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पसीना,
गंदी गैस
,मुँह से आने वाली बदबू का उपचार

  • 1.आमला चूर्ण 100 Gm. 2.बेलपत्र का छाया मे सुखाया चूर्ण 100 Gm. 3.नीम के पत्तों का छायाशुष्क चूर्ण 25 Gm. बनाने की विधि:- आमला चूर्ण बाजार से बना बनाया या खुद पंसारी से लेकर बना लें ,उसमें बेलपत्र + नीमपत्र मिलाकर शीशी में भर कर रख लें । लेने की विधि:- सुबह-शाम ताजे जल से 5 -5 ग्राम । खाने के एक घंटे बाद…
    [: Treatment by Clapping
    Benefits of Clapping
1. रोज 400 तालियां बजाने / Clapping से गठिया रोग ठीक हो जाता है। लगातार 3-4 महीने सुबह शाम ताली बजायें। ताली बजाने से उगलियों, हाथों का रक्त संचार / Blood Flow तीव्र गति से होता है। जोकि सीधे नसों को प्रभावित करता है जिससे गठिया रोग / Arthritis ठीक हो जाता है।

2. Hand Paralysis / हाथों में लकवा और हाथ कापना, हाथ कमजोर होने पर रोज नियमित सुबह शाम 400 तालियां बजाने से 5-6 महीनें में समस्या से निदान मिलता है।

3. Internal Organs / हृदय रोग, फेडडे़ खराब होने पर, लिवर की समस्या होने पर रोग नियमित सुबह शाम 400-400 तालियां बजायें। आंतरिक बीमारियों से तुरन्त छुटकारा मिलता है।

4. Immune System / रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने में तालियां अहम हैं। तालियां बजाने से शरीर में तीव्र रक्त संचार होता है। शरीर का अंग अंग काम करने लगता है।

5. तालियां बजाने से नसें और धमिनयों सही तरह से सुचारू हो जाती है। Veins, Muscles Strains / मांसपेशियों का तनाव खिचाव ठीक करने में तालियां बजाना सक्षम है।

6. तालियां बजाने से सिरदर्द, अस्थमा, मधुमेह नियंत्रण में रहता है। Clapping / तालियां मारना हेल्थ समस्याऐं नियंत्रण में रखने में सहायक है।

7. Hair Fall / बालों के झड़ने से रोकने में तालियां खास फायदा करती है। तालियां बजाने से हाथों में घर्षण बनता है। हाथ की अंगूठे उगलियां नसे सिर से जुड़ी होती हैं।

8. प्रतिदिन भोजन ग्रहण के बाद 400 तालियों बजाने से शरीर समस्त रोगों से दूर रहता है। शरीर में फालतू चर्बी नहीं जमती और मोटापा / Obesity, Fat से दूर रखने में तालियां अहम हैं।

9. तालियां बजाने से स्मरण शक्ति / Memory Power बढ़ती है। क्योंकि हाथ का अंगूठे की नसें सीधें दिमाग से जुड़ी होती है।

10. शरीर के समस्त जोड़ पाइन्टस हाथों की हथेलियों उगलियों से जुड़े होते हैं। इसलिए तालियां बजानें से Healthy Body Fit Mind / शरीर स्वस्थ और निरोग रहता है। 

*Technique / Steps of Clapping Hands ::*

1. ताली बजाने से पहले हाथों पर नारियल, जैतून, बादाम, तिल, अखरोट आदि कोई भी एक तेल लगा लें।

2. रोज सुबह 400 तालियां और रोज शाम 400 तालियां बजायें।

3. 200 तालियां हाथ ऊपर कर और 200 तालियां साधारण स्थिति में रह कर बजायें।

4. हाथों पर तीव्र घषर्ण, या हाथ गर्म होने पर कुछ सेकेंड़ रूकें।

5. तालियां बजाने के तुरन्त बाद कुछ खायें पीने नहीं। 20-25 मिनट बाद ही कुछ खायें पीयें।

*स्वस्थ शरीर के लिए तालियां बजाना अति उत्तम फायदेमंद है। ताली बजाने से शरीर में रक्त संचार तीव्र गति से होता है। जोकि सम्पूर्ण शरीर / Whole Body को दुरूस्त करने में सक्षम है*

हमारे पूर्वज बहुत ज्ञानी थे , वो जानते थे कि व्यक्ति अच्छे कार्य आसानी से नहीं करता है,  इसलिए उन्होंने हर उस कार्य को जो हमारे स्वास्थ्य से जुड़ा हो उसे धर्म से जोड़ा  ताकि हम नियमित रूप से वो सब कार्य करें जो हमारे स्वास्थ्य के लिए सर्वश्रेष्ठ हो ।

*उदाहरण के लिए  :*
        सुबह शाम भगवान की आरती के साथ ताली बजानी चाहिए  । 
             👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻

Smile and spread smile 😊😊
: *गला बैठना (Hoarseness)*

परिचय:-

इस रोग में रोगी का गला बैठ जाता है जिसके कारण रोगी को बोलने में परेशानी होने लगती है तथा जब व्यक्ति बोलता है तो उसकी आवाज साफ नहीं निकलती है तथा उसकी आवाज बैठी-बैठी सी लगती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि स्वर नली के स्नायुओं पर किसी प्रकार के अनावश्यक दबाव पड़ने के कारण वे निर्बल पड़ जाती हैं। इस रोग के कारण रोगी की आवाज भारी होने लगती है तथा गले में खुश्की हो जाती है और कभी-कभी रोगी को सूखी खांसी और सांस लेने में परेशानी होने लगती है।

गला बैठने के कारण :-  

अधिक गाना गाने, चीखने-चिल्लाने तथा जोर-जोर से भाषण देने से रोगी का गला बैठ जाता है।ठंड लगने तथा सीलनयुक्त स्थान पर रहने के कारण गला बैठ सकता है।ठंडी चीजों का भोजन में अधिक प्रयोग करने के कारण भी यह रोग सकता है।शरीर के अन्दर किसी तरह का दूषित द्रव्य जमा हो जाने पर जब यह दूषित द्रव्य किसी तरह से हलक तक पहुंच जाता है तो गला बैठ जाता है।

गला बैठने का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार :-

गला बैठने के रोग का उपचार करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को अपने पेड़ू पर गीली मिट्टी की पट्टी से लेप करना चाहिए तथा इसके बाद एनिमा क्रिया का प्रयोग करके पेट को साफ करना चाहिए।गला बैठने के रोग से पीड़ित रोगी को सुबह तथा शाम के समय में अपने गले के चारों तरफ गीले कपड़े या मिट्टी की गीली पट्टी का लेप करना चाहिए।रोगी व्यक्ति को अपने गले, छाती तथा कंधे पर बारी-बारी से गर्म या ठंडा सेंक करना चाहिए तथा इसके दूसरे दिन उष्णपाद स्नान (गर्म पानी से पैरों को धोना) करना चाहिए।रोगी व्यक्ति को गर्म पानी में हल्का सा नमक मिलाकर उस पानी से गरारे करने चाहिए और सुबह तथा शाम के समय में एक-एक गिलास नमक मिला हुआ गर्म पानी पीना चाहिए।गला बैठना रोग से पीड़ित रोगी को 1 सप्ताह तक चोकरयुक्त रोटी तथा उबली-सब्जी खानी चाहिए।इस रोग से पीड़ित रोगी को फल और दूध का अधिक सेवन करना चाहिए जिसके फलस्वरूप यह रोग ठीक हो जाता है।रोगी व्यक्ति को पानी में नींबू का रस मिलाकर दिन में कई बार पीना चाहिए तथा इसके अलावा गहरी नीली बोतल का सूर्यतप्त जल कम से कम 25 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में 6 बार पीना चाहिए। इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने से यह रोग ठीक हो जाता है।


🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦 बालों को हर्ब्स से धोएं
🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🙏🏻
मेंहदी, नीम और ग्रीन टी समेत ऐसे कई हर्ब्स हैं जिसे बालों पर लगाने से बाल घने और लंबे होते हैं। मेंहदी इसमें सबसे ज्यादा असरदार है, क्योंकि यह बालों की जड़ों यानि स्कैल्प को पोषण देता है। इससे बालों में चमक आती है।

ग्रीन टी में पाए जाने वाले तत्व पॉलीफेनोल्स बालों के बढ़ने में अहम भूमिका निभाते हैं। ध्यान रहे कि इन हर्ब्स का लेप बालों में शैंपू और कंडीशनिंग करने के बाद लगाएं। हर्बल टी पीने से भी बाल लंबे होते हैं। कैसे बनाए बाल झड़ने से बचाने वाली आयुर्वेदिक घरेलू दवा

आँवला ,बहेडा और त्रिफला तीनो को एक समान लेकर तीनोकी गुठली अलग करके उनको अच्छी तरह से कूटकर चूरन बनाले.इस चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा मे लेकर रात को सोने से पहले पानी या दूध के साथ नियमित रूप से ले इसको लगभग ६ महीने तक ले. और इसके साथ ही १ -२ चम्मच त्रिफला को लेकर एक ग्लास पानी मे रात को भिगो ने के लिए डाल दे. सबेरे इसे मसलकर छान ले और इसके बाद इसी पानी का ईस्तमाल करके सर को धोने से आपको जल्द ही लाभ मिलेगा .इसके रोजाना ईस्तमाल से आपके काले बाल काले ही रहने मे मदत होगी और आपके बाल जल्दी सफेद नही होंगे.नींबू के रस मे दो गुना नारियल का तेल मिलाकर उंगलियो से धीरे धीरे रात को सोने से पहले मालिश करने से केश यानिकी आपके बाल झड़ना बंद हो जाएगा. इससे गंजापन की समस्या भी दूर हो जाएगी.दोस्तो प्याज का रस को निकाल कर शहद को एक समान लेकर अपने बालों मे लगाने से बालों का गिरना बंद होता है.
बाल क्यों गिरते है

