाव शनि देवता विराजमान हो,तो जातक का मंगली-भंग योग बनता है या कह सकते है की वो जातक मांगलिक नहीं है ।

२.तनु धन सुख मदना युलार्भ व्ययग :कुजस्तु दाम्पत्यम ।
विघटयति तद -ग्रहशो न विघटयति तुगमित्रेगेहेवा ॥ (मुहूर्त चिंतामणि )
अर्थात:प्रथम भाव,दुसरे भाव,चोथे भाव,पांचवें,आठवें,बाहरवें भावों में बैठा मंगल वर-वधु के वैवाहिक जीवन में विघटन पैदा करता है परन्तु अपने घर अर्थात स्वग्रही मंगल (मेष,वृश्चिक का)या उच्च का (मकर)या मित्र क्षेत्रीय मंगल दोष कारक नहीं है ।

३.सबले गुरौ भृगौ वा लग्ने द्यूनगेऽयि वाऽथवा भौमे । ।
वक्रिणि नीचारि – गृहस्थे वाऽर्क स्थेऽपि वा न कुज दोषः । । ( फलित मार्तण्ड )
अर्थात:जन्म कुंडली में बलि गुरु और शुक्र लग्न में या सप्तम भाव में हो परन्तु शुक्र मंगल के साथ न हो,अथवा मंगल वक्रीय,नीच या शत्रु के घर में हो,या सूर्य से अस्त हो तो मंगलीक योग नहीं बनता ।

४.अगर गुरु देवता योगकारक होकर कुंडली में कहीं से भी मंगल पर दृस्टि डाल दें या देखे तो मांगलिक योग भंग होता है क्यों की गुरु देवता सबसे शुभ ग्रह माने जाते जिससे मंगल के बुरे प्रभाव को कम करता है।

५.अगर मंगल देवता योगकारक होकर उच्च के हो जाये तो भी मांगलिक भंग योग बनता है क्यों की अच्छा ग्रह वो भी उच्च का कभी बुरा फल नहीं देगा ।

६.अगर लग्न कुंडली में मंगल देवता गुरु देवता के साथ युति बना ले तो भी मांगलिक योग भंग होता है क्यों की गुरु देवता की शुभता मंगल देव के बुरे प्रभाव को कम करता है ।

७.अगर मंगल देवता और चंद्र देवता की युति हो लग्न कुंडली में और दोनों योगकारक हो तो भी मंगलीक भंग योग बनता है क्यों की मंगल अग्नि तत्व है और चंद्र जल तत्व है जिस कारण मंगल का बुरा प्रभाव कम हो जाता है ध्यान देने योग्य बात यही है की चंद्र का बल ज्यादा होना चाहिए ।

८.अगर मंगल देवता लग्न कुंडली में योगकारक और सम होकर उच्च के और स्वराशि होकर केंद्र में १,४,७ भाव में बैठे हों तो भी मांगलिक भंग योग बनता है क्यों मंगल देवता रुचक नामक पंच महापुरुष योग बनाते है लेकिन डिग्री और बलाबल जरूर चेक कर लें।

९.अगर मंगल देवता राहु देवता के साथ युति बनाकर बैठे हों तो भी मांगलिक भंग योग बनता है ।

१०.अगर मंगल देवता ०° या २८° डिग्री के हों तो भी मांगलिक भंग योग बनता है क्यों
की मंगल देवता में बल ही नहीं तो वो बुरा प्रभाव कैसे देंगे ।
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