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मान्यवर

रेडिएशन व अन्य खतरनाक वायरसों से सुरक्षा

बेहद आसान व सस्ता उपाय।

पूराने जमाने मे गांव के लोग अपने घरों की जमीन दिवार चूल्हा सब कुछ गोबर से लिपते थे। जब कि उस समय टीवी व मोबाइल सुविधा नहीं थी। फिर भी वे गोबर से पुताई कर के अपने आप को सुरक्षित बना कर 100 – – 100 साल तक बिना बिमारीयों के जीवित रहते थे।
उनकी हाइट बोडी व तंदरुस्ती हम लोगों से कयी गुना अधिक बेहतर थी। इसका मतलब गोबर की लिपाई पुताई मे कुछ तो बात है।
आज के युग में विज्ञान ने भी प्रमाणित कर दिया हे कि हर प्रकार के रेडिएशन व नेगेटिव ऐनरजी का असर खत्म करने मे गोबर अत्यधिक कारगर है।

आधुनिक युग मे इसका बहुत ही आसान तरीका यहा बता रहा हू।
देसी / गिर की गाय के गोबर से बने दो सूखे कंडे ले।
सोफे या कुर्सी पर बैठ जाए पैरों के नीचे अखबार बिछा कर, उस पर दोनों कंडे रख दे। अब पैरों के तलवों को कंडो पर रख ले ओर आराम से अपना काम करते रहे। कहने का मतलब है कि पैर के तलवे गोबर के सुखे कंडो से छूने चाहिए।
अगर आप इन कंडो पर खडे हो जाएगे तो ये टूट जाएगे। इसलिए आप कही बैठ कर ही कंडो पर नंगे पैर रखे।
जितनी ज्यादा देर ऐसा करेगे उतना लाभ मिलता चला जाएगा।
घर का हर सदस्य इस तरह कर सकता है। बच्चों को इसकी आदत जरुर डाले। क्यो की बच्चे ही टीवी मोबाइल ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। घर की महिलाओं को तो इसकी सख्त जरूरत है क्योंकि उनको 24 घंटे व 12 महिने पैरो व कमर दर्द बना ही रहता है।

यही प्रक्रिया आप ओफिस या दुकान पर भी अपना सकते हैं।
जितना ज्यादा आप पैरो को इस पर रखेंगे उतना आपको फायदा मिलता चला जायेगा।

इसका प्रमाण देखने के लिए आप अपने चेहरे की नजदीक से एक फोटो खीच कर रख ले। ओर खाने-पीने का पूरा परहेज वेसे रखे जेसा पहले चल रहा था। अब 1 या 2 महिने बाद चेहरे की फिर से फोटो ले ओर पहले वाली फोटो से मिलान करे। दोनों मे करीब 40% से 60% का फर्क नजर आएगा। अभी वाली फोटो ज्यादा अच्छी नजर आएगी।
इसका मतलब आपके शरीर से नेगेटिव ऐनरजी निकलती जा रही है साथ मे शरीर भी डिटोकसीफाय हो रहा है।

शरीर के डिटोकसीफाय होने से गंभीर बीमारियों के लक्षण खत्म हो जाते हैं।

देसी गाय के गोबर से बने कंडे मात्र 10 रुपये से भी कम मे मिल जाते हैं। पर परिणाम मे 10 – 20 लाख के हॉस्पिटल के बिल से बचाव हो सकता है। साथ मे खाने-पीने का परहेज जरुरी है। पहले से बिमार व्यक्ति पर इन कंडो का असर जल्दी दिखाई देता है।

इस बात को भी समझना जरूरी है कि – – आज हमने कंडो के माध्यम से 5% का फायदा लिया ओर बाजार जा कर ऊटपटांग खाने से शरीर को 15% तक टाकसिन फिर से मिले। तब ये गोबर के कंडे कहां तक आपका साथ देगे।

हर पहलू पर विचार कर के इस अत्यधिक सस्ते उपाय से लाभान्वित होवे।

रेडिएशन व नेगेटिव एनर्जी का असर घर के एरिया व वातावरण पर काफी निर्भर करता हे। क्यो की मोबाइल टावर कहा कितनी दूरी पर लगे हे ओर हमारे घर व ओफिस पर उसका कितना प्रभाव है।

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