आज के जीवन मे रसायनो ,उर्वरंको ,किटकनाशकों और कई अन्या मिलावट वाले खाद्यपादार्थो का ईस्तमाल करना ही पड़ता है.रसायन युक्त साबुन और शैम्पू के ईस्तमाल से आपके बालो की चमक और बालो को गिरने मे दोषी पाया गया है.रात मे सोने से पहले सर मे कंघी ना करने से भी बाल गिरने की संभावना बनी रहती है. बाल झड़ने से बचाने का उपचार–
नारियल तेल (Coconut Oil)–
अगर आपके बाल झड़ते हैं तो नारियल का तेल सबसे आसान और अच्छा घरेलू उपचार है जिसे आपको सर पे लगाना है।
20 ml नारियल का तेल लें और 10 ml आमला तेल लें, इसके अलावा एक या दो चम्मच निम्बू का रस लेकर तीनों को अच्छे से मिलाएं और अपने सर पे लगा एं और कुछ देर ऐसे ही रहने दें।
करीब 20 मिनट बाद आप अपना सर धो लीजिये। 🙏🏻🙏🏻
🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦 *सिर के बाल जब उड़ जाते हैं तो खोपड़ी खल्वाट* 🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦
(बालों रहित) हो जाती है जिसे गंज कहते हैं।
विभिन्न भाषाओं में नाम :
अरबी ताकपर, चुलीउत्थ।
बंगाली तका, खालित्य।
डोंगरी गेंजा, गेन्दा, गु गंजो।
हिन्दी गंजा।
कन्नड़ कोऊडलु उदरूवुडु।
मलयालम कसन्ती।
मराठी टकला पाडने।
उड़िया चांदा।
पंजाबी वेंगंजा।
तमिल त्रुकालुटा।
अंग्रेजी अलापेसिया।
कारण :
गंजापन और बाल झड़ने के विभिन्न कारण होते हैं
जो निम्नलिखित हैं- मानसिक कार्य अधिक करना, वंशानुगत(पीढ़ियों से चला आयागंजापन का रोग), भोजन में विटामिन्स की कमी, वृद्धावस्था (बुढ़ापा), रक्तविकार*
(खून की खराबी), सिर में दाद , फेवस( रूसी ) आदि। कंघी या सिर की मालिश करते समय टूटे बाल हाथ में आते रहते
हैं। धीरे-धीरे सिर में बाल नहीं के बराबर रह जाते हैं।
विभिन्न औषधियों से उपचार-

  1. हाथी-दांत : हाथी-दांत
    की राख में बकरी का दूध और रसौत
    को मिलाकर सिर पर लेप करने से बाल उगने लगते हैं।
  2. आम : एक साल पुराने आम के अचार के तेल से रोजाना मालिश
    करें। इससे गंजेपन का रोग कम हो जाता है।
  3. केला : पके केले के गूदे को नींबू के रस में मिलाकर
    लगाने से गंजेपन का रोग मिट जाता है।
  4. दही : दही को तांबे के बर्तन से
    ही इतनी देर रगडे़ कि वह हरा हो जाए।
    इसे सिर में लगाने से गंजेपन की जगह बाल उगना शुरू
    हो जाते हैं।
  5. पत्तागोभी : पत्तागोभी के रस से एक
    महीने तक सिर पर मालिश करने से गंजेपन का रोग
    सही हो जाता है।
  6. फिटकरी : 5-5 ग्राम फिटकरी और
    छड़ेला को पानी के साथ पीसकर गंजेपन
    की जगह 3-4 दिनों तक लगाने से गंजेपन का रोग मिट
    जाता है।
  7. कबीला : 5-5 ग्राम कबीला,
    कच्चा सुहागा तथा कम भुनी राई को एक साथ
    पीसकर सिर के गंजेपन पर सरसों के तेल में मिलाकर
    लेप करें। इससे गंजेपन का रोग मिट जाता है।
  8. अरण्डी (एरण्ड) : अरण्डी (एरण्ड)
    या सरसों के तेल में हल्दी जलाकर छान लें और इसमें
    थोड़ा सा कपूर मिलाकर सिर के गंजे जगह पर मालिश करें। इससे सिर
    पर बाल उगना शुरू हो जाते हैं।
  9. तम्बाकू : 20-20 ग्राम तम्बाकू का जला गुल और कनेर के पत्ते
    को 100 मिलीलीटर सरसों के तेल में
    जलाकर ठंड़ा कर मिला लें और इसे सिर में लगायें। इससे सिर के बाल
    आना शुरू हो जाते हैं।
  10. झाऊ : 100 ग्राम झाऊ की जड़ छाया में सुखाकर
    दरदरा यानी मोटा-मोटा कूटकर 500
    मिलीलीटर पानी में उबालें, 100
    मिलीलीटर पानी रह जाने पर
    निथारकर 100 मिलीलीटर तिल के तेल में
    जलायें, फिर इसे ठंड़ा कर लेने के बाद बालों में लगाएं। इससे
    बालों का झड़ना भी कम हो जाता है।
  11. गोरखमुण्डी : 5 ग्राम गोरखमुण्डी के
    चूर्ण को सुबह पानी के साथ सेवन करने से
    बालों का झड़ना कम हो जाता है।
  12. कालीमिर्च : कालीमिर्च और नमक
    का चूर्ण प्याज के साथ पीसकर लगाने से सिर का दाद
    और बालों के झड़ने की शिकायत से राहत
    मिलती है।
  13. मेथी :
    मेथी के बीजों को बालों में लेप करने से
    बालों का झड़ना बन्द हो जाता है।
    दाना मेथी पीसकर गंज के स्थान पर
    रोजाना लेप करने से बाल उग जाते हैं।
  14. प्याज :
    प्याज का रस शहद में मिलाकर गंजेपन की जगह पर
    लगाने से फिर से बालों का उगना शुरू जाता है।
    गंज (सिर पर कहीं से बाल उड़ जाने को गंज कहते
    हैं) वाले भाग पर प्याज का रस रगड़ने से बाल वापस उगने लगते
    हैं और बाल गिरने रुक जाते हैं।
    प्याज के रस में नमक और कालीमिर्च का पाउड़र मिलाकर
    मालिश करने से सिर की दाद के कारण सिर के उड़ गये
    बाल फिर से आने लगते हैं।
  15. महानिम्ब (बकायन ) : महानिम्ब के बीज के
    बीचले भाग (मध्य भाग) लगभग 1 ग्राम का चौथाई भाग
    से 1 ग्राम या छाल का चूर्ण 3 ग्राम से 6 ग्राम सेवन करने से लाभ
    होता है। इसे दिन में 2 बार यानी सुबह-शाम दें
    अथवा इसके पत्ते का रस 5 से 10
    मिलीलीटर तक भी दे सकते
    हैं। इससे गंजेपन के रोग में लाभ होता है।
  16. हारसिंगार : हारसिंगार के
    बीजों को पानी के साथ पीसकर
    सिर के गंजेपन की जगह लगाने से सिर में नये बाल
    आना शुरू हो जाते हैं।
  17. करंज : करंज के फूलों को पीसकर सिर में बांधने से
    गंजेपन से लाभ होता है और नये बालों का आना शुरू हो जाता है।
    इसे रोजाना रात को बांधें और सुबह नींबू के रस मिले
    पानी से साफ कर लें।
  18. करजनी (गुंजा) :
    करजनी के बीजों का मिश्रण गंजेपन पर
    लगाने से नये बाल उगने शुरू हो जाते हैं। इसे रोजाना रात में लगाकर
    सिर को बांधे और सुबह नींबू रस मिले
    पानी से साफ कर लें। इससे लाभ होता है।
    गुंजा के बीजों के साफ तेल को उपयोग में लाने से बालों में
    लाभ होता है।
  19. रोहिस घास : रोहिस घास के पत्तों का तेल सिर में मालिश करने
    से गंजेपन के रोग में लाभ होता है और नये बाल निकल आते हैं।
  20. भंगरैया : भंगरैया का रस रोजाना गंजे सिर में मालिश करने और
    उसका रस 5-10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन
    करने से गंजेपन का रोग दूर हो जाता है।
  21. वन्यकाहू : वन्यकान्हू के बीज और कूठ
    को एक साथ पीसकर लेप करने से गंजेपन और बालों के
    झड़ने में कमी आती है।
  22. रोजमरी : रोजमरी के तेल का प्रयोग
    गंजेपन और बालों के झड़ने में किया जाता है।
  23. अलसी (तीसी ) :
    अलसी के तेल में बरगद (वटवृक्ष) के पत्तों को जलाने
    के बाद उसे पीसकर और छानकर रख लें। इस तेल
    को सुबह-शाम सिर में लगायें। इसी तरह इसे लगाते
    रहने से सिर पर फिर से बालों का उगना शुरू हो जाता है।
  24. अमरबेल :
    अमरबेल के रस को रोजाना सिर में मालिश करने से बाल उग आते हैं।
    बालों के झड़ने से उत्पन्न गंजेपन को दूर करने के लिए गंजे हुए
    स्थान पर अमर बेल को पानी में घिसकर लेप तैयार कर
    लें, इस लेप को नियमित रूप से दिन में दो बार लगभग चार या पांच
    हफ्ते तक लगाएं। इससे अवश्य फायदा होगा।
  25. सुहागा : 20 ग्राम सुहागा और 20 ग्राम कपूर
    दोनों को बारीक पीसकर पानी में
    घोलकर, बाल धोने से बालों का गिरना कम हो जाता है।
  26. अनन्तमूल : 2 ग्राम अनन्तमूल की जड़
    का चूर्ण रोजाना खाने से सिर के बाल उग आते हैं और सफेद बाल
    काले होने लगते हैं।
  27. धनिया : धनिया का पानी निकालकर (पत्ते का रस)
    सिर पर मालिश करने से गंजेपन का रोग मिट जाता है और नये बाल
    आना शुरू हो जाते हैं। सिर पर हरे धनिये का रस लगाने से बाल
    निकल आते हैं।
  28. चुकन्दर : चुकन्दर के पत्ते का रस सिर में मालिश करने से
    गंजेपन का रोग मिट जाता है और नये बाल आना शुरू हो जाते हैं।
  29. लहसुन : सिर में लहसुन का रस लगाने से बाल उग जाते हैं।
    इसका प्रयोग 60 दिनों तक करने से गंजापन दूर कर सकते हैं।
  30. जातीपत्र : जातीपत्र, करंज
    बीज, वरुण छाल, करवीर मूल और चित्रक
    सभी को बराबर मात्रा में लेकर मिश्रण बनाकर साफ
    किया तेल उपयोग में लाना चाहिए। इससे बालों को लाभ होता है।
  31. आमलकी : आमलकी फल
    मज्जा और आम के बीज जिनका छिलका उतार
    दिया गया हो पानी में लेप तैयार कर उपयोग में लाने से
    गंजेपन से लाभ होगा।
  32. रसांजन (रसोत) : हाथी-दांत की राख
    में रसांजन और बकरी का दूध मिलाकर सिर पर लेप करने
    से गंजेपन का रोग मिट जाता है।
  33. जमालगोटा : नींबू के रस में जमालगोटे के
    बीजों को पीसकर सिर पर लगाएं। सूखने पर
    कुछ ही देर में धो लें इसे हर रोज लगाते रहने से
    गंजेपन के रोग में लाभ होगा।
  34. धतूरा :
    धतूरे के रस को सिर पर मलने से बाल उगने में
    सहायता मिलती है। इसका प्रयोग नियमित रूप से कुछ
    हफ्तों तक करना चाहिए।
    धतूरे के पत्तों के रस का लेप करने से खालित्य (गंजापन) नष्ट
    हो जाता है।
  35. मुलहठी : मुलहठी का पाउडर, दूध
    और थोड़ी-सी केसर का पेस्ट बनाकर
    नियमित रूप से सिर में लगायें। अधिक रूसी होने पर
    तथा बाल अधिक झड़ने पर सिर पर मुलहठी लगाने से
    लाभ होता है।
  36. दूधी : इसके पंचांग (जड़, तना, पत्ती,
    फल और फूल) के रस और कनेर के पत्तों के रस को मिलाकर सिर
    के गंजे स्थान पर लगाने से बाल सफेद होना बन्द हो जाते हैं
    तथा गंजापन दूर हो जाता है।
  37. कलौंजी: जली हुई
    कलौजी हेयर आइल में मिलाकर नियमित रूप से गंजेपन
    में मालिश करने से लाभ होता है।
  38. ग्वारपाठा : रक्त घृत कुमारी (जिसमें
    नारंगी और कुछ लाल रंग के फूल लगते हैं) के गूदे
    को स्प्रिट में गलाकर सिर में लेप करने से बाल काले हो जाते हैं
    तथा गंजे सिर में लगाने से बाल उग जाते हैं।
  39. गुड़हल :
    गुड़हल के फूल के फल को कालीगाय के मूत्र के साथ
    पीसकर गंजेपन की जगह पर लगाने से
    गंजेपन का रोग मिट जाता है। इससे बालों के बढ़ने में
    भी लाभ होता है।
    नोट : इसके बीज गोलाकर और अनेकबीजों से युक्त होते हैं।
    गंजापन दूर करने के लिए कालीगाय के पेशाब में गुड़हल
    के फूलों को पीसकर लगाने से बाल बढ़ जाते हैं और
    गंजापन भी दूर होता है।
    गुड़हल के पत्तों को पीसकर
    लुग्दी बनाकर बालों में लगा लें। 2 घंटे के बाद
    बालों को धोकर साफ कर लें। इस प्रयोग को नियमित रूप से करते
    रहने से न केवल बालों को पोषण मिलता है बल्कि सिर में ठंडक
    का भी अनुभव होता है।
    गुड़हल के ताजे फूलों के रस में बराबर मात्रा में जैतून का तेल
    मिलाकर आग में पका लें। जब केवल तेल शेष रह जाए तो इसे
    शीशी में भरकर रख लें। इस तेल को बालों में
    मलकर जड़ों तक लगाने से बाल चमकीले और लंबे होते
    हैं।
    गुड़हल के फूल और भृंगराज के फूल को भेड़ के दूध के साथ
    पीसकर लोहे के बर्तन में रख दें। 7 दिनों के बाद इसे
    निकालकर भृंगराज के रस में मिलाकर लोहे के बर्तन में रख दें। 7
    दिनों के बाद निकालकर भृंगराज के पंचांग के रस में मिलाकर, रात
    को गर्म करके बालों में लगायें। सुबह उठकर सिर को धो लें। इससे
    बाल काले हो जाते हैं।
  40. कटेरी : कटेरी के पत्तों के 20-50
    मिलीलीटर रस में थोड़ा शहद मिलाकर गंजे
    सिर पर मालिश करने से कुछ ही दिनों में
    कीटाणु खत्म हो जाते हैं। इससे त्वचा मुलायम
    हो जाती है और गंजे स्थान पर नये बाल आ जाते हैं।
  41. उड़द : उबाल उड़द की दाल को उबालकर
    पीस लें। रात को सोने के समय सिर पर लेप करें। इससे
    गंजापन धीरे-धीरे दूर हो जाता है और नये
    बाल आना शुरू हो जाते हैं।
  42. नींबू : रोजाना 1 से 2 महीने तक
    लगातार नींबू का रस रगड़ने से बाल वापस उग आते हैं।
  43. नीम :
    नीम के पत्ते 10 ग्राम तथा बेर के पत्ते 10 ग्राम
    लेकर दोनों को अच्छी तरह पीसकर
    इसका उबटन (लेप) तैयार कर लें। इसके बाद इस लेप को सिर पर
    लगाकर 1 से 2 घण्टे बाद धोने से बाल उग आते हैं। इसका प्रयोग
    एक महीने तक करने से लाभ मिलता है।
    100 ग्राम नीम के पत्तों को एक लीटर
    पानी में उबाल लें। इससे बालों को धोकर नीम
    के तेल को लगाने से बाल उगने लगते हैं।
    नीम के तेल को सूंघने से गंजेपन का रोग दूर
    हो जाता है।
    नीम का तेल 2-3 महीने रोजाना बालों के
    उड़कर बने चकत्ते पर लगाने से बाल उग आते हैं।
  44. परवल : कड़वे परवल के पत्तों का रस सिर के गंजेपन पर
    लगाने से लाभ होता है।
  45. लता करंज :
    लता करंज के तेल को सिर में लगाने से गंजापन में लाभ होता है।
    लता करंज के फूल 6 से 12 ग्राम को पीसकर सिर में
    लेप करके से सिर का गंजापन दूर होता है।
  46. अनार : अनार के पत्ते पानी में
    पीसकर सिर पर लेप करने से गंजापन दूर हो जाता है।
    प्रतिदिन मीठा अनार खाने से पेट मुलायम रहता है
    तथा कामेन्द्रियों को बल मिलता है।*
    47. अपामार्ग : कड़वे तेल (सरसों) में अपामार्ग के पत्तों को जलाकर
    मसल लें और मलहम बना लें। इसे गंजे स्थानों पर नियमित रूप से
    लेप करते रहने से पुन: बाल उगन की संभावना होगी।आपका अपना

🙏🏻🙏🏻 🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦 बालो की समस्या का परमानेंट सोल्यूशनसॅ 🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦
=!!!!==============
एक बार उपयोग जरूर करे 15 दीन मे परिणाम

क्या आप टकली पर बाल ना होने की समस्या से परेशान हे तो अब चिंता छोड़ो
➖➖➖➖➖➖➖ *दवा से बहुत लोगों को फायदा हे जो सब दूर से परेशान होते है *अतः आप लोग भी इसका फायदा ले*
===========!==!!!
टकली पर भी बाल उगाने वाला वह सफेद बालो को काला करने वाला पतले बेजान बाल मे नयी जान लाने वाला चमत्कारी तैल
आवला-15gm
जटामासी-200 mg
ईन्द्रायन बीज-6gm
अन्नंतमूल-4gm
सुगन्धंबाला-200 mg
कपुर कचरी100 mg
भागरा- 6gm
दारू हल्दी – 6 gm
शंख पुष्पी-800mg
तिल ऑईल-200gm

ये एक महीने का तैल बनाने की विधि है।
सब सामग्री को अच्छे से घोटकर खगालकर मिक्स करके तैल मे उबाले।ठण्ड़ा होने पर बोतल मे भर दे

इस तैल से गंजेपन वाले भाग पर सुबह शाम नियमित रूप से 3 महीने तक मालिश करने से गंजेपन मे भी बाल आ जाएगे।ओर बालो की हर समस्या से मुक्ति मिलेगी101 %

अक्सर महिलाए ज्यादा बालो की समस़्या से परेशान रहती है.
उन सब समस्या के लिये कोई ना कोई कारण जिम्मेदार होता है.

  *बाल गिरने के कारण*

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विटामिन्स मिनरल्स की कमी, बालो मे केमिकल युक्त तेल डालने से ,पालॅर मे बालो को रगवाने से,स्टेट करवाने से, केमिकल युक्त. शेम्पु के कारन कुपोषण , विटामिन-A, विटामिन -C, विटामिन -B की कमी , हिमोग्लोबिन की कमी , पित्त दोष , वात दोष , वात-पित्त दोष , किसी अन्य बिमारी के कारन , मानसिक टेन्शन के कारन , चिंता के कारण , अनियमित मासिक के कारण , थाईराईड , या अन्य बडे रोग के कारण भी बाल गिर सकते है.

बालो की समस्या
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बालो का गीरनां ,टकला होना,बालो के बीच मे से चमड़ी दीखना,बालो का टूटंना, दो मूहै बाल , बेजान बाल , बालो का ग्रोथ ना होना , यह समस्या से काफी परेशान महिलाऐ होती है

रोज रातऐरंड तैल मे भूनी हूवी हरड का चूरन १ चमच लिजिये.

हमने बालों मे होनी वाली रूसी को समाप्त करने का शेम्पू बनाया है अगर आप रूसी की समस्या से परेशान हे काॅफी सप्लिमेंट करके थक गए फिर भी निराश ना हो हमारे शेम्पू से आपकी समस्या का समाधान शीघ्र हो जाएंगा बच्चे भी ईस्तैमाल कर सकते है कोई साईड़ इफेक्ट नही है 🙏🏻🙏🏻
🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦 झड़ चुके बालों को वापस उगाने के तेल 🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦

खुला नारियल तेल 500 ग्राम लें, (शीशी में आने वाला रिफाइंड तेल नही लेना है), इसमें 100 ग्राम सूखा आंवला, 15 ताज़े पत्ते गुड़हल के, 4 इंच बड़ा पीली मक्खी (बर्र) का छत्ता (जिसकी मक्खी उड़ गयी हों), 50 ग्राम भृंगराज, 50 ग्राम ब्राह्मी सब मिला कर किसी लोहे की कढ़ाई में धीमी आंच पर पकाएं, जब छत्ता काला पड़ जाये तब इसे उतार कर ठंडा कर के छान लें, इस तेल की मालिश रोज सिर में करें, बाल उगने शुरू हों जायेंगे, असमय सफ़ेद हुए बाल भी इस तेल से काले हो जाते हैं, बालों में डैन्ड्रफ नही होता, बाल काले, घने, रेशमी और चमकदार हो जायेंगे।

नोट: ये तेल आपको बाजार में नही मिलेगा, इसे घर पर ही बनायें। 🙏🏻🙏🏻
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बाल के झड़ने का इलाज व रोकने के घरेलू उपाय – 🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦

1. नीम का पानी :-
10 15 नीम की पत्तियां पानी में डालकर तब तक उबालें जब तक पानी आधा ना रह जाए | इस पानी को ठंडा होने के लिए रख दें अवसर में शैंपू करने के बाद इस नीम के पानी से अपने बाल धो लें | यह बाल झड़ने रोकने का घरेलू उपाय हफ्ते में एक बार करें |

2. मेथी से बालों का झड़ना कैसे रोके :-
रात को दो चम्मच मेथी के बीज पानी में भिगोकर रखें | सुबह भीगे हुए बीजों को पीसकर एक पेस्ट बना लें इसमें 4 चम्मच दही और एक अंडे की सफेदी डाल कर अच्छे से मिला लें | इस मिश्रण को अपने सिर में जड़ों तक लगाएं और आधा घंटे सूखने दें और पानी से बाल धोले |

3. नारियल दूध :-
एक कप नारियल का दूध ले और उसे ब्रश की मदद से सिर में बालों की जड़ों तक यह दूध लगाएं | खोपड़ी में सही से लगाने के बाद एक तौलिए से बालों को लपेट कर 30 मिनट के लिए छोड़ दें | उसके बाद हर्बल शैंपू से धो लें |

4. प्याज का रस बालों को झड़ने से बचाने के लिए :-
एक प्याज का रस निकालने इस रस में एक चम्मच शहद और थोड़ा गुलाब जल मिलाएं | इस घरेलू दवा को अपने सिर में हर जगह फैलाएं और 1 घंटे के बाद सिर धो लें |
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बालो को लम्बा करने के लिये 🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦
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आम (मेंगो) की गुढ़ली + आंवला+भुंगराज को कुटकर रात को पानी मे भीगो दिजिये आैर सुबह वह बालो मे लगा दिजिये | २ धंटे बाद बालो को अरीढ़ा पानी से धो दिजिये |इससे बाल बहोत लम्बे होते है |

बालो को मुलायम बनाने के लिये
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ताजा एलोवेरा का हरा भाग निकाल दे आैर अंदर का रस+ गर्भ+ पानी मिक्स करके बालो मे रात को लगा दिजिये | सुबह बालो को गुनगुने पानी से धो दिजिये जीससे बाल मुलायम होते है |

बालो का सफेद होनां
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पित्तप्रकृति वाले लोगो के बाल ज्यादा सफेद होने लगते है जिसके लिये आंवला 100+ मुलेठी 100 + मिश्री 200 ग्राम लेकर मिक्स करके सुबह शाम १-१ चम्मच लिजिये | बालो मे नीलीभृंगराज तैल लगाये | रात को एलोवेरा रस या लौकी के रस का सेवन करे |

गंजापन का इलाज
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गंजापन दूर करने के लिये कलौंजी + अलसी + भुंगराज की पेस्ट बनाकर बालो मे १ धंटे तक लगाये रखे | 🙏🏻🙏🏻
[ 🙏 आजका सदचिंतन 🙏
हमारी परिस्थिति का निर्माता कौन है?
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हम परिस्थितियों – बाह्य संयोगों के संबन्ध में बहुत सी बातें सुनते रहते हैं। पर निश्चय समझ लेना चाहिए कि परिस्थितियाँ हमें नहीं बनाती वरन हम ही परिस्थितियों का निर्माता, नियंत्रण कर्ता और स्वामि है।
इसलिए हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी भावना के अनुसार परिस्थितयों को मोड़ ले। प्रत्येक परिस्थिती में से हम बहुत कुछ शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
हमारे भीतर ईश्वर ने जो शक्ति प्रदान की है यदि हम उसका उचित उपयोग करने लगें तो हमारी वर्तमान परिस्थिति ही हमारे लिए कल्याणकारी सिद्ध हो सकती है।

     *विचार क्रांति अभियान*

🙏 सबका जीवन मंगलमय हो 🙏
[ 👉 अच्छाई-बुराई :-

एक बार बुरी आत्माओं ने भगवान से शिकायत की कि उनके साथ इतना बुरा व्यवहार क्यों किया जाता है, जबकी अच्छी आत्माएँ इतने शानदार महल में रहती हैं और हम सब खंडहरों में, आखिर ये भेदभाव क्यों है, जबकि हम सब भी आप ही की संतान हैं।

भगवान ने उन्हें समझाया- ”मैंने तो सभी को एक जैसा ही बनाया पर तुम ही अपने कर्मो से बुरी आत्माएं बन गयीं। सो वैसा ही तुम्हारा घर भी हो गया।“

भगवान के समझाने पर भी बुरी आत्माएँ भेदभाव किये जाने की शिकायत करतीं रहीं और उदास होकर बैठ गयी।

इसपर भगवान ने कुछ देर सोचा और सभी अच्छी-बुरी आत्माओं को बुलाया और बोले- “बुरी आत्माओं के अनुरोध पर मैंने एक निर्णय लिया है, आज से तुम लोगों को रहने के लिए मैंने जो भी महल या खँडहर दिए थे वो सब नष्ट हो जायेंगे, और अच्छी और बुरी आत्माएं अपने अपने लिए दो अलग-अलग शहरों का निर्माण नए तरीके से स्वयं करेंगी।”

तभी एक आत्मा बोली- “ लेकिन इस निर्माण के लिए हमें ईटें कहाँ से मिलेंगी?”

भगवान बोले- “जब पृथ्वी पर कोई इंसान अच्छा या बुरा कर्म करेगा तो यहाँ पर उसके बदले में ईटें तैयार हो जाएंगी। सभी ईटें मजबूती में एक सामान होंगी, अब ये तुम लोगों को तय करना है कि तुम अच्छे कार्यों से बनने वाली ईंटें लोगे या बुरे कार्यों से बनने वाली ईटें!”

बुरी आत्माओं ने सोचा, पृथ्वी पर बुराई करने वाले अधिक लोग हैं इसलिए अगर उन्होंने बुरे कर्मों से बनने वाली ईटें ले लीं तो एक विशाल शहर का निर्माण हो सकता है, और उन्होंने भगवान से बुरे कर्मों से बनने वाली ईंटें मांग ली।

दोनों शहरों का निर्माण एक साथ शुरू हुआ, पर कुछ ही दिनों में बुरी आत्माओं का शहर वहाँ रूप लेने लगा, उन्हें लगातार ईंटों के ढेर के ढेर मिलते जा रहे थे और उससे उन्होंने एक शानदार महल बहुत जल्द बना भी लिया। वहीँ अच्छी आत्माओं का निर्माण धीरे-धीरे चल रहा था, काफी दिन बीत जाने पर भी उनके शहर का केवल एक ही हिस्सा बन पाया था।

कुछ दिन और ऐसे ही बीते, फिर एक दिन अचानक एक अजीब सी घटना घटी। बुरी आत्माओं के शहर से ईटें गायब होने लगीं… दीवारों से, छतों से, इमारतों की नीवों से,… हर जगह से ईंटें गायब होने लगीं और देखते ही देखते उनका पूरा शहर खंडहर का रूप लेने लगा।

परेशान आत्माएं तुरंत भगवान के पास भागीं और पुछा- “हे प्रभु! हमारे महल से अचानक ये ईटें क्यों गायब होने लगीं …हमारा महल और शहर तो फिर से खंडहर बन गया?”

भगवान मुस्कुराये और बोले-
“ईटें गायब होने लगीं!! अच्छा! दरअसल जिन लोगों ने बुरे कर्म किए थे अब वे उनका परिणाम भुगतने लगे हैं यानी अपने बुरे कर्मों से उबरने लगीं हैं उनके बुरे कर्म और उनसे उपजी बुराइयाँ नष्ट होने लगे हैं। सो उनकी बुराइयों से बनी ईटें भी नष्ट होने लगीं हैं। आखिर को जो आज बना है वह कल नष्ट भी होगा ही। अब किसकी आयु कितनी होगी ये अलग बात है।“

इस तरह से बुरी आत्माओ ने अपना सिर पकड़ लिया और सिर झुका के वहा से चली गई|

मित्रों! इस कहानी से हमें कई ज़रूरी बातें सीखने को मिलती है, बुराई और उससे होने वाला फायदा बढता तो बहुत तेजी से है। परंतु नष्ट भी उतनी ही तेजी से होता है।

वही सच्चाई और अच्छाई से चलने वाले धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं पर उनकी सफलता स्थायी होती है. अतः हमें हमेशा सच्चाई की बुनियाद पर अपने सफलता की इमारत खड़ी करनी चाहिए, झूठ और बुराई की बुनियाद पर तो बस खंडहर ही बनाये जा सकते हैं।
👉 रचनात्मक एवं संघर्षात्मक कदम उठाने होंगे

नया युग लाने के लिए धरती पर स्वर्ग का अवतरण करने के लिए-सतयुग की पुनरावृत्ति आँखों के सामने देखने के लिए-हमें कुछ अधिक महत्त्वपूर्ण, दुस्साहस भरे रचनात्मक एवं संघर्षात्मक कदम उठाने होंगे। शत-सूत्री कार्यक्रमों के अंतर्गत उसकी कुछ चर्चा हो चुकी है। बड़े परिवर्तनों के पीछे बड़ी कार्य पद्धतियाँ भी जुड़ी रहती हैं। निश्चित रूप से हमें ऐसे अगणित छोटे-बड़े आन्दोलन छेड़ने पड़ेंगे, संघर्ष करने पड़ेंगे, प्रशिक्षण संस्थाएँ चलानी पड़ेंगी जन करना अभियान में लाखों मनुष्यों का जन, सहयोग, त्याग-बलिदान सूझ-बूझ एवं प्रयत्न, पुरुषार्थ नियोजित किया जाएगा भारत के पिछले राष्ट्रीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में कितनी जनशक्ति और कितनी धन-शक्ति लगी थी। यह सर्वविदित है, यह भारत तक और उसके राजनैतिक क्षेत्र तक सीमित थी। अपने अभियान का कार्यक्षेत्र उससे सैकड़ों गुना बड़ा है।

अपना कार्यक्षेत्र समस्त विश्व है और परिवर्तन राजनीति में ही नहीं वरन् व्यक्ति तथा समाज के हर क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन प्रस्तुत करने हैं। इसके लिये कितने सृजनात्मक और कितने संघर्षात्मक मोर्चे खोलने पड़ेंगे, इसी कल्पना कोई भी दूरदर्शी कर सकता है। वर्तमान अस्त-व्यस्तता को सुव्यवस्था में परिवर्तित करना एक बड़ा काम है। मानवीय मस्तिष्क की दिशा, विचारणा, आकांक्षा अभिरुचि ओर प्रवृत्ति को बदल देना-निष्कृष्टता के स्थान पर उत्कृष्टता की प्रतिष्ठापना करना-सो भी समस्त पृथ्वी पर रहने वाले चार अरब व्यक्तियों में निस्सन्देह एक बहुत बड़ा ऐतिहासिक काम है। इसमें अग्रणी व्यक्तियों, असंख्य आन्दोलनों और असीम क्रिया तन्त्रों का समन्वय होगा।

यह एक अवश्यम्भावी प्रक्रिया है, जिसे महाकाल अपने ढंग से नियोजित कर रहे हैं। हर कोई देखेगा कि आज की वैज्ञानिक प्रगति की तरह कल भावनात्मक उत्कर्ष के लिए भी प्रबल प्रयत्न होंगे और उसमें एक से एक बढ़कर व्यक्तित्व एवं संगठन गज़ब की भूमिका प्रस्तुत कर रहे होंगे। यह सपना नहीं, सच्चाई है। जिसे अगले दिनों हर कोई मूर्तिमान् होते हुए देखेगा। इसे भविष्यवाणी नहीं समझना चाहिये, एक वस्तुस्थिति है जिसे हम आज अपनी आँखों पर चढ़ी दूरबीन से प्रत्यक्षतः देख रहे हैं। कल वह निकट आ पहुँचेगी और हर कोई उसे प्रत्यक्ष देखेगा। अगले दिनों संसार का समग्र परिवर्तन करके रख देने वाला एक भयंकर तूफान विद्युत गति से आगे बढ़ता चला आ रहा है। जो इस सड़ी दुनियाँ को समर्थ, प्रबुद्ध, स्वस्थ और समुन्नत बनाकर ही शान्त होगा।

✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
📖 अखण्ड ज्योति, सितंबर १९६९, पृष्ठ ६६

https://awgpskj.blogspot.com/2019/08/blog-post_55.html


: 👉 आत्मचिंतन के क्षण

मनुष्य में एक छोटी सी समस्या है, वो कभी स्वयं की निंदा सुन नहीं पाता। यदि कोई उसके विषय में बुरा कहे, सह नहीं पाता। सदैव भयभीत रहता है कि जो चार लोग हैं, कहीं मेरे विषय में बुरा न सोचें और यदि उसे पता लग जाए कि कोई उसकी पीठ पीछे उसकी बुराई कर रहा है, तो दुःखी हो जाता है। अब क्या इस कारण से स्वयं को दुखी कर लेना क्या उचित है? कदापि नहीं। क्योंकि सबसे पहली बात जो आपको स्मरण रखनी है। यदि कोई पीठ पीछे आपकी बुराई करता है, वो आपसे दो कदम पीछे है, है न? जो आपके बारे में आपसे सारी बातें कर सकता है। यदि ऐसा नहीं है, यदि वो सत्य कह रहे हैं, तो सर्वप्रथम अपनी भूलों को समझें। उस सत्य को समझें और निकाल फेंकें इन अवगुणों को और फिर देखें आप उनसे दो कदम और आगे बढ़ जाएँगे। क्योंकि ये जीवनरथ आगे देखकर चलाया जाता है, पीछे देखकर नहीं। तो ये पीछे देखना छोड़ दीजिये। जो वर्तमान है इसे देखिये इसे जीयें। जो आपका लक्ष्य है उसे साधिये।

मनुष्य जो है ये भूलों का पिटारा है। मनुष्य जो है, गलतियों का पुतला है और ये सत्य है। भूल भला किससे नहीं होती? हर एक से होती है और एक नहीं अनेक भूलें होती हैं। किन्तु स्मरण रखियेगा उनके वस्त्रों पर कीचड़ लगता है, जो कीचड़ साफ करने का प्रयास करते हैं। तो जहाँ प्रयास वहाँ भूलें तो होंगी ही। अब यदि आप कोई नया संकल्प करने जा रहे हैं, कोई बड़ा कार्य करने जा रहे हैं, और आपसे कोई भूल हो जाए, तो कोई बात नहीं। पश्चाताप न करें। अपनी भूल को पहचानें, उसे समझें, उसे सुधारने का प्रयास करें और सबसे महत्वपूर्ण बात अपनी भूलों से सीखें। उन्हीं के हाथों से लहू बहता है, जो काँटों में छिपे उस पुष्प को निकालने का प्रयास करते हैं। स्मरण रखिये जिसने जीवन में कभी कोई भूल नहीं की उसने कभी कोई नया करने का प्रयास ही नहीं किया। ये भूल आपका सबसे बड़ा शिक्षक है। इससे दुःखी न होइये। पश्चाताप ना करें, इस भूल का आदर करना सीखें, फिर देखें आप स्वयं को जीवन में और ऊँचा पायेंगे।

दूध को जल से अधिक श्रेष्ठ माना जाता है, और इसीलिये दूध का मूल्य जल से तनिक अधिक है। अब दूध को यदि दही बनाओगे तो इस दूध की आयु कुछ और अधिक बढ़ जाती है। इसका मूल्य कुछ और मुद्राएँ अधिक, अब इस दही का माखन बनाओगे तो इसकी आयु कुछ सप्ताहों तक और बढ़ जाती है, और मूल्य कुछ और मुद्राएँ अधिक, अब यदि इस माखन का घी बनाएँगे तो इसकी आयु वर्षों तक चलती है, और मूल्य माखन से कुछ और अधिक होता है। अब इन सबका मूल दूध ही है। तो इन सबकी जीवन आयु एवं इनके मूल्य में इतना अंतर क्यों? इसका कारण ये दूध को दही बनने के लिए खटास सहनी पड़ी, दही को माखन बनने के लिए बिलोने के आघात सहने पड़े, और माखन को घण्टों तक ताप सहना पड़ा। तब जाके इसकी आयु इतनी बढ़ी, तब जाके इसका मूल्य इतना बढ़ा। अब हम सारे मनुष्य एक समान दूध की भाँति किन्तु महान वही बनते हैं, जो कठिनाइयों का सामना करते हैं। संकटों का सामना करते हैं। जो इन चुनौतियों पर खरे उतरते हैं। यदि ये सब करोगे तभी जीवन में आगे बढ़ोगे। तभी आपके यश की आयु बढ़ती जायेगी, और तभी ये संसार आपको महत्व देता जायेगा।
👉 धर्म का सच्चा स्वरूप

संसार में हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, ताओ, कन्फ्यूशियस, जैन, बौद्ध, यहूदी आदि विभिन्न नामों से प्रचलित धर्म-सम्प्रदायों पर दृष्टिपात करने से यही पता चलता है कि उनके बाह्यस्वरूप एवं क्रिया-कृत्यों में जमीन-आसमान जितना अंतर है। यह अंतर होना उचित भी है, क्योंकि जिस वातावरण, जिन परिस्थितियों में वे पनपे और फैले हैं, उनकी छाप उन पर पड़ना स्वाभाविक है। मनीषी, अवतारी, महामानवों ने देश काल, परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए श्रेष्ठता-संवर्द्धन एवं निकृष्टता-निवारण के लिए जो सिद्धान्त एवं आचार शास्त्र विनिर्मित किए, कालान्तर में वे ही धर्म-सम्प्रदायों के नाम से पुकारे जाने लगे। इस कारण उनके बाह्य कलेवर में विविधता होना स्वाभाविक है। फिर भी, जहाँ तक मौलिक सिद्धान्तों की बात है, वह सभी तथाकथित धर्मों में एक ही है। सभी ने एक सार्वभौम सत्ता के साथ तादात्म्य स्थापित करना, मानव का अंतिम लक्ष्य स्वीकार किया है।

सभी प्रचलित धर्मों में ‘प्रार्थना’ को किसी न किसी रूप में स्वीकार किया एवं अपने दैनिक क्रिया-कृत्यों में सम्मिलित किया गया है। अमेरिका के विख्यात साइक्रियेटिस्ट डॉ. ब्रिल के अनुसार- ‘कोई भी व्यक्ति, जो वास्तव में धार्मिक है, मनोरोगों का शिकार नहीं हो सकता।’ मनःचिकित्सकों एवं मनोविश्लेषकों ने भी इस तथ्य को स्वीकार किया है कि धार्मिक कर्मकाण्डों में जो प्रार्थना की जाती है। प्रसिद्ध विचारक डेल कारनेगी ने लिखा है- ‘जीवन की जटिलताओं और विषमताओं से संघर्ष करके सफलता पाने में कोई भी व्यक्ति अकेले समर्थ नहीं है, आस्था और विश्वास के साथ इस संघर्ष में विजय प्राप्त करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना की जाए।’ मौलाना रूम ने कहा है- ‘रूह की दोस्ती इल्म और ईमान से है, उसके लिए हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई आदि में कोई फर्क नहीं है।’

प्रसिद्ध ईसाई धर्मोपदेशक जस्टिन ने कहा है- ‘जितनी भी श्रेष्ठ विचारणाएँ हैं, वे चाहे किसी भी देश या धर्म की हों, सब मनुष्यों के लिए ईश्वरीय निर्देश की तरह हैं।’ शिव महिमा में उल्लेख है-जिस प्रकार बहुत सी नदियाँ भिन्न-भिन्न प्रकार से घूमकर अंततः समुद्र में ही जाकर गिरती हैं, उसी प्रकार मनुष्य अपने स्वभाव के अनुसार अलग-अलग धर्म, पंथों से चलकर उसी एक ईश्वर तक पहुँचते हैं।

इंजील ने लिखा है- ‘मनुष्य के नथुनों में जितने श्वास आते हैं, उतने ही ईश्वर तक पहुँचने के रास्ते हैं।’ चीन के प्रसिद्ध दार्शनिक कन्फ्यूशियस का कथन है- ‘अलग-अलग धर्मों की प्रेरणाएँ एक-दूसरे की विरोधी नहीं, पूरक हैं।’ प्रसिद्ध संत जरथ्रुस्त के अनुसार- ‘हम संसार के उन सभी धर्मों को मानते और पूजते हैं, जो नेकी सिखलाते हैं।’ योगेश्वर श्रीकृष्ण जी ने भगवद्गीता में स्पष्ट कहा है- ‘सभी मनुष्य भिन्न-भिन्न पथों से चलकर अंततः मुझ तक ही पहुँचते हैं।’

अनेकों मनीषियों, युगद्रष्टा ऋषियों ने इसे स्वीकार किया है कि विभिन्न धर्मों में वर्णित आदर्श एवं सिद्धान्त सनातन हैं। एक्लेजियास्टिक्स ने उल्लेख किया है- क्या कोई ऐसा आदर्श है, जिसके संदर्भ में यह कहा जा सके कि यह नया है? हर सिद्धान्त सनातन है, जिसका उल्लेख विभिन्न धर्मों में मिलता है।

हजरत मोहम्मद ने सभी धर्मानुयायियों को संबोधित करते हुए कहा- ‘आओ हम सब मिलकर उन बातों पर विचार करें, जो हममें और तुममें एक सी हैं।’ ‘शोतोकु’ नामक संत ने कहा- ‘शिनतो, कन्फ्यूशियस व बौद्ध ये तीनों धर्म एक धर्म रूपी वृक्ष के विभिन्न अवयव हैं। जापानी जनता ने धर्म के मूल तत्त्व को आत्मसात् कर लिया और धर्मों के बाह्य कलेवरों की भिन्नता को समझ लेने के फलस्वरूप विभेदता की कुचाल में न फँसी, उत्तरोत्तर प्रगति पथ पर बढ़ती गई।’

उक्त विवेचनों से यही निष्कर्ष निकलता है कि विविध धर्मों के बाह्य कलेवर एवं क्रिया-कृत्यों में न्यूनाधिक भिन्नता भले ही हो, परन्तु सबका प्राण तत्त्व एक ही है। धर्म का सच्चा स्वरूप वस्तुतः वही है, जो शाश्वत सिद्धान्तों के रूप में सभी धर्मों में विद्यमान है। धर्म के उस प्राण तत्त्व को हृदयंगम कर व्यावहारिक जीवन में समाविष्ट किए जाने से ही सबका कल्याण संभव हो सकेगा और मानवीय समाज सुख-शांति का रसास्वादन कर सकेगा।

✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
: 👉 Solving Life’s Problems –

I once met a woman who had virtually no problems. I was on a late-night radio program in New York City. This woman called the station and wanted me to come to her home. I was intending to spend the night at the bus station, so I said okay. She sent her chauffeur for me, and I found myself in a millionaire’s home, talking to a middle-aged woman who seemed like a child. She was so immature, and I wondered at her immaturity, until I realized that the woman had been shielded from all problems by a group of servants and lawyers. She had never come to grips with life. She had not had problems to grow on, and therefore had not grown. Problems are blessings in disguise!

Were I to solve problems for others they would remain stagnant; they would never grow. It would be a great injustice to them. My approach is to help with cause rather than effect. When I help others, it is by instilling within them the inspiration to work out problems by themselves. If you feed a man a meal, you only feed him for a day — but if you teach a man to grow food, you feed him for a lifetime.

It is through solving problems correctly that we grow spiritually. We are never given a burden unless we have the capacity to overcome it. If a great problem is set before you, this merely indicates that you have the great inner strength to solve a great problem. There is never really anything to be discouraged about, because difficulties are opportunities for inner growth, and the greater the difficulty the greater the opportunity for growth.

To be continued…
📖 From Akhand Jyoti
[आज का ज्ञान:

“रोग एक ऐसा यमराज है जो न सिर्फ़ आपके प्राण ले जाता है बल्कि आपकी धन संपत्ति भी साथ ले जाता है और हँसते खेलते घर की खुशियां तबाह हो जाती है”

हमारी जीवनशैली ग़लत होने का शरीर हमे 3 चरन पे संकेत देता ह…

1 चरण:
कमजोरी, निंद की समस्या, गैस्ट्रिक, क़ब्जी, एसिडिटी, खूजली, पैरों में सूजन, सिरदर्द, आँखों मे चिपचिपा पदार्थ आना, बवासीर, पत्थरी, दाँतो के रोग और मोटापा…

जो इंसान पहले चरण पे जागरूक हो कर जीवनशैली में परिवर्तन नहीं करता वो 5 से 10 सालों में दूसरे चरण पे पोहच जाता है, दूसरे चरण पे आप सीधे हॉस्पिटल के बिस्तर पे हो सकते है और अचानक से किसी प्रकार के जटील रोगों के जाल में फस जाते है…

2 चरण:
डायबिटीज, ब्लड प्रेशर की समस्या, थाइरोइड, हार्ट अटैक, लिवर की समस्या, किडनी के रोग, ट्यूमर, दमा, लकवा, कैंसर जैसे जटील रोंगो का सामना करना पड़ सकता है…

जो इंसान दूसरे चरण पे जीवनशैली में परिवर्तन नही करता वो 5 से 10 सालों में तीसरे चरण पे पोहच जाता है और ये आखरी चरण है जहाँ शरीर के अंग आपका साथ छोड़ देते है, किसी की किडनी फ़ैल तो किसी का लिवर फ़ैल तो किसी का हार्ट फ़ैल और यहाँ पोहचने पे जीवन का अंतिम समय निकट आ जाता है, आप अकेले नही पर पूरा परिवार चिंता और भाग दौड़ में लग जाता है।

अपने शरीर(स्वास्थ्य) के लिए अभी समय निकले वरना एक दिन ये आपसे स्वयं समय मांग लेगा और तब ये सौदा बहोत मंहगा पड़ेगा।

: ऋणमोचन मंगल स्तोत्र पठन से लाभ और इसके पिछे रहस्य क्या है–

      कुछ लोग दावा करते हैं कि शुद्धपूत स्थिति में श्रद्धा व विश्वास के साथ कुछ दिन "ऋणमोचन मंगल स्तोत्र" पठन करने से नित्य बढ़ती हुई ऋण का मोचन यानी परिशोध होकर निस्तार मिल जाता है। ये क्या वास्तव क्षेत्र में सम्भव है ! सिर्फ स्तोत्र पठन कर बैठ जाने से क्या मंगल जी कंहा से प्रकट होकर ऋण परिशोध के लिए कुवेर खजाने से हमारे रिक्त धन भंडार को भरने की चमत्कार कर सकते हैं !!

    ऋण है बहुत किसम का। पितृ, मातृ, देव, गुरु बगैर कर्त्तुक प्राप्त "ऋण" का मोचन या परिशोध तो जिंदगी भर एक रकम असम्भव है। किन्तु किसी से 'धन' अथवा किसी 'वस्तु' उधार या कर्ज लेने से जो लौकिक या कानूनी ऋण बन जाता है, इसको परिशोध करने के लिए कंहा बैठकर सिर्फ प्रोक्त स्तोत्र पठन करें तो फायदा क्या है, जरा वास्तव दृष्टिकोण से सोचिए।।

    धन, सन्तान, भूमि में समृद्धि, धर्य- साहस वृद्धि और शत्रु, आधीव्याधि, ऋण, कष्ट, परेशानी वृद्धि से मुक्त (ऋणमोचन) रहकर सुख- शांति के साथ निरूपद्र्व जीवनचर्या करने के लिए ही प्रोक्त स्तोत्र है। समृद्ध जीवन रक्षण की लक्ष्य में मानव समाज के लिए और भी अनेक पारम्परिक धर्मीय नित्याचार विधि मुनिरुषीओं से हमको उपलब्ध है। इसलिए शांति- सुख रक्षण के लिए ही ऋणमोचन मंगल स्तोत्र उल्लिखित।।

  इस आलोचना का असली मतलब है कि ऋण किया है तो परिशोध के लिए कठिन मेहनत करो, मन- ध्यान लगाकर उचित मार्ग में अधिक से अधिक उपार्जन बढ़ाने की कोसिस चालू रखो, जितने तकलीफ सहना पड़े भी-- खर्च को घटाकर रोजगार से धन संचय करो और बस.. उधार या कर्ज परिशोध करके ऋण मुक्त हो जाओ।। अस्तु।।

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    【एक सचाई और भी है कि ठग व्यापारियों के द्वारा मीडिया में-- धन लूटनेवाला बहुल प्रचारित 'घर मे धन वारिश होने के लिए लक्ष्मी- कुवेर धन वर्षा यंत्र' हज़ारों रुपिया देकर खरीद करना एक महामूर्खता है।।】

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  ।।ऋणमोचन मंगल स्तोत्रम।।

मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।
स्थिरासनो महाकायः सर्वकर्मविरोधकः ॥१॥

लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः।
धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः॥२॥

अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।
व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः॥३॥

एतानि कुजनामानि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्।
ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्॥४॥

धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्॥५॥

स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः।
न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्॥६॥

अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल।
त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय॥७॥

ऋणरोगादिदारिघ्र्यं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः।
भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा॥८॥

अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः।
तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्क्षणात्॥९॥

विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।
तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः॥१०॥

पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः।
ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः॥११॥

एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम्।
महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा॥१२॥

        इति श्रीस्कन्दपुराणे भार्गवप्रोक्तं ऋणमोचक मङ्गलस्तोत्रम् सम्पूर्णम्।।

             सत्यमेव जयते।।
     जय जगननाथ।। ॐ शांतिः।।


🌼मानसिक सेवा स्वीकार की जाती है🌼

भक्ति-रस-सिंधु में, एक कहानी है … कहानी नहीं। तथ्य। वहाँ वर्णित है कि एक ब्राह्मण – वह एक महान भक्त था – वह मंदिर की पूजा में बहुत ही शानदार सेवा, अर्चना की पेशकश करना चाहता था। लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे। लेकिन किसी दिन वह भागवत वर्ग में बैठे थे और उन्होंने सुना कि कृष्ण की पूजा मन के भीतर भी की जा सकती है। इसलिए उन्होंने यह अवसर लिया क्योंकि वह काफी समय से सोच रहे थे कि कैसे कृष्ण की पूजा बहुत भव्य तरीके से की जाए, लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे।

इसलिए, जब उसे यह बात मिली, कि वह मन के भीतर कृष्ण की पूजा कर सकता है, इसलिए गोदावरी नदी में स्नान करने के बाद, वह एक पेड़ के नीचे बैठा था और अपने मन के भीतर वह बहुत भव्य सिहांसन का निर्माण कर रहा था, सिंहासन, गहनों से लदा हुआ और देवता को सिंहासन पर रखते हुए, वह देवता को गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, कावेरी के जल से स्नान करा रहा था। तब वह देवता को बहुत अच्छी तरह से कपड़े पहना रहा था, फिर फूल, माला के साथ पूजा कर रहा था।

तब वह बहुत अच्छी तरह से खाना बना रहा था, और वह परमन, मीठे चावल पका रहा था। इसलिए वह इसका परीक्षण करना चाहते थे, चाहे वह बहुत गर्म हो। क्योंकि परमानंद को ठंडा लिया जाता है। परमांन को बहुत गर्म नहीं लिया जाता है। इसलिए उन्होंने अपनी उंगली को परमान पर रख दिया और उनकी उंगली जल गई। तब उसका ध्यान टूटा, क्योंकि वहां कुछ भी नहीं था। बस उसके मन के भीतर वह सब कुछ कर रहा था।

तो … लेकिन उसने देखा कि उसकी उंगली जल गई है। तो वह बड़ा हैरान हुआ।
इस तरह, वैकुंठ से नारायण, वह मुस्कुरा रहा था। लक्ष्मीजी ने पूछा, “आप मुस्कुरा क्यों रहे हैं?” “मेरा एक भक्त इस तरह से पूजा कर रहा है। इसलिए मेरे लोगों को उसे तुरंत वैकुंठ लाने के लिए भेजें।”
तो भक्ति-योग इतना अच्छा है कि अगर आपके पास देवता की भव्य पूजा करने का कोई साधन नहीं है, तो भी आप इसे मन के भीतर कर सकते हैं। वह भी संभव है।
🙏🏾🙏🏽🙏🏻 जय जय श्री राधे🙏🙏🏿🙏🏼
तला हुआ आलू बीमारी का घर है।
तला हुआ आलू खाना पाप है।

वैज्ञानिक तथ्य

इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) ने एक “संभावित मानव कैंसर उत्पादक” के रूप में एक्रिलामाइड को वर्गीकृत किया है । यूएस नेशनल टॉक्सिकोलॉजी प्रोग्राम (NTP) ने भी एक्रिलामाइड को
कैंसर के लिये निमित्त रूप माना है। ( एक्रिलामाइड एक रसायन है जो कंस्ट्रक्शन, टेक्सटाइल, फाउंड्री आदि इंडस्ट्रीज में प्रयुक्त किया जाता है। )

उच्च तापमान पर खाना पकाने के बाद कुछ प्रकार के स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थों में रासायनिक प्रतिक्रियाओं से एक्रिलामाइड स्वाभाविक रूप से बन सकता है। इन खाद्य पदार्थों में आलू से बने फ्रेंच फ्राइज़, चिप्स, तथा अनाज से बने खाद्य पदार्थ (जैसे कुकीज और टोस्ट) और कॉफी शामिल हैं।

जब अधिक समय तक या उच्च तापमान पर खाना पकाया जाता है तब एक्रिलामाइड का स्तर बढ़ता है, और जब खाना पकाने के कुछ प्रकारों का उपयोग किया जाता है –जैसे तलने या भूनना उससे भी यह स्तर बढ़ता है ।
आलू में स्टार्च की मात्रा अन्य सब्जियों की अपेक्षा अधिक (18%) होती है। आलू को तेल में भुनने अथवा तलने से उसमे स्वाभाविक ही एक्रिलामाइड का स्तर बढ़ जाता है जिससे कैंसर होने की संभावनाएं भी बढ़ जाती है।

https://youtu.be/6tM2oMiPM4Q


[मिर्गी रोग के सरल उपचार

रोजाना तुलसी के 20 पत्ते चबाकर खाने से रोग की गंभीरता में गिरावट देखी जाती है।तुलसी के पत्तों को पीसकर शरीर पर मलने से मिरगी के रोगी को लाभ होता है।तुलसी के पत्तों के रस में जरा सा सेंधा नमक मिलाकर 1 -1 बूंद नाक में टपकाने से मिरगी के रोगी को लाभ होता है।तुलसी की पत्तियों के साथ कपूर सुंघाने से मिर्गी के रोगी को होश आ जाता है।

https://youtu.be/6tM2oMiPM4Q


[सौंफ के औषधीय प्रयोग

  1. सौंफ और मिश्री चबा-चबाकर खाने से नेत्रज्योति बढती है और पित्त का शमन होता है |
  2. खाना खाने के बाद सौंफ खाने से मुँह के छाले और दुर्गंधी मिटती है |
  3. आधा चमच सौंठ और १ चमच सौंफ का काढ़ा बनाकर सुबह-श्याम पीने से जुलाब में आराम
    मिलता है |
  4. १ चमच सौंफ पावडर रात को पानी के साथ पीने से पेट साफ़ होता है |
  5. ५ ग्राम सौंफ व ५ ग्राम मिश्री पीसकर शरबत बनाके पीने से सिरदर्द में आराम मिलता है |

https://youtu.be/6tM2oMiPM4Q


[प्रश्न – यग्योपैथी सम्बन्धी जानकारी ऑनलाइन कहाँ प्राप्त हो सकता है?

उत्तर- यज्ञ का ज्ञान विज्ञान सम्बन्धित जानकारी के लिए निम्नलिखित वेबसाइट पर विजिट करें:-

1- https://www.yagyopathy.com

2- https://www.awgp.org/social_initiative/yoga_holistic_health/yagyopathy

3- For Yagyopathy Research Paper, visit following:-

http://ijyr.dsvv.ac.in

4- Youtube link – यग्योपैथी से ठीक हुए लोगों के अनुभव
https://youtu.be/C70Qz7-iqJY

5- यज्ञ की जानकारी http://www.awgp.org/spiritual_wisdom/yagya

6- निम्नलिखित यज्ञ के ज्ञान विज्ञान की पुस्तकें आप घर पर ऑनलाइन निम्नलिखित साइट से मंगवाएं:-

Online store:-

https://www.awgpstore.com

पुस्तक:-

i- यज्ञ चिकित्सा विज्ञान
ii- यज्ञ का ज्ञान विज्ञान( वांगमय 25)
iii- यज्ञ एक समग्र उपचार( वांगमय 24)

etc

7- अखण्डज्योति आर्टिकल्स :-

i- अखण्डज्योति जुलाई 1955 – इसके समस्त आर्टिकल यज्ञ से ही सम्बन्धित है
http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1955/July/v1

ii-अखण्डज्योति जनवरी 1954 – इसके समस्त आर्टिकल यज्ञ से ही सम्बन्धित है
http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1954/January/v1

iii- यग्योपैथी पर आर्टिकल – अखण्डज्योति मई 1993 http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1993/May/v2.37

iv- अखण्डज्योति जून 2006 http://literature.awgp.org/akhandjyoti/2006/June/v1.33

8- यज्ञ से सम्बंधित प्रश्नोत्तरी फेसबुक लिंक

https://m.facebook.com/sweta.chakraborty.DIYA/

9- यज्ञ के ज्ञान विज्ञान पर आदरणीय श्रध्देय के वीडियो लेक्चर

10- आदरणीय चिन्मय भैया दो वीडियो लेक्चर

11- यज्ञ के ज्ञान विज्ञान व पर्यावरण प्रभाव पर आदरणीय ममता सक्सेना जी का लेक्चर

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[: 🔆 प्रेरणा का स्रोत 🔆

🔴 दोस्तों, जिंदगी है तो संघर्ष हैं, तनाव है, काम का दबाब है, ख़ुशी है, डर है! लेकिन अच्छी बात यह है कि ये सभी स्थायी नहीं हैं! समय रूपी नदी के प्रवाह में से सब प्रवाहमान हैं! कोई भी परिस्थिति चाहे ख़ुशी की हो या ग़म की, कभी स्थाई नहीं होती, समय के अविरल प्रवाह में विलीन हो जाती है!

🔵 ऐसा अधिकतर होता है की जीवन की यात्रा के दौरान हम अपने आप को कई बार दुःख, तनाव,चिंता, डर, हताशा, निराशा, भय, रोग इत्यादि के मकडजाल में फंसा हुआ पाते हैं हम तत्कालिक परिस्थितियों के इतने वशीभूत हो जाते हैं कि दूर-दूर तक देखने पर भी हमें कोई प्रकाश की किरण मात्र भी दिखाई नहीं देती, दूर से चींटी की तरह महसूस होने वाली परेशानी हमारे नजदीक आते-आते हाथी के जैसा रूप धारण कर लेती है और हम उसकी विशालता और भयावहता के आगे समर्पण कर परिस्थितियों को अपने ऊपर हावी हो जाने देते हैं, वो परिस्थिति हमारे पूरे वजूद को हिला डालती है, हमें हताशा,निराशा के भंवर में उलझा जाती है…एक-एक क्षण पहाड़ सा प्रतीत होता है और हममे से ज्यादातर लोग आशा की कोई किरण ना देख पाने के कारण हताश होकर परिस्थिति के आगे हथियार डाल देते हैं!

🔴 अगर आप किसी अनजान, निर्जन रेगिस्तान मे फँस जाएँ तो उससे निकलने का एक ही उपाए है, बस -चलते रहें! अगर आप नदी के बीच जाकर हाथ पैर नहीं चलाएँगे तो निश्चित ही डूब जाएंगे! जीवन मे कभी ऐसा क्षण भी आता है, जब लगता है की बस अब कुछ भी बाकी नहीं है, ऐसी परिस्थिति मे अपने आत्मविश्वास और साहस के साथ सिर्फ डटे रहें क्योंकि- हर चीज का हल होता है,आज नहीं तो कल होता है।

🔵 एक बार एक राजा की सेवा से प्रसन्न होकर एक साधू नें उसे एक ताबीज दिया और कहा की राजन इसे अपने गले मे डाल लो और जिंदगी में कभी ऐसी परिस्थिति आये की जब तुम्हे लगे की बस अब तो सब ख़तम होने वाला है, परेशानी के भंवर मे अपने को फंसा पाओ, कोई प्रकाश की किरण नजर ना आ रही हो, हर तरफ निराशा और हताशा हो तब तुम इस ताबीज को खोल कर इसमें रखे कागज़ को पढ़ना, उससे पहले नहीं!

🔴 राजा ने वह ताबीज अपने गले मे पहन लिया! एक बार राजा अपने सैनिकों के साथ शिकार करने घने जंगल मे गया! एक शेर का पीछा करते करते राजा अपने सैनिकों से अलग हो गया और दुश्मन राजा की सीमा मे प्रवेश कर गया, घना जंगल और सांझ का समय, तभी कुछ दुश्मन सैनिकों के घोड़ों की टापों की आवाज राजा को आई और उसने भी अपने घोड़े को एड लगाई, राजा आगे आगे दुश्मन सैनिक पीछे पीछे! बहुत दूर तक भागने पर भी राजा उन सैनिकों से पीछा नहीं छुडा पाया! भूख प्यास से बेहाल राजा को तभी घने पेड़ों के बीच मे एक गुफा सी दिखी, उसने तुरंत स्वयं और घोड़े को उस गुफा की आड़ मे छुपा लिया! और सांस रोक कर बैठ गया, दुश्मन के घोड़ों के पैरों की आवाज धीरे धीरे पास आने लगी! दुश्मनों से घिरे हुए अकेले राजा को अपना अंत नजर आने लगा, उसे लगा की बस कुछ ही क्षणों में दुश्मन उसे पकड़ कर मौत के घाट उतार देंगे! वो जिंदगी से निराश हो ही गया था, की उसका हाथ अपने ताबीज पर गया और उसे साधू की बात याद आ गई! उसने तुरंत ताबीज को खोल कर कागज को बाहर निकाला और पढ़ा! उस पर्ची पर लिखा था —यह भी कट जाएगा

🔴 राजा को अचानक ही जैसे घोर अन्धकार मे एक ज्योति की किरण दिखी, डूबते को जैसे कोई सहारा मिला! उसे अचानक अपनी आत्मा मे एक अकथनीय शान्ति का अनुभव हुआ! उसे लगा की सचमुच यह भयावह समय भी कट ही जाएगा, फिर मे क्यों चिंतित होऊं! अपने प्रभु और अपने पर विश्वासरख उसने स्वयं से कहा की हाँ, यह भी कट जाएगा!

🔵 और हुआ भी यही, दुश्मन के घोड़ों के पैरों की आवाज पास आते आते दूर जाने लगी, कुछ समय बाद वहां शांति छा गई! राजा रात मे गुफा से निकला और किसी तरह अपने राज्य मे वापस आ गया!

🔴 दोस्तों, यह सिर्फ किसी राजा की कहानी नहीं है यह हम सब की कहानी है! हम सभी परिस्थिति,काम,नाव के दवाव में इतने जकड जाते हैं की हमे कुछ सूझता नहीं है, हमारा डर हम पर हावी होने लगता है, कोई रास्ता, समाधान दूर दूर तक नजर नहीं आता, लगने लगता है की बस, अब सब ख़तम, है ना?

🔵 जब ऐसा हो तो 2 मिनट शांति से बेठिये,थोड़ी गहरी गहरी साँसे लीजिये! अपने आराध्य को याद कीजिये और स्वयं से जोर से कहिये –यह भी कट जाएगा! आप देखिएगा एकदम से जादू सा महसूस होगा, और आप उस परिस्थिति से उबरने की शक्ति अपने अन्दर महसूस करेंगे!

✍ साभार: (अखण्ड ज्योति)

🙏 जय गुरुदेव 🙏
[ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्

नशा कोई भी मनुष्य के स्वास्थ्य, शक्ति एवं चरित्र को हानि पहुँचाता हैं, उसके मस्तिष्क और बौद्धिक गुणों को कुंद बनाता है| शराब पीने के बाद उसका प्रभाव सर्वप्रथम मनुष्य के मस्तिष्क पर पड़ता है| उसमें रहने वाला विषैला तत्त्व अन्य क्रियाकलापों को तो गड़बड़ाता ही है, लेकिन सर्वप्रथम मस्तिष्क के उन केंद्रों को प्रभावित करता है जो शरीर के विभिन्न अंगों पर नियंत्रण करते हैं| फलस्वरूप शरीर के विभिन्न अंगों पर से मस्तिष्क का नियंत्रण हट जाता है|

यही कारण है कि शराब पीने वालों की जबान लड़खड़ाने लगती है| हाथ-पैर जवाब देने लगते हैं | चलने-फिरने में भी वह ठीक से समर्थ नहीं रह जाता और जहाँ तहाँ गिरने पड़ने लगता है| शराबी व्यक्ति अपना मानसिक संतुलन ही नहीं गड़बड़ाता वरन अपने परिवार को, पड़ोस एवं परिकर को नरकमय बना देता है|

इससे जहाँ संपत्ति की बर्बादी होती है, वहीं व्यक्ति अपनी प्रामाणिकता खो बैठता है और एक दिन नकारा होकर स्वयं भी मानसिक व्यथा का शिकार बन जाता है| इस लत से कितने ही परिवार उजड़ जाते हैं | अमेरिका , रूस , ब्रिटेन एवं जापान में एक सबसे बड़ा कारण पुरूषों का शराबी होना है|

मानसिक रोगों की जननी – शराब – युगऋषि श्रीराम शर्मा आचार्य
[🔴आप कठिनाईयों से बचना या छुटकारा प्राप्त करना चाहते हैं तो अपने भीतरी दोषों को ढूंढ डालिए और उन्हें निकाल बाहर करने में जुट जाइए। दुर्गुणों को हटाकर उनके स्थान पर आप सद्गुणों को अपने अंदर जितना स्थान देते जायेंगे उसी अनुपात के अनुसार आपका जीवन विपत्ति से छूटकर संपत्ति की ओर अग्रसर होता जाएगा।
-अखण्ड ज्योति
-अगस्त १९४७
[: 🔴जीवन में जितनी सांसारिक कठिनाईयाँ हम देखते हैं उनका बीजकारण हमारे अंदर रहता है। हमारे गुण,कर्म और स्वभाव जिस योग्य होतें हैं,उसी के अनुकूल परिस्थितियां मिल कर रहती है।किसी विशेष कारण से कुछ समय के लिए खास स्तिथि प्राप्त हो जाए तो यह अधिक समय तक ठहरती नहीं,स्थायी रुप से मनुष्य को वही मिलता है जिसके वह योग्य है,जिसका वह अधिकारी है।
-अखण्ड ज्योति
-अगस्त १९४७

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